पूर्णिया: यूपी के मुजफ्फरनगर एवं अन्य जगहों पर हुए दंगा के दंगाइयों की गिरफ्तारी को लेकर माले ने धरना दिया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन पूर्णिया डीएम को सौंपा.
दंगाइयों की गिरफ्तारी, दंगा पीड़ितों की सुरक्षा, मुआवजा, पुनर्वास आदि मांगों को लेकर आयोजित धरना को संबोधित करते हुए माले के जिला सचिव पंकज सिंह ने कहा कि सामाजिक समरसता धर्मनिरपेक्षता की ताल ठोकने वाली सपा सरकार के शासन में दंगाइयों ने जो लोमहर्षक काम किया है वह देश के संघीय ढांचा और हमारी विरासत को तार-तार करनेवाला है. यूपी दंगा ने हृदय विदारक तसवीर पेश कर मानवता को शर्मसार कर दिया है. एक तरफ भाजपा अपने दंगाई विधायकों को सम्मानित करने का कार्य कर रहा है वहीं अखिलेश सरकार पीड़ितों को ही प्रताड़ित करने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि यूपी में दंगाइयों का यह कृत्य धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक कलंक है. आज जरूरत है लोकतांत्रिक शक्तियों एवं धर्म निरपेक्ष शक्तियों की गोलबंदी का ताकि देश के गंगा जमुनी तहजीब और साझी विरासत की हिफाजत की जा सके. श्री सिंह ने कहा कि देश दंगाइयों का नहीं है. फलत: धर्मनिरपेक्ष ताकतों की गोलबंदी के साथ इस फासिस्ट शक्तियों को ध्वस्त कर ही न्याय व इंसाफ का राज्य कायम किया जा सकता है.
उन्होंने इस दौरान कहा कि देश के सांप्रदायिक फासीवादी शक्तियों, कॉरपोरेट लुटेरों, भ्रष्टाचारियों से मुक्त कराने के लिए लामबंद होने की जरूरत है. कार्यक्रम का संचालन जिला कमेटी सदस्य इसलामुद्दीन ने किया बल्कि इस मौके पर उन्होंने कहा कि भाकपा माले का एक -एक सदस्य बिहार और सीमांचल को सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ जम्हूरित के लिए संकल्पित है. इस मौके पर आशुतोष झा, अविनाश पासवान, चंद्रकिशोर शर्मा, यमुना मुमरू, रेणु यादव ने संयुक्त रूप से चार सूत्री मांग पत्र जिलाधिकारी को सौंपा. मांग पत्र में मुजफ्फरनगर दंगे में विस्थापितों व पीड़ितों को तत्काल राहत दिये जाने, पुनर्वास की व्यवस्था, राहत शिविरों को समाप्त करने की कार्यवाही पर अविलंब रोक लगाने, राहत शिविरों में रहने वाले पर हो रही कानूनी प्रताड़ना पर रोक लगाने, सांप्रदायिक हिंसा और दुष्कर्म के मामलों में दर्ज एफआइआर के नामजद अभियुक्तों को तत्काल गिरफ्तार किये जाने. सुप्रीम कोर्ट के देखरेख में एसआइटी गठित करके मुजफ्फरनगर दंगा की निष्पक्ष जांच कराने एवं दंगा पीड़ितों के न्याय की गारंटी सुनिश्चित किये जाने की मांग शामिल हैं.