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फरजी इपिक बनाने का भंडाफोड़
फरजी प्रमाण पत्र बनाने के लिए ऑरिजनल लोगो का किया जाता है प्रयोग अधिकांश मामले सामाजिक सुरक्षा से संबंधित केनगर व जलालगढ़ में चल रही छापेमारी पूर्णिया : सदर अनुमंडल में चल रहे फरजी इपिक कार्ड के बड़े खेल का भंडाफोड़ प्रशासन ने किया है. इस आधार पर सैकड़ों दस्तावेज भी रद्द किये गये हैं. […]
फरजी प्रमाण पत्र बनाने के लिए ऑरिजनल लोगो का किया
जाता है प्रयोग
अधिकांश मामले सामाजिक सुरक्षा से संबंधित
केनगर व जलालगढ़ में चल रही छापेमारी
पूर्णिया : सदर अनुमंडल में चल रहे फरजी इपिक कार्ड के बड़े खेल का भंडाफोड़ प्रशासन ने किया है. इस आधार पर सैकड़ों दस्तावेज भी रद्द किये गये हैं. इससे पूरे इलाके में खलबली मच गयी है.
सदर एसडीओ कुंदन कुमार ने बताया कि केनगर प्रखंड में ग्रामीणों की शिकायत पर पिछले कई दिनों से छापेमारी करायी जा रही थी. इसी बीच कई दस्तावेज ऐसे मिले जिसमें कई त्रुटियां थी, लेकिन वे त्रुटियां किसी भी हालत में प्रथम दृष्टया नहीं पकड़ी जा सकती थी. उन्होंने बताया कि शिकायतों पर गंभीरता से गौर किया गया, तो गड़बड़ियां पकड़ायी.
यह जांच लगातार जारी है. इसी जांच के क्रम में श्रीनगर प्रखंड से भी पिछले दिनों बड़ी संख्या में फरजी दस्तावेज पकड़े गये थे. अब केनगर व जलालगढ़ में जांच चल रही है. वहां से भी बड़ी-बड़ी शिकायतें आ रही हैं.
उन्होंने बताया कि इस फरजी कारोबार में एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है. जो विभिन्न प्रखंडों में जा कर अपनी चिकनी चुपड़ी बात लोगों को सुनाता है और उसका इपिक कार्ड ले लेता है. बाद में उस कार्ड का लोगो बड़ी चतुराई से अलग कर लिया जाता है. उस लोगो को फरजी इपिक कार्ड में सेटिंग कर दिया जाता है.
यह रैकेट बीस वर्ष के लड़के को 65 वर्ष का बना देता है, यानि इपिक कार्ड में उम्र बढ़ा कर उसे सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लायक बना देता है. इसके बाद लोगों को लाभ दिलाता है. उन्होंने बताया कि यह रैकेट गांवों के लोगों को यह भी बताता है कि उन्हें यह लाभ लंबे दिनों तक मिलेगा. इसलिए पहले साल का सरकारी लाभ से मिलनेवाली राशि के बराबर रकम पहले ही वसूल लेता है.
एसडीओ श्री कुमार ने बताया कि इसी जांच के क्रम में जलालगढ़ प्रखंड में कई इपिक कार्ड के लोगो मिले हैं और नशीली दवाओं का भी जखीरा मिला है. सभी मामलों की गंभीरता से जांच की जा रही है.
कैसे पकड़ाया मामला : एसडीओ ने बताया कि सामाजिक सुरक्षा कोषांग के लिए प्रखंड से भेजे गये दस्तावेज में लाभुक शिवन ऋषि का पहचान पत्र का फोटो स्टेट फाइल में लगी हुई थी. उसी फाइल में उसके ऑरिजनल इपिक का भी फोटो स्टेट था. अचानक जब दोनों पर नजर पड़ी, तो एक जनवरी 2002 को उसकी उम्र डुप्लीकेट इपिक में 52 वर्ष था, जबकि ऑरिजनल इपिक में 40 वर्ष.
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