पूर्णिया : शारदीय नवरात्रि की सारी तैयारियां दुर्गा मंदिरों एवं पूजा पंडालों में पूरी कर ली गयी है. शनिवार को कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो जायेगा. आस्था मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य धर्मेश नाथ तिवारी के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 05 बजे से सायं 05 बजे तक है. इस बीच दिन में 11 बज कर 36 मिनट से 12 बज कर 24 मिनट तक अभिजित मुहूर्त है. इस मुहूर्त में कलश स्थापना कर मां दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है. आचार्य धर्मेश नाथ तिवारी के अनुसार अविजित मुहूर्त में कलश स्थापना करने वाले भक्तों के लिए यह अभीष्ट सिद्धि का योग है. शनिवार को प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा होगी. वहीं रविवार को दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जायेगी.
ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग : शास्त्रों के अनुसार 427 वर्ष बाद इस वर्ष अत्यंत शुभ संयोग ग्रह और नक्षत्रों के हैं, जो शुभ फलदायी और कल्याणकारी है. इस वर्ष मां दुर्गा अश्व पर सवार होकर आ रही है. इसके अलावा जिस संयोग से इस बार नवरात्र पड़ रहा है, वह संयोग आज से 427 वर्ष पहले पड़ा था. शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि इस बार का नवरात्र अभीष्ट सिद्धि देने वाला है.
450 वर्ष बाद 10 दिनों की होगी नवरात्रि, होगी फलदायी : शास्त्रों के जानकारों का मानना है कि इस वर्ष नौ दिनों का नवरात्रि दस दिन में पूरे होंगे. यह संयोग इससे पहले 1589 ई में बना था. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष का घटना और नवरात्र का बढ़ना शुभ फलदायी है. यह बेहद शुभ संकेत भी है. इस बार तृतीया दो दिनों की होगी. जिसके कारण नवरात्र दस दिनों का होगा, जो शुभ फलदायी और कल्याणकारी माना जाता है.
शहर में बनाये जा रहे हैं भव्य पंडाल : दुर्गापूजा पंडाल की भव्यता को लेकर शहर का रजनी चौक दुर्गापूजा समिति की भव्यता श्रद्धालुओं को लुभाती है. इस बार भी बंगाल के कारीगर पंडाल निर्माण में जुटे हैं. हालांकि कप्तानपाड़ा, सार्वजनिक दुर्गा मंदिर गुलाबबाग आदि जगहों पर भी पूजा पंडाल का निर्माण जोरों पर है. शहर के तीन पूजा पंडाल भव्य रूप से सजाये जाने की चर्चा है. लेकिन पंडालों का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है.
पूर्णिया. गुलाबबाग के सिनेमा हॉल रोड स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में पिछले दो दशक से बंगला पद्धति से मां दुर्गा की पूजा होती है. पड़ोसी राज्य बंगाल की सीमा का पूर्णिया से सटे होने के कारण गुलाबबाग में बंगाली समाज की संख्या अधिक है. मंदिर के संस्थापकों में से एक शंकर भवाल के समर्पण का रंग इस मंदिर में पूजा के समय दिखता है. विशेष कर दशहरा और रामनवमी पूजा में तो यहां अंग-बंग की साझा संस्कृति का संगम देखने के लिए मिलता है. सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में प्रतिदिन महाआरती सैकड़ों दीप के श्रृंखलाबद्ध सजावटों के बीच ढाक की थाप के साथ प्रारंभ होती है. इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में जुटती है.
निशा पूजा की है महत्ता : बंगला पद्धति से होने वाले इस पूजा में निशा पूजा के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. मंदिर में स्थापना काल से पुजारी भी बंगाली ही है अलबत्ता कहा जाता है कि बंगला पद्धति से होने वाले निशा पूजा में मनोकामना सिद्धि के लिए विशेष पूजा यहां आयोजित होती है.