प्रशांत चौधरी, पूर्णिया : पिछले एक दशक से पूर्णिया में जमीन खरीद-बिक्री का कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है. जो लोग कल तक साइकिल पर चलते थे, वे लग्जरी वाहन के मालिक बन चुके हैं. वर्ष 2008 से पूर्णिया में खास कर शहरी क्षेत्र की जमीन की कीमत तेजी से बढ़ने लगी.
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जमीन के कारोबार में दबंगों की बढ़ी दबिश, अपराधियों ने बनाया सिंडिकेट
प्रशांत चौधरी, पूर्णिया : पिछले एक दशक से पूर्णिया में जमीन खरीद-बिक्री का कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है. जो लोग कल तक साइकिल पर चलते थे, वे लग्जरी वाहन के मालिक बन चुके हैं. वर्ष 2008 से पूर्णिया में खास कर शहरी क्षेत्र की जमीन की कीमत तेजी से बढ़ने लगी. पूर्व में पूर्णिया […]
पूर्व में पूर्णिया की जमीन की कीमत अन्य जिलों की अपेक्षा काफी कम थी. कोसी त्रासदी के बाद मधेपुरा, सुपौल एवं सहरसा जिले की बड़ी आबादी ने सुरक्षित ठिकाने की तलाश में पूर्णिया का रूख किया.
ऐसे में यहां जमीन का कारोबार काफी फलने-फूलने लगा. बाद में जमीन के कारोबार में अपराधियों की मदद ली जाने लगी. विवादित जमीन पर कब्जा दिलाने के खेल में अपराधियों के इस्तेमाल का नया प्रचलन शुरू हुआ जो अब तलक जारी है.
नतीजा यह है कि अब अपराधी भी जमीन ब्रोकरी के धंधे में सक्रिय हो गये हैं. इस वजह से जमीन के विवाद में अक्सर गोलियां चलती रहती है. जमीन विवाद को लेकर बाड़ीहाट मोहल्ले में एक सप्ताह पूर्व चली गोलियां शहर की पहली घटना नहीं है.
इस घटना से पूर्व भी जमीन विवाद को लेकर कई बार गोलियां चलीं पर बावजूद इसके पुलिस प्रशासन हमेशा मूक दर्शक बना रहा. ऐसे मामलों में पुलिस की खामोशी और कार्यशैली पर सवाल उठाए जाने लगे हैं.
अपराधी बन गये जमीन कारोबारी
कम लागत में कई गुणा आमदनी देख बड़ी संख्या में लोगों की रूझान जमीन कारोबार में बढ़ने लगी. इस कारोबार में वैसे लोगों को भी मुनाफा होने लगा जो ग्राहकों को खोज कर जमीन कारोबारियों से मिलाते थे. देखते ही देखते शहर के हजारों खाली प्लाट बिकने लगे और जमीन कारोबारी आलीशान जिंदगी जीने लगे.
इस धंधे में फायदा देखकर अपराधियों ने लूट, हत्या और फिरौती का कारोबार छोड़ कर जमीन के कारोबार को अपनाना आरंभ कर दिया. खास बात यह रही कि कई ऐसी विवादित जमीन थी जिसे बेचने के लिए जमीन कारोबारी अपराधियों की मदद लेने लगे. इस काम में अपराधियों को मुनाफे का मन मुताबिक हिस्सा दिया जाता रहा है.
कालान्तर में जमीन कारोबारी सिंडिकेट बना कर कारोबार करने लगे. इस सिंडिकेट में बगैर पूंजी लगाए अपराधी भी हिस्सेदार बन बैठे. यह सिलसिला वर्ष 2010 के बाद से चलता रहा. आज आलम यह है कि पूर्व के वांछित अपराधी समाज की मुख्य धारा से जुड़ कर इस धंधे में करोड़ों के मालिक बन गये.
बीते दो वर्षों में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाली नई पौध भी इस धंधे में आगे आए और पुराने अपराधियों को चुनौती देते हुए जमीन कारोबार में दो-दो हाथ करने पर उतारू हो गये. शहर में कई पुराने विवादित जमीन की डील अब नये अपराधी करने लगे हैं.
नगर निगम बनने से बदला जमीन का मिजाज
वर्ष 2010 में पूर्णिया शहर को नगर निगम का दर्जा मिला. शहरी क्षेत्र में कुल 46 वार्ड बनाये गये. इनमें दो दर्जन ऐसे वार्ड बने जहां आबादी न्यूनतम थी. इन क्षेत्रों के खाली जमीन पर जमीन कारोबारियों की नजर लगी और अपराधियों के बलबूते कारोबार शुरू हुआ. नगर निगम बनने से जमीन की कीमत में उछाल आयी.
जो जमीन हजारों में बेची जा रही थी वह लाखों में बिकने लगी. इस कारोबार में सैकड़ों लोगों के जुड़ने से खाली जमीन कम पड़ गयी. आलम यह रहा कि अब जो भी जमीन बची है वह विवादित है. विवादित जमीन पर कब्जा जमाने के लिए अपराधियों की सक्रियता बढ़ने लगी है.
यही वजह है कि अक्सर जमीन घेराबंदी या फिर मापी को लेकर गोलियां चल रही हैं. हाल के दिनों में बाड़ीहाट के अलावा विकास बाजार के निकट, सिपाही टोला, रामबाग, साहिवान हाता, उफरैल, मिल्की, रामनगर, जयप्रकाश कॉलोनी आदि में कई ऐसे विवादित खाली जमीन हैं जहां दो पक्षों के बीच गोलियां चली है.
डॉक्टर, पुलिस- प्रशासन, नेता व पत्रकार भी हैं ब्रोकरी के धंधे में
वैसे तो शहर के कई नामचीन डॉक्टरों ने जमीन में बहुत रुपये इंवेस्ट कर रखा है. इनके ही धारा पर चल कर यहां के कई पुलिस, नेता और कुछ पत्रकारों ने भी जमीन के खरीद बिक्री का धंधा शुरू कर रखा है. जानकार बताते हैं कि कई पुलिस वालों की पार्टनरशिप पुराने जमीन ब्रोकरों के साथ है.
जबकि कुछ पत्रकार भी इस कारोबार में अपनी किस्मत अजमाकर आलीशान जिंदगी जी रहे हैं. शहर के कई पुराने थानेदारों की खरीदी गयी जमीन जगजाहिर है. वहीं इस कारोबार में जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी किसी से पीछे नहीं रहे. इन आला अधिकारियों की जमीन कौड़ी के भाव में बीघे में खरीदी गयी है.
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