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शिक्षक न उपस्कर, कैसे गूंजे गीत

उपेक्षा. सरकारी िवद्यालयों में नृत्य-संगीत की नहीं हो पा रही पढ़ाई सूबे में िशक्षा के मामले में सरकारी स्कूलों में व्यवस्था नाकाफी है. िजले के िवद्यालयांे में संगीत िशक्षकों की कमी के कारण नृत्य-संगीत की िशक्षा बच्चों को नहीं िमल पा रही है. पूर्णिया : शिक्षा विभाग सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार […]

उपेक्षा. सरकारी िवद्यालयों में नृत्य-संगीत की नहीं हो पा रही पढ़ाई

सूबे में िशक्षा के मामले में सरकारी स्कूलों में व्यवस्था नाकाफी है. िजले के िवद्यालयांे में संगीत िशक्षकों की कमी के कारण नृत्य-संगीत की िशक्षा बच्चों को नहीं िमल पा रही है.
पूर्णिया : शिक्षा विभाग सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार के दावे कर रहा है. साथ ही विभाग का दावा है कि खेल व सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रतियोगिताओं का नियमित अंतराल पर आयोजन कर बच्चों का सर्वांगीन विकास कराया जा रहा है. लेकिन सरजमीन पर विभाग के ये दावे ढाक के तीन पात साबित हो रहे हैं. आलम यह है कि सरकारी विद्यालयों में न तो इसके लिए शिक्षक उपलब्ध हैं और न ही उपस्करों की उपलब्धता है.
संगीत और नृत्य के मामले में हाल सबसे बुरा है. यहां जिले में संगीत व नृत्य शिक्षकों के 114 पद सृजित हैं. लेकिन हैरत की बात यह है कि सृजित पद के विरुद्ध 10 फीसदी शिक्षकों की भी नियुक्ति नहीं हो सकी है. नतीजा है कि सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रतियोगिताओं का भले ही नियमित आयोजन हो रहा है, लेकिन हर बार बाजी निजी विद्यालयों के छात्र मार जाते हैं और सरकारी विद्यालय के बच्चों को निराशा झेलनी पड़ती है.
जहां शिक्षक, वहां भी नहीं हैं नृत्य-संगीत के उपस्कर : कहते हैं कि नृत्य-संगीत शिक्षा की ऐसी विधा है, जहां उपस्कर ही छात्र का सबसे बड़ा गुरु होता है. बिना उपस्कर के संगीत ज्ञान की प्राप्ति असंभव है. लेकिन जिले के सरकारी विद्यालयों पर शायद यह कथन लागू नहीं होता है. दरअसल जिन विद्यालयों में इन 10 संगीत शिक्षकों की नियुक्ति है, वहां भी संगीत व नृत्य के प्रशिक्षण को लेकर कोई उपस्कर उपलब्ध नहीं है. विभागीय अधिकारियों की मानें तो इसके लिए विभाग स्तर से कोई विशेष दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है
और न ही इस मद में अलग से राशि आवंटित होती है. लिहाजा विद्यालय कोष की राशि से इन उपस्करों की खरीद की जा सकती है. लेकिन संबंधित विद्यालयों के प्रधानों की मुश्किल यह है कि बिना किसी विभागीय निर्देश के वह ऐसा नहीं कर सकते हैं. प्रधानों का तर्क है कि अगर विद्यालय कोष से इन सामग्रियों की खरीद कर भी ली, तो विभागीय अधिकारी इसकी अनुमति नहीं देंगे और अनियमितता का भी सवाल उठेगा.
निजी स्कूलों से पछाड़ खा रहे हैं सरकारी विद्यालय के बच्चे : नृत्य-संगीत के हर आयोजन में सरकारी विद्यालयों की भागिदारी होती है. लेकिन बाजी हर बार निजी स्कूल के बच्चे मार जाते हैं. दरअसल इसकी मूल वजह यह है कि उपस्करों के अभाव में सरकारी विद्यालयों के शिक्षक बेगार की तरह बैठे रहते हैं. उनका प्रशिक्षण भी बिना वाद्य यंत्रों के प्रयोग के लिए बच्चों के लिए बेकार साबित होता है. जबकि निजी स्कूलों में बच्चों को शिक्षकों द्वारा आधुनिक वाद्य यंत्रों के साथ प्रशिक्षण दिया जाता है. यही कारण है कि मंच पर प्रदर्शन के दौरान भी उनका आत्मविश्वास व लय बना रहता है और वे प्रतियोगिता में विजयी साबित होते हैं. जबकि सरकारी विद्यालय के बच्चों को पटखनी खानी पड़ती है.
पेच में फंसा है शिक्षकों के नियोजन का मामला : जिला में नृत्य-संगीत व ललितकला विषय में 135 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षकों के पद सृजित हैं. लेकिन नियुक्ति केवल 10 संगीत शिक्षक की हुई है. शेष शिक्षकों की नियुक्ति विभागीय प्रक्रिया की पेंच में फंसा हुआ है. दरअसल जिला परिषद नियोजन इकाई ने शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक से 05 बिंदुओं पर मार्गदर्शन मांगा है. लेकिन एक माह बाद भी इसका कोई जवाब नियोजन इकाई को प्राप्त नहीं हुआ है.
यही कारण है कि जिला परिषद नियोजन इकाई फिलहाल शिक्षकों का नियोजन नहीं कर रही है. वही इसी को देखते हुए अन्य नियोजन इकाई ने भी तत्काल नियोजन प्रक्रिया रोक दी है. वैसे एक हकीकत यह भी है कि शिक्षकों की नियुक्ति होने के बावजूद अगर विद्यालयों को उपस्कर उपलब्ध नहीं कराये गये तो स्थिति और भी अधिक बदतर हो जायेगी. क्योंकि शिक्षकों को उनके वेतन का भुगतान तो होगा, लेकिन उपस्करों के अभाव में उनकी उपयोगिता शून्य हो जायेगी.
10 फीसदी भी नियुक्त नहीं हैं शिक्षक बच्चों का भविष्य अंधकारमय
शिक्षा विभाग के प्रावधान के अनुसार जिले के सभी सरकारी उच्च विद्यालयों में संगीत व नृत्य शिक्षक की नियुक्ति होनी है. इसके तहत संगीत के उच्च माध्यमिक शिक्षक के लिए जिले में 34 पद सृजित हैं. वहीं संगीत के माध्यमिक शिक्षक के लिए 59, नृत्य के लिए 24 तथा ललितकला के लिए 21 पद सृजित हैं. इसमें उर्स लाइन कॉन्वेंट हिंदी मीडियम व उच्च विद्यालय रौटा भी शामिल हैं, जहां अल्पसंख्यक विद्यालय होने के कारण संगीत शिक्षक का 01-01 पद सृजित है.
लेकिन नियुक्ति केवल संगीत के 10 उच्च माध्यमिक शिक्षकों की हुई है. इसमें केवल राजकीय कन्या उच्च विद्यालय पूर्णिया में ही 02 शिक्षक नियुक्त हैं. जबकि जिला स्कूल, बीबीएम उच्च विद्यालय, मां काली उच्च विद्यालय, कलानंद उच्च विद्यालय गढ़बनैली, उच्च विद्यालय कसबा, केडी कन्या उच्च विद्यालय कसबा व प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय धमदाहा शामिल हैं. इन विद्यालयों में संगीत के 01-01 उच्च माध्यमिक शिक्षक नियुक्त हैं.
खास बातें
निजी स्कूलों से िपछड़ रहे सरकारी
नृत्य-संगीत शिक्षक के सृजित हैं 114 पद
जिले में नियुक्त हैं महज 10 संगीत शिक्षक
उपस्कर के अभाव में बेगार बैठते हैं शिक्षक
विभाग नहीं दिखा रहा रुिच अिधकतर स्कूलों में संगीत के िशक्षक नहीं, जहां हैं भी उपस्कर नहीं
िशक्षकों की है कमी बहाली की प्रक्रिया शुरू
फिलहाल जिले में संगीत शिक्षकों की कमी है, लेकिन नियोजन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है. वहीं उपस्कर के बाबत विभाग से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. बावजूद समस्या के समाधान हेतु पहल किया जायेगा. शिक्षक वाले विद्यालयों में उपस्करों की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी.
कुंदन कुमार, माध्यमिक शिक्षा डीपीओ, पूर्णिया

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