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लेनदेन में रोज हो रही बक-झक
नया संकट. ग्राहकों व दुकानदारों के लिए सिक्के बने परेशानी का सबब व्यापारियों के पास बोरों में भर कर जमा हुए सिक्के नहीं लेने से बढ़ रही लोगों की दिक्कत सासाराम कार्यालय : चवन्नी (25 पैसे का सिक्का) इतिहास बन गयी. अठन्नी (50 पैसे का सिक्का) के भी दिन लगभग लद गये है. अब एक […]
नया संकट. ग्राहकों व दुकानदारों के लिए सिक्के बने परेशानी का सबब
व्यापारियों के पास बोरों में भर कर जमा हुए सिक्के
नहीं लेने से बढ़ रही लोगों की दिक्कत
सासाराम कार्यालय : चवन्नी (25 पैसे का सिक्का) इतिहास बन गयी. अठन्नी (50 पैसे का सिक्का) के भी दिन लगभग लद गये है. अब एक से लेकर दस रुपये तक का सिक्का बाजार में चलन में है. इसे बोलचाल की भाषा में लोग चिल्लर (सिक्का) कहते हैं. यही चिल्लर बच्चों को बचत की आदत डालते हैं.
गी बैंक में जमा चिल्लर बच्चों को अपनी मंडली में शान से कहने को शब्द देते हैं कि पिगी बैंक को तोड़ मैं अपनी पसंद की वस्तु खरीदूंगा. गृहणियां शादी-विवाह के अवसर पर उसे लुटाना अपनी शान समझती है. पिछले वर्ष तक इसी चिल्लर के लिए छोटे व्यापारी भिक्षुकों तक के आगे हाथ फैला देते थे. चिल्लर की कमी के कारण दुकानदारी प्रभावित होने लगती थी. समय का फायदा उठा, चिल्लर की कालाबाजारी भी लोग करते थे. सौ रुपये के बदले 90 रुपये का चिल्लर देते थे. आज चिल्लर की हालत बदतर हो गयी है.
नोटबंदी के बाद से जिले में सिक्कों का चलन तेजी से बढ़ा. पिछले एक वर्ष में अकेले भारतीय स्टेट बैंक की विभिन्न शाखाओं ने जिले में करीब दो करोड़ रुपये का सिक्का बाजार में बांटा है. पंजाब नेशनल बैंक की शाखाओं ने भी करीब डेढ़ करोड़ रुपये के एक से लेकर 10 रुपये तक का सिक्का बाजार में बांटा है. हालात यह है कि आज ये सिक्के सभी स्तर के लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गये हैं. व्यापारियों के पास बोरों में भर कर जमा हो गये हैं, तो लोगों के पॉकेट भारी करने लगे हैं. चिल्लर को वर्तमान समय में सभी दुत्कारने लगे हैं. बैंक, दुकानदार, बड़े व्यापारी और ग्राहक सभी चिल्लर को लेने इनकार करने लगे हैं. ऐसे में परेशानी बढ़ने लगी है.
बाजार में बहुत आ गये हैं सिक्के
बाजार में सिक्का बहुत आ गया है. हर कोई सिक्का दे रहा है, लेकिन, कोई ले नहीं रहा है. बैंक व किराना के बड़े आढ़तिया सिक्का ले नहीं रहे है. ऐसे में हमारे पास हजारों रुपये के सिक्के फंसे है. सभी सिक्का की जगह नोट खोज रहे हैं. हमारा रुपया फंसा है. बहुत परेशानी हो रही है.
सुभाष चौरसिया, किराना दुकानदार, रौजा रोड
एक हजार तक के सिक्के लेगा बैंक
ऐसा नहीं है कि सिक्का बैंकों में नहीं लिया जा रहा है. बैंक में एक बार में एक हजार तक का सिक्का जमा लिया जा रहा है. आरबीआइ ने ज्यादा से ज्यादा सिक्का बाजार में देने का निर्देश दिया था. उसके आलोक में अब तक लगभग दो करोड़ रुपये का सिक्का ग्राहकों को दिया गया है. पहले सिक्के के लिए परेशानी थी. अब बाजार में पर्याप्त सिक्का है. सिक्का सभी को लेना चाहिए.
पवन कुमार, मुख्य प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक, सासाराम
दुकानदार नहीं ले रहे सिक्का
पहले सिक्का के लिए मारा-मारी थी. दुकानदार बड़े नोट भुनाने से कतराते थे. अब आलम यह है कि लगातार सिक्का दे रहे है और उसी सिक्के से खरीदारी करने पर नोट की मांग करने लगे हैं. मानों इसका कोई वजूद ही नहीं है. आखिर हम सिक्का घर में रख कर क्या करेंगे? इसके लिए प्रशासन को कुछ करना होगा.
अरविंद कुमार, लालगंज
सिक्का हमारे लिया बना आफत
कभी हम इसी सिक्के के लिए तरसते थे. इधर-उधर से सिक्के का बंदोबस्त किया जाता था. आज इतना सिक्का हो गया है कि परेशानी होने लगी है. व्यापारी सिक्का ले नहीं रहे हैं. ग्राहक सिक्का देख भड़क जा रहे हैं. हम इतने सिक्कों का क्या करेंगे? प्रशासन और बैंकों को जल्द ही इसका कोई उपाय निकालना होगा.
प्रेमनाथ चौधरी, पान दुकानदार, तकिया गुमटी
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