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कोटपा अधिनियम की सार्वजनिक जगहों पर उड़ रही धज्जियां

शैक्षणिक संस्थानों के आगे बिक रहे हैं गुटखा व सिगरेट स्कूली बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर पूर्णिया : सिगरेट एवं अन्य तंबाकू नियंत्रण अधिनियम 2003(कोटपा) पूरे सूबे में लागू है. इस अधिनियम के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है जबकि शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ मंदिर, मसजिद आदि की 100 मीटर की परिधि […]

शैक्षणिक संस्थानों के आगे बिक रहे हैं गुटखा व सिगरेट

स्कूली बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर
पूर्णिया : सिगरेट एवं अन्य तंबाकू नियंत्रण अधिनियम 2003(कोटपा) पूरे सूबे में लागू है. इस अधिनियम के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है जबकि शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ मंदिर, मसजिद आदि की 100 मीटर की परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर भी प्रतिबंध है. इस अधिनियम को लागू कराने के लिए थानाध्यक्ष तक को जिम्मेवारी दी गयी है. लेकिन विडंबना यह है कि चौक-चौराहा हो या सार्वजनिक स्थल इस कानून का धुआं सरेआम उड़ाया जा रहा है. अधिनियम को लागू कराने के प्रति प्रशासनिक महकमा उदासीन है तो आम लोग भी इस अधिनियम के प्रति जागरूक नहीं है. लिहाजा न तो किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई होती है और न ही इस दिशा में कोई कवायद ही देखने को मिलती है.
लागू है कोटपा अधिनियम 2003
सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान से जुड़ा कानून कोटपा 2003 पूरे प्रदेश में लागू है. इसकी धारा 4,5,6,7,8 एवं 9 के प्रभारी क्रियान्वयन के लिए थानाध्यक्ष के अलावा अन्य अधिकारियों को जिम्मेवारी दी गयी है. जिम्मेवार अधिकारियों को छापेमारी करनी है और नियमों का उल्लंघन करने के खिलाफ जुर्माना भी किया जाना है. जुर्माना के लिए अधिकारियों को चलान भी उपलब्ध कराया गया है, लेकिन यह चलान केवल दफ्तरों की शोभा ही बढ़ा रहा है. सार्वजनिक जगहों पर न केवल तंबाकू उत्पाद बेचे जा रहे हैं बल्कि पीये भी जा रहे हैं.
बच्चे भी पीते हैं सिगरेट चबाते हैं गुटखा
विडंबना यह है कि सार्वजनिक स्थलों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के इर्द गिर्द भी कोटपा अधिनियम की धज्जियां उड़ रही है. जिला मुख्यालय में ही कई ऐसे विद्यालय हैं जिसके प्रवेश द्वार के इर्द गिर्द गुटखा और सिगरेट धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं. जबकि नियमानुसार अधिनियम की धारा 6(ब) शैक्षणिक संस्थान की सौ मीटर की परिधि में ऐसे उत्पाद को बेचना सख्त मना है. शैक्षणिक संस्थानों के आसपास ऐसे उत्पादों के बिकने से छात्रों पर भी इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं.
ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि छोटे-छोटे बच्चे भी गुटखा और सिगरेट का सेवन करते नजर आते हैं. शैक्षणिक संस्थानों के प्रधान इस नियम से बखूबी वाकिफ हैं लेकिन वे दुकानदारों का विरोध करने की स्थिति में नहीं होते हैं, लिहाजा खामोश रहते हैं.
क्या कहता है कोटपा अधिनियम : कोटपा की धारा 4 के तहत सभी सरकारी व गैर सरकारी सार्वजनिक स्थलों के प्रभारियों को धूम्रपान निषेध का बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं किये जाने पर उन्हें 200 रुपये का जुर्माना देना होगा.
इसी धारा के तहत अस्पताल भवन, न्यायालय भवन, सार्वजनिक कार्यालय, होटल, रेस्टोरेंट, शॉपिंग माल, शिक्षण संस्थान, सभागार और सार्वजनिक वाहन आदि जगहों पर धूम्रपान निषेध है. वहीं धारा 6 के तहत तंबाकू उत्पाद विक्रेताओं को भी एक बोर्ड लगाना होगा जिस पर इस बात की सूचना होनी चाहिए कि 18 वर्ष से कम व्यक्ति के हाथों तंबाकू उत्पाद की बिक्री नहीं की जाती है. ऐसा नहीं किये जाने पर विक्रेताओं को 200 रुपये का जुर्माना देना होगा.
नहीं है अधिनियम की परवाह : शैक्षणिक संस्थान के आसपास का इलाका हो या सार्वजनिक स्थल, कोटपा अधिनियम को धुएं में उड़ाया जा रहा है. हर सार्वजनिक स्थल पर लोग बीड़ी, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद खाते नजर आते हैं. वर्ष 2016 की बात करें तो पूरे जिले में कहीं भी इस अधिनियम के तहत कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सार्वजनिक वाहनों में बसों की तो कोई बात ही नहीं है, ट्रेनों में भी यात्रा करने वाले लोगों को इस अधिनियम की परवाह नहीं है. सरकारी कार्यालय हो या न्यायालय परिसर या फिर अन्य कोई सार्वजनिक स्थल, कमोबेश सब जगह एक जैसा ही हाल है. अधिनियम होने के बावजूद उसका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर नहीं होना प्रशासनिक व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान है.

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