सदर अस्पताल: मेटरनिटी वार्ड में व्याप्त है बदइंतजामी केस स्टडी-एकश्रीनगर प्रखंड के देवीनगर से गर्भवती अस्मीना खातुन सदर अस्पताल लायी गयी. मरीज को सदर अस्पताल स्थित पैथोलॉजी में जांच के लिए भेजा गया. किंतु वहां जांच नहीं कर मरीज को जांच हेतु बाहर भेज दिया गया. मजबूरी में बाजार से भीडीआरएल, ब्लड ग्रुप, एचआईवी एवं आस्टेलिया एंटीज का मंहगे दरों पर जांच कराया. केस स्टडी-दोबनमनखी प्रखंड के सरसी गांव से प्रसव हेतु पहुंची मंजु देवी को प्रसव में देरी की बात बता कर टाला जा रहा था. किंतु परिजन कुछ खुशनामा देने का वादा किया तो तुरंत प्रसव करा दिया गया. मंजू ने बेटी को जन्म दिया. खुशनामा में कर्मियों को दो सौ रुपये देने लगे तो कर्मी नाक भौं सिकुड़ने लगे. तीन सौ रुपये बतौर खुशनामा पर बात बनी. केस स्टडी-तीनपूर्व प्रखंड के सिकंदर पुर गांव से नाजमीन शुक्रवार की शाम प्रसव कराने पहुंची. वह प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी. परिजन उसकी असह्रय पीड़ा को देख जल्दी प्रसव कराने का आग्रह किया. इस पर वहां मौजूद महिला स्वास्थ्य कर्मी भड़क गयी. कहा दस बजे के बाद ही प्रसव होगा. नाजमीन की पीड़ा को देखते हुए उसके परिजन बिना प्रसव कराये ही अस्पताल से बाहर एक बिचौलिये के साथ निकल गये. ——————–पूर्णिया. गुणवत्ता में पूरे सूबे मेंअव्वल होने का दंभ भरने वाला सदर अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड का स्याह सच काफी डरावना है. वार्ड में फैली अव्यवस्था एवं बदइंतजामी के कारण लेबर रूम में कई प्रसूताओं ने आखिरी सांस ली. कई नौनिहालों की किलकारियां गूंजने से पहले समाप्त हो गयी. यह सब हो रहा है सिर्फ पैसे के लिए. दिन के उजाले में तो इस तरह की बातें कम होती है, लेकिन रात का अंधियारा ज्यों-ज्यों गहराता जाता है, यहां मौजूद कर्मी अपने असली रूप में नजर आने लगते हैं. यही कारण है कि सरकारी आंकड़ों के इतर भी मातृत्व मृत्यु की दर भयावह है. इस व्यवस्था को अस्पताल प्रशासन की ओर से दुरुस्त करने के बजाय मामले पर मौन रहना ही उचित समझ रहे है. रुपयों के लिए रुलायी जाती है प्रसूतासदर अस्पताल का मेटरनिटी वार्ड दिन के उजाले में जितना सभ्य व सुसंस्कृत दिखता है रात के वक्त उतना ही संवेदनहीन हो जाता है. अक्सर आठ बजे रात के बाद आने वाले गर्भवती वहां कर्तव्य कर रहे महिला स्वास्थ्य कर्मियों के लिए कामधेनु साबित होती है. इन प्रसूताओं में से जो प्रसव के समय राशि देने में आना कानी करते हैं. वैसे प्रसुताओं को तब तक तड़पाया जाता है,जब तक कि उसके परिजन विवश हो कर रुपये देने में आमादा नहीं हो जाता है. रात के समय प्रसव कराने आने वाले लोगों से न्यूनतम एक हजार अधिकतम तीन हजार रुपये तक लिया जाता है. महिला स्वास्थ्य कर्मियों की इन्हीं कारगुजारियों के लिए कई बार वार्ड में हंगामा भी हो चुका है. दम तोड़ चुकीं माताएंसरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रसव के दौरान लेबर रूम में अप्रैल से दिसंबर तक एक दर्जन मौत हो चुकी है. जबकि जमीनी हकीकत यह है कि प्रसव के दौरान प्रसूताओं की मौत कई गुणा ज्यादा है. रात के अंधियारे में होने वाले मौत आसानी से छिपा लिए जाने की बात सामने आ रही है. मौत के तुरंत बाद ही मरीज को घर भेज दिया जाता है. इससे मौत का सच सामने नहीं आ पाता है. जानकार बताते हैं कि रात की ड्यूटी के लिए बोली लगती है. अस्पताल प्रबंधन से सांठ-गांठ भी इस रहस्य को छिपाने में सहायक साबित होता है. बेड में सोते हैं पुरुषमहिला प्रसूताओं के लिए यह वार्ड बना है. आश्चर्य है कि इस वार्ड के बेड पर प्रसूताओं के साथ-साथ महिला पुरुष भी सोये पाये जाते हैं. इतना ही नहीं एक बेड पर तीन चार महिला पुरुष डेरा डाले रहते हैं. इस बाबत वहां तैनात गार्ड ने बताया कि बेड से पुरुष परिजनों को हटाने का निर्देश नहीं मिला है. हमलोग अपनी मर्जी से कैसे वार्ड से बाहर निकाल सकते हैं. टिप्पणी कुछ जांच किट समाप्त हो चुका है, जिससे मरीजों को थोड़ी असुविधा हो रही है. जहां तक मेटरनिटी में रुपये-पैसे लेन देन की बात है, वह संज्ञान में नहीं है. यदि ऐसी शिकायत मिलती है तो कर्मियों पर कार्रवाई की जायेगी. डॉ सुशीला दास,उपाधीक्षक,सदर अस्पताल,पूर्णियाफोटो16 पूर्णिया13परिचय:- मेटरनिटी वार्ड के आगे लगी भीड़
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सदर अस्पताल: मेटरनिटी वार्ड में व्याप्त है बदइंतजामी
सदर अस्पताल: मेटरनिटी वार्ड में व्याप्त है बदइंतजामी केस स्टडी-एकश्रीनगर प्रखंड के देवीनगर से गर्भवती अस्मीना खातुन सदर अस्पताल लायी गयी. मरीज को सदर अस्पताल स्थित पैथोलॉजी में जांच के लिए भेजा गया. किंतु वहां जांच नहीं कर मरीज को जांच हेतु बाहर भेज दिया गया. मजबूरी में बाजार से भीडीआरएल, ब्लड ग्रुप, एचआईवी एवं […]
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