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हड़ताल पर गये परियोजना कर्मी

पूर्णिया: बिहार शिक्षा परियोजना के पूर्णिया कार्यालय में पदस्थापित लेखा पदाधिकारी के साथ डीइओ की ओर से र्दुव्‍यवहार पर परियोजना के कर्मियों ने तालाबंदी कर कलम बंद हड़ताल शुरू कर दी है. इस दौरान हड़ताली कर्मियों ने डीइओ मुरदाबाद के नारे भी लगाये. कर्मियों का कहना था कि लेखा पदाधिकारी मनीष मयंक को डीइओ मो […]

पूर्णिया: बिहार शिक्षा परियोजना के पूर्णिया कार्यालय में पदस्थापित लेखा पदाधिकारी के साथ डीइओ की ओर से र्दुव्‍यवहार पर परियोजना के कर्मियों ने तालाबंदी कर कलम बंद हड़ताल शुरू कर दी है. इस दौरान हड़ताली कर्मियों ने डीइओ मुरदाबाद के नारे भी लगाये. कर्मियों का कहना था कि लेखा पदाधिकारी मनीष मयंक को डीइओ मो हारूण ने 24 मई को अपने सरकारी आवास पर बुला कर उनके साथ अमर्यादित भाषा, गाली-गलौज और मारने का प्रयास किया.
इसके पूर्व भी अन्य कर्मियों तथा असैनिक एवं लेखा शाखा के कर्मियों के साथ इसी तरह का व्यवहार किया जाता रहा है. इस संबंध में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद इंप्लाइज यूनियन के जिला इकाई की एक आपात बैठक हुई. इसमें उचित कार्रवाई होने तक सभी कर्मियों के कलम बंद हड़ताल पर रहने का निर्णय लिया गया. साथ ही इन तथ्यों से डीएम, आयुक्त, राज्य परियोजना निदेशक और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना को लिखित रूप में अवगत कराने की बात कही गयी. इस संबंध में लेखा पदाधिकारी मनीष मयंक ने बताया कि रविवार को दोपहर 2.32 बजे डीइओ की ओर से शौचालय योजना के चेक पर हस्ताक्षर करवाने के लिए उन्हें आवास पर बुलाया गया. जब उक्त चेक लेकर उनके आवास पर गया, तो उन्होंने वाहन में तेल देने की बात को लेकर मुझसे अभद्र व्यवहार किया. गालियां दी और मुङो मारने के लिए तेजी से मेरी ओर झपटे. रस्सी से बांध कर मारने की बात कही गयी. इसके बाद मैंने एसएसए के डीपीओ से मिल कर उन्हें वस्तु स्थिति से अवगत कराया.
एसएसए के डीपीओ विजय कुमार झा ने बताया कि हड़ताली कर्मियों को उनका नैतिक समर्थन है. चूंकि उनके साथ गलत हुआ है. उनके कार्यालय की संचिका पर आदेश देने में डीइओ द्वारा जानबूझ कर विलंब किया जाता है. एक-एक महीने तक संचिका को रोकी जाती है. इससे स्कूलों में विकास का कार्य प्रभावित होता है. संचिका पर बैक डेट में हस्ताक्षर कर लौटायी जाती है. इधर, डीइओ मो हारूण ने इसे साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि बीइपी कर्मियों की ओर से काफी अनियमितता बरती जा रही है. इसकी खोज-खबर लेने पर वे लोग अनर्गल बयान दे रहे हैं. लेखापाल गलत चेक पर हस्ताक्षर कराना चाह रहे थे. इसके पूर्व भी वह गलत तरीके से रुपये की निकासी कर चुके हैं. बीइपी में डीइओ की गाड़ी के लिए तेल मद में तीन लाख का आवंटन पूरे साल में होता है. इसके बावजूद वे लोग तेल का कूपन नहीं देना चाहते हैं.

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