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सावधान! सीमांचल में पांव फैला सकता है स्वाइन फ्लू

पूर्णिया: स्वाइन फ्लू का कहर पूरे देश में बढ़ता जा रहा है. बिहार के सीमावर्ती राज्यों में फ्लू ने दस्तक दे दी है. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह सीमांचल में भी दस्तक दे सकता है. यह जानलेवा बीमारी हमला करे, इससे पहले बचाव के उपाय कर लिए जाने चाहिए, […]

पूर्णिया: स्वाइन फ्लू का कहर पूरे देश में बढ़ता जा रहा है. बिहार के सीमावर्ती राज्यों में फ्लू ने दस्तक दे दी है. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह सीमांचल में भी दस्तक दे सकता है. यह जानलेवा बीमारी हमला करे, इससे पहले बचाव के उपाय कर लिए जाने चाहिए, ताकि रोग का खतरा काफी कम हो जाये. वैसे इस बीमारी को लेकर सदर अस्पताल के फ्लू वार्ड को अलर्ट कर दिया गया है.

स्वाइन फ्लू के लक्षण

स्वाइन फ्लू वायरस से होता है. स्वाइन एनफ्लूएंजा के एच 1 एन 1 वायरस के शरीर में फैलने से होता है. इससे आक्रांत मरीजों को अन्य बुखार की तरह तेज बुखार, सर्दी व जोड़ों में दर्द भी होता है. रोग बढ़ने के साथ-साथ और भी कई अन्य लक्षण देखने को मिलते हैं. यह रोग एक-दूसरे के शरीर में छींकने, थूकने व खांसने के क्रम में प्रवेश करता है. ऐसा लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए.

क्या है इलाज

स्वाइन फ्लू में एंटी वायरल दवा के साथ बुखार की दवा भी दी जाती है. इस रोग से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाया जाता है. साथ ही मरीजों को विटामिन डी भी के डोज भी दिये जाते हैं.

आयुर्वेद में बचाव के उपाय

स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए जीवन शक्तिवर्धक के रूप में हल्दी, तुलसी, नीम, गिलोय, आंवला, ग्वारपाठा, लहसून व अदरख आदि का नियमित सेवन उचित माना जाता है. रोग नाशक द्रव्य में सुदर्शन क्वाथ या वटी आदि का सेवन उत्तम माना जाता है. पाचन तंत्र को स्वस्थ करने के लिए हल्का गरम व ताजा भोजन के साथ साथ नींबू,आंवला, मोसम्मी का रस व हल्दीयुक्त दूध के साथ-साथ अधिक से अधिक मात्र में पानी का सेवन लाभकारी माना गया है.

सीमांचल बन सकता है नया ठिकाना

सीमांचल क्षेत्र के अधिकांश लोग रोजी रोटी के लिए राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व दिल्ली आदि इलाकों में काम करने जाते हैं. इससे स्वाइन फ्लू को साथ लेकर आ सकते हैं, जिससे इस इलाके में इस रोग के फैलने की संभावना बढ़ गयी है. स्वास्थ्य विभाग ने बाहर से आने वाले लोगों की जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है.

सदर अस्पताल में है फ्लू वार्ड

पिछले वर्षो में स्वास्थ्य विभाग ने सदर अस्पताल में फ्लू वार्ड की स्थापना के साथ ही फ्लू की तमाम चिकित्सकीय व्यवस्था कर दी गयी है. वैसे अस्पताल प्रशासन इस रोग के प्रति चौकस है. बताया जा रहा है कि अब तक पूर्णिया में एक भी मरीज स्वाइन फ्लू के नहीं पाये गये हैं, जिससे विभाग थोड़ा राहत महसूस कर रहा है.

स्वाइन फ्लू को लेकर चिकित्सकों ने दी सलाह

स्वाइन फ्लू की शीघ्र पहचान कर इलाज शुरू कर दिये जाने से रोगी को बचाया जा सकता है. इस रोग में विटामिन डी के साथ-साथ बुखार को कम करने की दवा दी जाती है. एंटी वायरल दवा भी मरीज को दी जाती है. मरीज को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा या खान-पान देना भी लाभ कारी हो सकता है.

डॉ डी राम, फिजिशियन

स्वाइल फ्लू गर्भवती महिलाओं को आसानी से अपना शिकार बनाता है. साथ ही गर्भपात के बाद भी महिलाओं को स्वाइन फ्लू अपने पंजे में जकड़ लेता है. क्योंकि ऐसी स्थिति में बच्चदानी का मुंह खुला रहता है. रोग के वायरस आसानी से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. इस तरह की महिलाओं को ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता होती है.

डा शाजिया खान, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ

होमियो पैथ में स्वाइन फ्लू की दवा उपलब्ध है. इस दवा से स्वाइन फ्लू को आसानी से खत्म किया जा सकता है. होमियो पैथ में इसके वायरस को समूल नष्ट करने की दवा है.

डॉ मनोज केसरी, चिकित्सक, होमियोपैथ

आयुर्वेद के अनुसार जीवनीय शक्तिवर्धक, रोगनाशक व पाचन तंत्र स्वस्थ रखने की दवा मौजूद है. इन दवाओं से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए चूर्ण, क्वाथ व वटी आदि उपलब्ध हैं.

डॉ एस एम झा,आयुर्वेद

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