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एनएमसी पर आइएमए व भाषा के डॉक्टरों का धरना

पूर्णिया : देशव्यापी कार्यक्रम के तहत आइएमए तथा भाषा के चिकित्सकों ने बुधवार को आधे पहर तक क्लिनिक व नर्सिंग होम बंद रखा. साथ ही सदर अस्पताल परिसर स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष धरना दिया. इस धरना को सत्याग्रह का नाम दिया गया था. इधर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के कारण इलाज के लिए […]

पूर्णिया : देशव्यापी कार्यक्रम के तहत आइएमए तथा भाषा के चिकित्सकों ने बुधवार को आधे पहर तक क्लिनिक व नर्सिंग होम बंद रखा. साथ ही सदर अस्पताल परिसर स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष धरना दिया.

इस धरना को सत्याग्रह का नाम दिया गया था. इधर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के कारण इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. दोपहर दो बजे के बाद डॉक्टर पुन: अपने काम पर लौटे, जिसके बाद स्थिति कुछ सामान्य हुई. धरना कार्यक्रम का नेतृत्व आइएमए के जिलाध्यक्ष डा एसके वर्मा कर रहे थे. जबकि धरना में जिले के सैकड़ों चिकित्सक शामिल थे.

एमएनसी पर चिकित्सकों ने जताया विरोध
आइएमए अध्यक्ष डा एसके वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार चिकित्सकों के प्राधिकार मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को समाप्त कर नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन कर रही है. जबकि इसमें चिकित्सकों की जगह ब्यूरोक्रेट को तरजीह मिलेगी. कहा कि केंद्र सरकार देशी चिकित्सा पद्धति से आधुनिक चिकित्सा पद्धति को जोड़ने के लिए ऐसा कर रही है, लेकिन इसका लाभ होने के बजाय दुष्प्रभाव अधिक है. देशी चिकित्सा पद्धति का अलग विकास ही बेहतर विकल्प है.
सचिव डा संजीव कुमार ने कहा कि सरकार क्लिनिकल स्टैब्लिसमेंट एक्ट 2010 को लागू करना चाहती है, जो अव्यावहारिक और समाज के लिए भी प्रतिकूल है. कहा कि यह एक्ट लागू होने से चिकित्सकों को 27 स्थलों से लाइसेंस लेना पड़ेगा. ऐसे में केवल कॉरपोरेट हॉस्पिटल ही चालू रहेंगे. जबकि छोटे क्लिनिक बंद हो जायेंगे. साथ ही इससे स्वास्थ्य सेवा भी महंगी हो जायेगी. उन्होंने छोटे क्लिनिक संचालकों को इससे मुक्त करने की मांग की.
सुनिश्चित होनी चाहिए डॉक्टरों की सुरक्षा
आइएमए के पूर्व अध्यक्ष डा एके गुप्ता ने केंद्र सरकार से ऐसा कानून लाने की मांग की जिससे व्यवसायिक एवं कार्यस्थल पर चिकित्सकों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. कहा कि पूर्व में भी सर्वोच्च न्यायालय ने इस पेशे को पावनतम पेशों में सबसे पावन मानते हुए सरकार को ऐसा कानून बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन इसका अनुपालन अब तक नहीं हो सका है.
डा वीसी राय ने पीसी पीएनडीटी एक्ट में संशोधन की मांग की. कहा कि आइएमए कन्या भ्रुण हत्या का हमेशा विरोध करती रही है. लेकिन इस कानून में संसोधन की आवश्यकता है. उन्होंने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत चिकित्सकों द्वारा दी जाने वाली अधिकतम मुआवजा राशि भी तय करने की मांग की. कहा कि दुर्घटनाओं के मामले में सरकार द्वारा भी मुआवजा राशि तय की जाती है.
आधुनिक पद्धति में बंद हो गैर वैज्ञानिक मिश्रण : धरना के दौरान डा एमएम हक, डा विनोद धारेवा, डज्ञ अवधेश कुमार, डा डा राम आदि ने भी संबोधित किया. कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में गैर वैज्ञानिक मिश्रण बंद होना चाहिए. अन्य चिकित्सा पद्धति में छोटे प्रशिक्षण के बाद आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इलाज की इजाजत देने को आत्मघाती कदम बताया गया.
इसके अलावा संविदा चिकित्सकों के लिए भी समान कार्य के लिए समान वेतन व वेतनमान में विसंगति दूर करने की मांग की गयी. कहा कि आइएमए पूर्व में भी चिकित्सा व्यवस्था में सुधार के लिए मांग उठाती रही है. लेकिन आश्वासन के सिवाये आज तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है. कहा कि मांगों पर सरकार ने पुनर्विचार नहीं किया तो पुन: चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा. मौके पर डा केएस राजन, डा अरविंद कुमार, डा विजय कुामर चौधरी, डा एलपी यादव आदि मौजूद थे.
क्लिनिक के बाहर डॉक्टर के इंतजार में खड़े मरीज
आधा दिन बंद रहे क्लिनिक व नर्सिंग होम
आइएमए और भाषा के विरोध के कारण बुधवार को शहर के सभी नर्सिंग होम व निजी क्लिनिकों पर ताला लटका रहा. दोपहर दो बजे तक डॉक्टर धरना पर डटे रहे. इसके बाद पुन: क्लिनिक व नर्सिंग होम का संचालन आरंभ किया गया. इस बीच दूर-दराज के क्षेत्रों से भी उपचार के लिए आये मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.
कई मरीज उपचार के लिए इधर-उधर भटकते रहे. बाद में कुछ क्लिनिक व नर्सिंग होम के बाहर ही इंतजार पर बैठ गये. जबकि अधिकतर मरीज बिना उपचार के ही बैरंग वापस लौट गये. इसके अलावा डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के कारण बुधवार को दवा व्यवसाय का कारोबार भी प्रभावित रहा. आम दिनों की अपेक्षा दवा दुकानों में आधे से भी कम कीमत के दवाओं की बिक्री हुई. हालांकि सदर अस्पताल का ओपीडी व आपातकालीन वार्ड खुला था, जिसके कारण मरीजों ने कुछ राहत की सांस ली.

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