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सदर अस्पताल: भीड़ नियंत्रण के लिए लगाया गया था क्यू डिस्प्ले बोर्ड, चंद माह में ही क्यू मैनेजमेंट फ्लॉप

पूर्णिया: ओपीडी में लगने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से पिछले वर्षो ओपीडी में तत्कालीन डीएम के प्रयास से क्यू मैनेजमेंट सिस्टम लगाया गया था. यह सिस्टम लगने के कुछ माह बाद ही खराब हो गया. लाखों रुपये पानी में चले गये. लोग इसकी भी जांच की मांग करने लगे हैं. इस मशीन […]

पूर्णिया: ओपीडी में लगने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से पिछले वर्षो ओपीडी में तत्कालीन डीएम के प्रयास से क्यू मैनेजमेंट सिस्टम लगाया गया था. यह सिस्टम लगने के कुछ माह बाद ही खराब हो गया. लाखों रुपये पानी में चले गये. लोग इसकी भी जांच की मांग करने लगे हैं. इस मशीन के खराब होते ही भीड़ की स्थिति एक बार फिर पूर्ववत हो गयी. फिलवक्त ओपीडी में इलाज के लिए धक्का-मुक्की की स्थिति देखने को मिल रही है.
लाखों की लागत से लगा था सिस्टम : ओपीडी में लगने वाली भीड़ को देखते हुए तत्कालीन डी एम मनीष कुमार वर्मा की पहल पर यह सिस्टम लगा था. बताया जाता है कि क्यू मैनेजमेंट सिस्टम लगाने में लगभग ढाई लाख रुपये खर्च आया था, लेकिन सिस्टम लगने के कुछ समय बाद ही सिस्टम खराब हो गया. इसकी कभी भी मरम्मत कराने की कोशिश भी नहीं की गयी. लिहाजा लाखों रुपये के उपस्कर पानी में चले गये. मरीज इलाज के लिए अब भी धक्का-मुक्की करते रहते हैं.
इस बरबादी के जिम्मेवार कौन : क्यू मैनेजमेंट सिस्टम में लाखो रुपये वारे न्यारे हो गये. मशीन कुछ ही माह में दम तोड़ दिया. यह मशीन अब कचरे दान में पड़ा हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकारी राशि के बरबादी की जिम्मेदारी कौन लेगा. लोग यहां तक कहने लगे हैं कि भारी राशि के बरबादी की भी जांच होनी चाहिए.
कार्ड सिस्टम भी नहीं हुआ लागू : ओपीडी की भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से पिछले वर्ष रोगी कल्याण समिति की बैठक में कार्ड सिस्टम लागू करने की योजना बनायी थी. इस योजना के तहत मरीजों को निबंधन के साथ ही ओपीडी में प्रवेश के लिए एक कार्ड दिया जाता. जितने मरीज होते थे उतने ही कार्ड निर्गत किये जाते, ताकि मरीज के साथ अन्य कोई ओपीडी कक्ष में प्रवेश नहीं कर पाये. असमर्थ मरीजों के साथ एक दो व्यक्ति सहारा देने के लिए अंदर जाने की छूट रहती थी. अस्पताल प्रशासन का मानना है कि यह सिस्टम लागू हो जाने से भीड़ काफी हद तक नियंत्रण में रहेगी, लेकिन यह योजना भी अब तक खटाई में है. बहरहाल वही धक्का-मुक्की के माहौल में ही मरीज इलाज करा रहे हैं.
क्या है क्यू मैनेजमेंट : क्यू मैनेजमेंट सिस्टम के तहत एक कलर डिस्पले बोर्ड ओपीडी के बाहर लगाया गया था. इस सिस्टम के तहत मरीजों को निबंधन के साथ एक टोकन दिया जाता था. इसमें मरीज का क्रमांक एवं कमरा संख्या अंकित रहता था. कलर डिस्पले का कमांड विभागीय डॉक्टरों के हाथ में होता था. डॉक्टर सामने वाले मरीजों को देखने के बाद अगले मरीज को बुलाने के लिए सिस्टम के बटन को दबा देते थे. इससे मरीज डिस्पले पर अपनी संख्या एवं कमरा संख्या देख कर डॉक्टर के पास आसानी से चले जाते थे. अफसोस कि यह सिस्टम चंद माह ही सेवा में रहा.

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