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संतोष पर एफआइआर, तो एमओ बना जमानतदार

पूर्णिया : पूर्णिया पूर्व के बहुचर्चित एमओ ब्रजेश कुमार सिंह के कारनामे अजीबो-गरीब हैं. यही कारण है कि उनके कार्यकाल में पीडीएस दुकानदारों के अवैध कारोबार के विरुद्ध कार्रवाई भले ही न हुई हो, लेकिन हर अवैध कारोबारी को उनका संरक्षण प्राप्त होता रहा है. एमओ के शागिर्द संतोष चौरसिया का नाम इस सूची में […]

पूर्णिया : पूर्णिया पूर्व के बहुचर्चित एमओ ब्रजेश कुमार सिंह के कारनामे अजीबो-गरीब हैं. यही कारण है कि उनके कार्यकाल में पीडीएस दुकानदारों के अवैध कारोबार के विरुद्ध कार्रवाई भले ही न हुई हो, लेकिन हर अवैध कारोबारी को उनका संरक्षण प्राप्त होता रहा है. एमओ के शागिर्द संतोष चौरसिया का नाम इस सूची में सर्वोच्च स्थान पर है.

बताया जाता है कि नगर निगम के वार्ड संख्या 45 में अवैध रूप से पीडीएस दुकान संचालक संतोष चौरसिया के विरुद्ध गत वर्ष ही 20 नवंबर को पीडीएम की अनाज के कालाबाजारी का मुकदमा मुफस्सिल थाना में दर्ज हुआ था. ग्रामीण चांदीबाड़ी मुसहरी निवासी सुरेश ऋषि की पत्नी चंपा देवी के आवेदन पर यह कांड दर्ज किया गया था. मामले में ग्रामीणों द्वारा 44 बोरा ट्रैक्टर लदे गेहूं के साथ संतोष को पकड़ा गया और फिर पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया. लेकिन हैरत की बात यह है कि इस मामले में एमओ ब्रजेश कुमार सिंह ही संतोष के जमानतदार बने.

संतोष को बता दिया डीलर प्रमिला का भाई : एमओ ब्रजेश केवल संतोष के जमानत भर नहीं रुके. उन्होंने विभाग को भी इस पूरे प्रकरण में गुमराह किया और संतोष को वैध रूप से वार्ड संख्या 45 के डीलर प्रमिला देवी का भाई बता दिया. रिपोर्ट में एमओ ने स्पष्ट किया था कि प्रमीला देवी की सहमति से संतोष पीडीएस दुकान चलाने में सहयोग करता है, जबकि प्रमिला देवी वार्ड 45 के निवासी स्व भूषण पासवान की पत्नी है. वहीं संतोष वार्ड 45 के ही महेंद्र चौरसिया का पुत्र है. स्पष्ट है कि दोनों के बीच किसी भी प्रकार का संबंध नहीं है. ऐसे में एमओ द्वारा प्रमीला को संतोष की बहन बताना खुद ही कई सवाल खड़े कर रहा है.
आखिर एमओ की क्यों बने संतोष के जमानतदार ! : आम तौर पर अनाज के कालाबाजारी के किसी भी मामले में एमओ का कार्य ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने का होता है. लेकिन संतोष चौरसिया के मामले में स्थिति ठीक इसके विपरीत है. ग्रामीणों की सूचना पर भले ही एमओ कार्रवाई के लिए नहीं पहुंचे, लेकिन संतोष के जमानतदार में वही खड़े नजर आये. यहां दिलचस्प यह भी है कि मुफस्सिल थाना में दर्ज कांड संख्या 450/15 में ग्रामीणों ने कहा था कि बातचीत में संतोष ने भी कार्रवाई नहीं होने व एमओ का संरक्षण प्राप्त होने का दावा किया था. सूत्र बताते हैं कि पदस्थापन के बाद से ही संतोष एमओ की सुविधाओं का इतना ख्याल रखता था कि दोनों के बीच प्रगाढ़ संबंध स्थापित हो गये थे. यही कारण है कि कार्रवाई की फांस में जब संतोष फंसा तो उस समय भी एमओ उठ खड़े हुए. इसके अलावा एमओ डिमिया छतरजान पंचायत के पीडीएस दुकानदार दयानंद यादव पर भी मेहरबान रहे और अवैध रूप से उसे कई लाभ पहुंचाया गया. 01 दिसंबर को निगरानी की छापेमारी के बाद से एमओ सहित उसके दोनों शागीर्द दयानंद व संतोष का धंधा भी मंदा हो गया था. हालांकि रविवार को एमओ के ड्यूटी पर वापस लौट आने के बाद से दोनों ने थोड़ी राहत की सांस ली है.
संतोष चौरसिया नाम का नहीं है कोई डीलर
संतोष चौरसिया नामक विभाग का कोई डीलर नहीं है और न ही उसका विभाग से कोई नाता है. बावजूद उसके विरुद्ध कालाबाजारी का मुकदमा हुआ है तो पुलिस अपनी कार्रवाई करेगी. एमओ द्वारा रिपोर्ट अथवा जमानतदार बनने संबंधी सूचना फिलहाल नहीं है और न ही इस संबंध में लिखित शिकायत मिली है. शिकायत मिलने पर जांच करा कर विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी.
रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह, सदर

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