7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एक लाइसेंस से चल रहीं कई दुकानें

गड़बड़झाला : बिना फार्मासिस्ट व लाइसेंस के पूर्णिया में बेची जा रही हैं दवाइयां पूर्णिया : जिले की लगभग सभी दवा दुकानों में विभागीय मानकों को पूरा किये बगैर दवा दुकान चलाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक जिले में कुल 1700 के आस-पास दवा दुकाने हैं, जबकि आंकड़ों […]

गड़बड़झाला : बिना फार्मासिस्ट व लाइसेंस के पूर्णिया में बेची जा रही हैं दवाइयां
पूर्णिया : जिले की लगभग सभी दवा दुकानों में विभागीय मानकों को पूरा किये बगैर दवा दुकान चलाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक जिले में कुल 1700 के आस-पास दवा दुकाने हैं, जबकि आंकड़ों से इतर जिले में लगभग 2500 के आस पास दवा दुकानें चल रही हैं. अधिकांश दुकानों में कागज के फार्मासिस्ट बैठ कर दवा बेच रहे हैं, जबकि 800 के आसपास दवा दुकानों में लाइसेंस नहीं हैं. ये दुकानें विभागीय गंठजोड़ से चलरही है, जहां सरकार की तमाम मानकों की धज्जियां उड़ायी जाती हैं.
विभाग को नहीं पता जिले में कितनी हैं दवा की दुकानें
औषधि निरीक्षण विभाग से पूछने पर गोल-मटोल जवाब दिया जाता है कि जिले में 1700 के आस-पास दवा दुकाने हैं, लेकिन विभाग यह भी बताने में सक्षम नहीं है कि किस प्रखंड में कितनी दवा दुकान हैं. बातचीत में एक औषधि निरीक्षक ने बताया कि इसकी जानकारी लाइसेंस ऑथोरिटी ही दे सकती है.
लाइसेंस ऑथोरिटी यह कह कर पल्ला झाड़ लेती है कि कहां कितनी दुकानें हैं, इसकी जानकारी निकालने में काफी समय लगता है. जानकार बताते हैं कि वास्तविक संख्या बताने में विभाग इसलिए टाल-मटोल करता है कि यदि विभाग सही आंकड़ा प्रस्तुत कर दे तो व्यवसायी व विभागीय गंठजोड़ की कई कलई खुल जाने की संभावना है.
कहीं भी फार्मासिस्ट नहीं
जिले में चल रही अधिकांश दवा दुकानों में फार्मासिस्ट नहीं हैं. उसके स्थान पर महज फार्मासिस्ट के लाइसेंस टांग कर दवा बेचने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है. इतना ही नहीं एक फार्मासिस्ट के लाइसेंस का प्रयोग एक साथ कई दुकानों में किया जाता है. ऐसा नहीं है कि विभाग इस बात से अनभिज्ञ है. विभाग सब कुछ जानता है, लेकिन जान बूझ कर मामले से अनभिज्ञ बना हुआ है.
प्रावधान के अनुसार दवा के रख-रखाव के लिए प्रशिक्षित फर्मासिस्ट रखने का आदेश है. लेकिन इन नियमों का यदि तत्परता से पालन किया जाये तो शायद ही किसी दवा दुकान का शटर खुला मिले. किंतु जांच में औषधी निरीक्षण विभाग इस नियम की चर्चा भी करने से कतराती है.
बिना लाइसेंस के सैकड़ों दुकान
प्रखंडों के ग्रामीण इलाके में सैकड़ों ऐसा दवा दुकान मिल जायेंगे,जो बिना किसी लाइसेंस के विभागीय मेहरबानी से चल रही है. ऐसे दुकानों में तमाम सरकारी नियमों एवं दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ायी जाती है.
इन दुकानों में पटनिया,कलकतिया दवाओं की भरमार रहती है. नियमित जांच में लोग जाते है,जहां महज कोरम पुरा करके वापस चले आते हैं. जानकार बताते हैं कि ऐसे दवा विक्रेताओं के प्रति विभागीय दरियादिली बहुत कुछ बयां कर जाती है. एक दवा दुकान दार ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि दवा का लाइसेंस लेने पर एकमुस्त 24 हजार रुपये की मांग की जाती है. मासिक बंधी रकम अलग से लिया जाता है. इसलिए बिना लाइसेंस लिए मासिक में बढ़ोतरी कर धंधा को चलाते आ रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें