17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पति की दीर्घायु को नवविवाहित महिलाओं ने की मधुश्रावणी पूजा

नागपंचमी के दिन से ही शुरू हो जाता है मधुश्रावण दो अगस्त से शुरू हुई यह पूजा 14 अगस्त तक चलेगी पूर्णिया : मिथिलांचल का लोकपर्व मधुश्रावणी पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है. इस पर्व में पुरोहित और यजमान दोनों ही महिलाएं होती हैं. मधुश्रावणी पूजा विवाह के बाद पहले सावन के नागपंचमी […]

नागपंचमी के दिन से ही शुरू हो जाता है मधुश्रावण

दो अगस्त से शुरू हुई यह पूजा 14 अगस्त तक चलेगी
पूर्णिया : मिथिलांचल का लोकपर्व मधुश्रावणी पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है. इस पर्व में पुरोहित और यजमान दोनों ही महिलाएं होती हैं. मधुश्रावणी पूजा विवाह के बाद पहले सावन के नागपंचमी के दिन शुरू होता है और तेरह दिनों तक लगातार पूजा होती है. मधुश्रावणी पर्व का महत्व कायस्थ व ब्राह्मण समाज में पूजी जाती है और अब तो अन्य समाज की कुछ नवविवाहिता अपने पति की दीर्घायु के लिए इस पर्व को करने लगी है. यह पूजा 2 से 14 अगस्त तक चलेगी. मधुश्रावणी में सुबह कथा वाचन होता है.
पूजा शुरू होने से पूर्व नवविवाहिता दुल्हन की तरह सजती है तत्पश्चात पूजा पर बैठतीं है. शाम में नवविवाहिता अपनी सहेलियों के साथ फूल व पत्र लोढ़ने जाती है. जो देखते ही बनता है. सुबह की पूजा बासी फूल से होती है जिसे शाम में लोढ़ने के दौरान उपयोग में लाया जाता है. इसी फूल से व्रती सुबह में गौरी पूजा करती हैं. पूजा के दौरान तेरह दिनों तक अरबा भोजन करती है.
मिथिला में पति की दीर्घायु के लिए नवविवाहिता अपने मायके में इस पर्व को मनाती है. इस दौरान उसे गृहस्थ जीवन में प्रवेश की कथा-कहानी सुनायी जाती है. कथा कहने वाली द्वारा प्रतिदिन मधुश्रावणी व्रत पुस्तिका से एक कथा कही जाती है. प्रतिदिन आगत महिलाओं द्वारा गोसाईं गीत, विषहरा, गोरी आदि की गीत गायी जाती है. मान्यता है कि सावन में बरसात मौसम में सांप अपने बिल से बाहर निकलते हैं, जिससे पति को बचाने के लिए दिर्घायु होने की कामना लिए विषहरा पूजा की जाती है. मधुश्रावणी के अंतिम दिन टेमी दागने की परम्परा है.
नवविवाहिता को ‘अग्निपरीक्षा’ से भी गुजरना होता है. इसके तहत उसके पांव पर पान का पत्ता रखकर टेमी (बाती) से जलाया जाता है. कहा जाता है कि इससे उसकी सहनशक्ति का पता चलता है. इस दिन नवविवाहिता के ससुराल से अहिबाती भोज (भार) का सामान आता है. जिसमें पांच तरह का फल, मिठाई सहित कथा कहने वाली के परिधान, व्रती के पारिवारिक महिलाएं के साथ-साथ घर के छोटे-छोटे बच्चों के वस्त्र भेजा जाता है. टेमी के रोज पूजा समाप्ति के बाद व्रती आगत महिलाओं के साथ बैठकर खीर व फल खाती है. मधुश्रावणी पूजा को लेकर मिथिलांचल में गांव व शहरों में माहौल बड़ा मनोरम सा दिख रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें