पूर्णिया : सभी संसाधन मौजूद रहने के बावजूद सदर अस्पताल की सभी सेवा अत्यंत लचर है. सदर अस्पताल की हर एक सेवा बदइंतजामी की कथा-व्यथा बयां कर रही है. पीड़ा से कराहते मरीजों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं होता. सरकारी सेवा का लाभ लेने इलाके के गरीब लोग तो यहां पहुंच जाते हैं. यहां आने के बाद अस्पताल प्रशासन के एक नहीं अनेकों कुव्यवस्था से उनका साक्षात्कार होता है. ऐसे में गरीब मरीज यहां आकर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. वहीं कुछ मरीजों का सदर अस्पताल से मोह भंग भी होता जा रहा है. सोमवार को कुछ ऐसी ही स्थिति सदर अस्पताल परिसर में देखने को मिली.
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यहां तऽ सभ्भे काम होय छैय उल्टा-पुल्टा
पूर्णिया : सभी संसाधन मौजूद रहने के बावजूद सदर अस्पताल की सभी सेवा अत्यंत लचर है. सदर अस्पताल की हर एक सेवा बदइंतजामी की कथा-व्यथा बयां कर रही है. पीड़ा से कराहते मरीजों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं होता. सरकारी सेवा का लाभ लेने इलाके के गरीब लोग तो यहां पहुंच जाते हैं. यहां […]
बेसुध मरीज की नहीं ली गयी सुधि : सोमवार को दोपहर के लगभग डेढ़ बज रहे थे. एक बेहोश मरीज को आपात कालीन सेवा के फर्श पर पड़ा था . मरीज के पहुंचे आधे घंटे से अधिक बीत चुके थे. लेकिन आपातकालीन सेवा में तैनात किसी साहब ने उसकी हाल-चाल जानने की जरूरत महसूस नहीं की. जब प्रभात खबर की टीम को वहां मौजूद कर्मियों ने देखा तो आनन फानन में उसका पर्चा बना कर उसे भरती कर वार्ड में ले जाया गया. वहां कोई वार्ड बॉय भी मौजूद नहीं था, जो स्ट्रेचर में लिटा कर इस मरीज को वार्ड में शिफ्ट करता. इसी प्रकार कई मरीज आपातकालीन सेवा में महरम पट्टी के इंतजार में बैठे नजर आये.
यूनिट है खराब : दोपहर के 2 बजकर 45 मिनट हो रहे थे. तभी ऑटो पर एक अधेड़ को लेकर उसके परिजन डाइलीसिस यूनिट के सामने रुकी. मरीज डगरुआ के इमरान था. उसकी दोनों किडनी समस्या से ग्रस्त था. परिजन एक स्वीपर से पुछा-डाइलीसिस कब कब होता है. स्वीपर ने बताया कि डाइलीसिस मशीन लंबे समय से खराब है, इसलिए यहां ताला लगा हुआ है. उसने बाहर के एक नर्सिंग होम स्थित डाइलीसिस सेंटर का पता बता दिया. पता सुनते ही परिजन का मन खिन्न हो गया. वह अनमने रूप से अस्पताल से मायूस होकर अस्पताल से बाहर चली गयी.
बेड टूटने से गर्भस्थ शिशु की मौत : महिला वार्ड के बरामदे पर बेड संख्या 16 पर बाड़ी हाट की निधी देवी लेटी हुई है . उसे सुबह प्रसव हुआ था, जिसमें उसका बच्चा नष्ट हो चुका है. उसके पति राजेश कुमार साह ने बताया कि वार्ड का बिस्तर टूट जाने के कारण वह गिर गयी, जिससे उसे गंभीर चोट आयी. उसका केयर यहां नहीं हो सका प्रसव के दौरान बच्चा मृत जन्म लिया. परिजनों ने साफ शब्दों में अस्पताल प्रबंधन को इसका दोषी करार दिया. वहीं खड़े कई प्रसूताओं के परिजनों ने बताया कि रात के नौ बजे के बाद यहां संवेदनहीनता की कई कहानी रची जाती है. मरीजों के इस दुख-दर्द को कोई सुनने वाला नहीं है.
वरिष्ठ नागरिकों पर भी नहीं आयी दया
दोपहर के तीन बजने को थे. वरिष्ठ नागरिकों के साथ साथ अब संध्याकालीन ओपीडी के लिए भी मरीज कतार में लग गये थे. वरिष्ठ नागरिक ओपीडी खुलने की आस में खड़े थे. लेकिन न ही ओपीडी में जड़ा ताला खुला और न ही डॉक्टर साहब ही आये. अब मन मसोस कर वरिष्ठ नागरिक संध्याकालीन ओपीडी खुलने की प्रतीक्षा में थे. अररिया जिले के भरगामा से आये पांचू राय ने बताया कि एक माह से यहीं से इलाज चल रहा है. डेढ़ बजे से कतार में खड़े हैं. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ओपीडी नहीं खुला. शाम को ही डॉक्टर से दिखा कर घर जायेंगे. इसी बीच कुछ गर्भवती महिलाएं अल्ट्रासाउंड कराने के लिए भटक रही थी. किंतु अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर के लगभग दो माह पूर्व आकस्मिक निधन के बाद से अल्ट्रासाउंड सेंटर बंद पड़ा हुआ है. लिहाजा अल्ट्रासाउंड कराने आयी तमाम महिलाओं को बाहर अल्ट्रासाउंड कराने जाना पड़ा. बाहर जाने के क्रम में मनती देवी नामक गर्भवती ने कहा-सभ्भै काम यहां उल्टा-पुल्टा होय छैय,बेकारे यहां अइलौं.
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