जयनगर (मधुबनी). वर्षों से प्रतीक्षारत नेपाल भारत मैत्री रेल परियोजना के प्रथम चरण में जयनगर और नेपाल के कुर्था तक 34 किमी में रेल परिचालन प्रारंभ करने के लिए रविवार को ट्रेन का स्पीड ट्रायल किया गया. ट्रायल के दौरान ट्रेन को पटरी पर 115 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया गया.
रेल अधिकारियों के अनुसार कुर्था से सिर्फ 23 मिनट में ही विशेष ट्रेन जयनगर पहुंची. दिन के करीब 11 बजे एक डीजल इंजन और एक बोगी वाली नेपाली ट्रेन जयनगर से जनकपुर की ओर स्पीड ट्रायल के लिए प्रस्थान कर गयी.
रेल निर्माण कंपनी इरकान के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि जयनगर से जनकपुर धाम तक रेल सामान्य गति में ले जायी गयी. लौटते वक्त ट्रेन की स्पीड का ट्रायल किया गया. ट्रेन को 115 किमी प्रति घंटे की गति से जयनगर लाया गया. स्पीड ट्रायल को लेकर दोनों देशों के लोगों के बीच खुशी का माहौल है.
समस्तीपुर के डीआरएम अशोक माहेश्वरी के साथ सीनियर डीइएन को-ऑर्डिनेटर आरएन झा, सीनियर डीइएन वन विनोद कुमार गुप्ता, सीनियर डीएम ई रवीश रंजन, डीएससीइ राहुल देव, सीनियर डीइइ कुमार प्रकाश नवीन, सीनियर डीओएम रूपेश कुमार, आरपीएफ कमांडेंट एके लाल विशेष सैलून से जयनगर पहुंचे थे. ट्रायल के बाद लोगों में जल्द ही जयनगर से कुर्था तक रेल सेवा बहाल होने की उम्मीद जग गयी है.
डीआरएम समस्तीपुर अशोक कुमार माहेश्वरी ने जयनगर से रेल स्पीड ट्रायल का शुभारंभ किया. मौके पर उनके साथ आये रेल अधिकारियों के अलावे रेल निर्माण कंपनी इरकान के सुरेन्द्र सिंह, महाप्रबंधक रवि सहाय, जयनगर स्टेशन अधीक्षक राजेश मोहन मल्लिक, सीडब्ल्यूएस संजय कुमार, आरपीएफ प्रभारी नागेन्द्र सिंह, जीआरपी प्रभारी मो मोजम्मिल समेत रेलवे के अन्य अधिकारी मौजूद थे. रेल चालक मुकेश कुमार झा और गार्ड एनके वर्मा ने रेल का स्पीड ट्रायल किया.
सीनियर डीसीएम सरस्वती चंद्र ने बताया कि भारत नेपाल मैत्री रेल परियोजना में इरकॉन द्वारा जयनगर से वर्दिवास के बीच बड़ी लाइन तैयार करवाया जा रहा है. सवारी गाड़ी के परिचालन हेतु कोंकण रेलवे द्वारा डेमू रैक दिया गया है. इस रेल खंड के प्रथम चरण में कुर्था तक रेल लाइन तैयार हो चुका है. आज इस रेल खंड पर स्पीड ट्रायल सम्पन्न हुआ.
स्पीड ट्रायल के सफल होने के बाद अब रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा निरीक्षण किया जायेगा. रेल संरक्षा आयुक्त की अनुमति तथा भारत और नेपाल के बीच सहमति के बाद आवश्यक तकनीकी और परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के पश्चात् जल्द ही ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ किया जा सकता है.
Posted by Ashish Jha