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बदलाव के लिए नेतृत्व ही नहीं, समाज स्तर पर भी सोशल इंजीनियरिंग की जरूरत

सासाराम शहर : आज देश धर्म व जाति के नाम पर उद्वेलित हो रहा है. इसके पीछे सत्ता है. वह देश को अराजक स्थिति में डाल अपने स्वार्थ सिद्धी में लगा है. ऐसी सत्ता को हटाना होगा. इसके लिए समाजवादियों को नेतृत्व स्तर पर ही नहीं, बल्कि समाजस्तर पर सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करना होगा. […]

सासाराम शहर : आज देश धर्म व जाति के नाम पर उद्वेलित हो रहा है. इसके पीछे सत्ता है. वह देश को अराजक स्थिति में डाल अपने स्वार्थ सिद्धी में लगा है. ऐसी सत्ता को हटाना होगा. इसके लिए समाजवादियों को नेतृत्व स्तर पर ही नहीं, बल्कि समाजस्तर पर सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करना होगा.
यह बात शहर के शेरशाह सूरी इंटर स्तरीय विद्यालय में आयोजित समाजवादी जन परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शनिवार को समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा ने कहीं. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में उत्तरप्रदेश में बसपा व सपा ने नेतृत्व स्तर पर सोशल इंजीनियरिंग कर दो सीटों पर जीत तो दर्ज कर ली. लेकिन, 2019 के लिए उन्हें समाज स्तर पर सोशल इंजीनियरिंग करनी होगी, तभी कामयाबी मिलेगी. जनता जब तक आपस में नहीं मिलेगी, तब तक भाजपा को सत्ता से बाहर नहीं किया जा सकता. इसके लिए समाजवादी जन परिषद को पहल करनी होगी कि सभी लोग आपस में मिले और भाजपा को रोकने के लिए काम करें.
उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों से युवाओं के रोजगार पर तो मौसम परिवर्तन से किसानों पर असर पड़ रहा है. युवाओं को रोजगार देने के लिए छोटे उद्योगों की नीति बनानी होगी. मौसम परिवर्तन को रोकने के लिए प्रकृति के साथ जीने की कला लोगों को बतानी होगी.
बैठक में समाजवादी दयानंद सिंह ने कहा कि स्मार्ट सिटी से ज्यादा जरूरी है गांवों को स्मार्ट बनाना. उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए सरकार को खेती की भूमि से इतर बंजर जमीनों पर स्मार्ट सिटी बनाना चाहिए. जहां लोगों के लिए हर तरह की सुविधा हो. इससे खेती की भूमि बचेगी ओर बंजर भूमि का उपयोग होगा. लोगों को अपना घर भी मिलेगा.
बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष कमल बनर्जी व संचालन महामंत्री अफलातून ने की. बैठक में सचिव फागराम, उपाध्यक्ष लिंगराज आजाद, संगठन मंत्री रंजीत राय, कोषाध्यक्ष चंद्रभूषण चौधरी, प्रदेश मंत्री नरेंद्र कुमार, जोशी जैकब, प्रो महेश विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष डॉ संतु भाई संत, शोभनाथ सिंह यादव, नीरज कुमार सिंह, अरूण कुमार बागी, जयप्रकाश सिंह आदि उपस्थित थे. प्रदेश मंत्री ने बताया कि रविवार को तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का समापन होगा.
देश में अमीर व गरीब के बीच बढ़ती जा रही खाई, सत्ता परिवर्तन से बचेगा देश
समाजवाद को व्यापक रूप देने के लिए महिलाओं को शिक्षित करना होगा. महिलाओं को पहले से ज्यादा अधिकार मिले हैं, लेकिन वे बौद्धिक व सामाजिक स्तर पर अभी भी काफी पीछे हैं. जिसका खामियाजा समाजवाद को भुगतना पड़ रहा है. प्रभात खबर से बातचीत में समाजवादी जन परिषद मध्य प्रदेश की अध्यक्ष स्मिता ने कहा कि समाजवाद का नारा देने से काम नहीं चलने वाला. घर-घर समाजवादियों को जाना होगा. एक-एक व्यक्ति को जाति-धर्म से होने वाले नफा-नुकसान को बताना होगा. सत्ता के बदलते रूप को दिखाना व समझाना होगा. अगर महिलाएं समझ गयीं, तो उस दिन से समाजवाद आ गया. नहीं तो वर्तमान के नेता समाजवाद का जो रूप दिखा रहे और कर रहे, इससे ना महिलाओं को भला होगा, न समाज का और न देश का. स्मिता महान अर्थशास्त्री सुनील की पत्नी हैं, जो मध्यप्रदेश में समाजवाद का परचम लहराती हैं.
भेदभाव को मिटाना होगा : सच्चिदानंद
आदमी-आदमी को भारतीय परंपरा से जोड़ कर कर ही समाजवाद की दिशा व दशा बदली जा सकती है. पूर्व में समाजवाद की अवधारण मजदूरों व मालिकों की लड़ाई तक सीमित थी. जो पश्चिमी देशों से निकलकर आयी थी. यह बातें समाजवादी जन परिषद के आमंत्रित सदस्य समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा ने कही. एक सवाल भारत के समाज में समाजवाद कितनी दूर है पर उन्होंने कहा कि समाजवाद भारत के मूल में है. उसे जाग्रत करना होगा. समाजवाद को सशक्त बनाने के लिए स्पष्ट नीति बनाने की जरूरत है. काल, परिस्थिति व वातावरण के अनुसार समाजवाद को ढालना होगा. तभी देश के प्रत्येक जन में समाजवाद आ सकता है. उन्होंने कहा कि डॉ राममनोहर लोहिया की नीति के तहत जाति व्यवस्था को धवस्त कर, महिलाओं को सशक्त बनाना होगा. समाज में समता का भाव कैसे जगे इस सवाल पर उन्होने कहा कि धर्म और जाति के झगड़े को समाप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक में समता के भाव को जागृत करना होगा.
सोच से होगा बदलाव : डॉ स्वाति
हमारा समाज दिन व दिन सामंती होते जा रहा है. बंद कटघरे वाले समाज की संकीर्णता अभी भी व्याप्त है. यही कारण है कि राजनीति व समाजवाद में महिलाओं की भूमिका नगण्य है. बातचीत में समाजवादी जन परिषद की सदस्य डॉ स्वाति ने महिलाओं का समाजवाद के आंदोलन में कम उपस्थिति पर कही. डॉ स्वाति बीएचयू महिला कॉलेज की भौतिकी विभाग की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी है. उन्होंने कहा कि हमारी नीतियों के कारण भी महिलाओं की भागीदारी नहीं होती है. इसको सिरे से खत्म करने के लिए समाज में समता का सोच विकसित करना होगा. कार्यक्षमता के साथ प्रतिबद्धता को भी बढ़ाना होगा. तभी लोग आकर्षित होकर समाजवाद से जुड़ सकते हैं. अगर हम राजनैतिक कर्म को धारदार बनाते है तो नि: संदेह पांच वर्ष बाद समाजवाद की तस्वीर कुछ और होगी. महिलाओं की आजादी के लिए हमें महिलाओं को शिक्षा से मजबूत करना होगा. परिवार के पुरुषों को सामंती मानसिकता से उबरना होगा, तभी देश व राजनीति की तस्वीर बदलेगी.
नुक्कड़ सभा कर जगाया अलख
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शनिवार का बैठक के बाद सजप कार्यकर्ताओं ने शहर के पोस्टआफिस चौक पर नुक्कड़ सभा किया. वक्ताओं ने लोगों को देश व राज्य की वर्तमान दशा से अवगत करा लोगों को सचेत होने की चेतावनी दी. वक्ताओं ने कहा कि हमारा देश लोकतंत्र को मानता है. लेकिन, अधिकतर पार्टियों के अंदर लोकतंत्र का घोर अभाव है. वे व्यक्ति और परिवार पर चल रही हैं. हालांकि, उनकी पार्टी में देश को चलाने की शक्ति व क्षमता रखने वाले कई हैं, लेकिन उन्हें हाशिये पर रखा जाता है. ऐसे लोगों व पार्टियों से बचें. उन्हें पहचाने व सत्ता से बेदखल करें. तभी देश में समाजवाद आ सकता है.

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