पूर्णिया : फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश द्वितीय रमेश चन्द्र मिश्रा ने ढाई साल पूर्व हुई हत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए 20 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनायी है. सभी अभियुक्तों को आजीवन कारावास के अलावा प्रत्येक को 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने उम्र कैद की सजा के अलावा सभी अभियुक्तों को अलग-अलग धाराओं में भी कम से कम एक माह से लेकर तीन वर्ष तक के साधारण और कठोर कारावास की सजा सुनाई है.
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ढाई साल पुराने हत्या के मामले में 20 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा
पूर्णिया : फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश द्वितीय रमेश चन्द्र मिश्रा ने ढाई साल पूर्व हुई हत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए 20 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनायी है. सभी अभियुक्तों को आजीवन कारावास के अलावा प्रत्येक को 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने उम्र कैद […]
सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. जिन लोगों के खिलाफ सजा सुनायी गयी है उनमें मेहदी अंसारी, बेचन अंसारी उर्फ गुलाम सरबर, आजाद अंसारी, हैदर अंसारी, मोहसिन आलम, तासो अंसारी, तवरेज आलम, वसीम आलम, जमाल अंसारी, कमाल अंसारी, शहजाद अंसारी, छोटे अंसारी उर्फ मजरे आलम, नेक मोहम्मद, मो. सलाउद्दीन, खतरा उर्फ शहाबुद्दीन, नशाउल, कमाल अंसारी, रहमान अंसारी, इबरान उर्फ डोना आलम एवं तहसील आलम उर्फ तहसीद आलम शामिल हैं.
इस मामले में अपर लोक अभियोजक रमाकांत ठाकुर ने आठ गवाहों का न्यायालय में परीक्षण कराया. सारे गवाहों ने घटना का समर्थन किया. सारे तथ्यों को देखते हुए न्यायालय ने अन्तत: भारत दण्ड विधान की धारा 302 और 149 में आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को दस-दस हजार का जुर्माना, धारा 147 में दो वर्ष कठोर कारावास, धारा 148 में तीन वर्ष की सजा, धारा 341 में एक माह की सजा, धारा 324 में तीन वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनायी. इस मुकदमे में कुल 24 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था परंतु पुलिस ने मात्र उपरोक्त 20 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था.
शेष के खिलाफ फाइनल फॉर्म दाखिल किया था परंतु गवाहों की गवाही में आये साक्ष्य के आधार पर नियमों के अनुसार उन चार अभियुक्तों को भी न्यायालय द्वारा सम्मन भेजा गया है. आलम के सिर पर गड़ासा से प्रहार कर किया था घायल, इलाज के दौरान हो गयी थी मौत
यह मामला सत्रवाद संख्या 76/2017 से संबंधित है. इस केस के वादी मो. अमरुल आलम ने बनमनखी थाना कांड संख्या 183/2016 दर्ज कराया था. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार वादी के पिता सोयब आलम के पास दस-पन्द्रह की संख्या में ग्रामीण आये और उनसे पूछा कि सरकारी रूपए का क्या हुआ. दरअसल, बकरीद में जो मवेशी का चमड़ा बेचा गया उसके रुपये जमा किए गये थे.
उसी सरकारी रुपये की बात वे लोग कर रहे थे. वादी के पिता सोयब ने कहा कि उसकी मुलाकात सामो से हुई थी. उसने कहा है कि रुपये का इंतजाम कर अगले एक-दो दिनों में सारा रुपये दे देगा. यह सुनने के बाद सभी लोग चले गये.
दूसरे दिन 14 नवंबर 2016 को सुबह साढ़े सात बजे सभी अभियुक्त हरवे-हथियार से लैस होकर वादी के घर के पास पहुंच गये तथा वादी के पिता सोयब आलम को जान मारने की नीयत से उनके सर पर गरांसा से हमला किया. इससे उनकी कनपट्टी पर गहरा जख्म हो गया. वे वहीं खून से लथपथ होकर सड़क पर गिर गये. इसके बाद भी वे सभी तलवार एवं अन्य हथियारों से मार कर उन्हें बुरी तरह से जख्मी कर दिया.
हल्ला होने पर वादी अमरुल आलम दौड़ कर वहां पहुंचे और देखा कि उनके पिता खून से लथपथ होकर सड़क पर गिरे पड़े हैं. आरोपियों ने उनके पिता के पास से रुपये भी छीन लिए. घायलावस्था में उन्हें बनमनखी अस्पताल पहुंचाए जहां गंभीर स्थिति को देख कर डाक्टर ने सिलीगुड़ी रेफर कर दिया. इलाज के लिए ले जाने के क्रम में रास्ते में ही उनकी मौत हो गयी.
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