पिछले साल मॉनसून के दगा दे जाने से सशंकित थे किसान
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बारिश ने लौटायी किसानों के चेहरे की रौनक, खेती में होगी सुविधा
पिछले साल मॉनसून के दगा दे जाने से सशंकित थे किसान धान के बिचड़े के लिए पर्याप्त बारिश से चिंतामुक्त हुए किसान पूर्णिया : रविवार की रात से हो रही बारिश ने किसानों के होठों की लाली लौटा दी है. मॉनसून के रूठ जाने के कारण मौसम का गर्म मिजाज देख इस साल किसान काफी […]
धान के बिचड़े के लिए पर्याप्त बारिश से चिंतामुक्त हुए किसान
पूर्णिया : रविवार की रात से हो रही बारिश ने किसानों के होठों की लाली लौटा दी है. मॉनसून के रूठ जाने के कारण मौसम का गर्म मिजाज देख इस साल किसान काफी हताश और निराश हो रहे थे. वहीं अब न तो खेतों में नमी की कमी रही और न ही बिचड़ा गिराने में कोई कठिनाई. बीते रविवार से यहां रुक-रुक कर बारिश हो रही है. मंगलवार की सुबह भी 2.91 मिमी. बारिश हुई और इसके साथ ही किसान बिचड़ा गिराने के लिए अपने खेतों की तरफ निकल चले. दरअसल, धान के खेत में समय पर उचित मात्रा में 4 से 5 से.मी. पानी रहना जरुरी होता है.
हालांकि अभी भी पर्याप्त पानी नहीं हुआ है,
पर किसानों को इस बात की राहत है कि खेतों की नमी वापस लौट आयी है. दरअसल, बिचड़ा लगाने का मौसम 1 से 15 जून के बीच होता है और इस बीच मौसम का मिजाज इतना गर्म रहा कि खेतों की नमी खत्म होने लगी थी. किसानों ने बारिश की आस में माकूल समय पर जो बिचड़ा गिराए थे उसमें कड़ी धूप और नमी के अभाव में पीलापन आने लगा था. वैसे कई किसानों ने नमी बरकरार रखने के लिए पंपसेटों का इस्तेमाल किया था पर किसान खुद मानते हैं कि पंपसेट के भरोसे बारिश का मुकाबला नहीं किया जा सकता क्योंकि खेतों को हर हाल में बारिश का पानी चाहिए.
मौसम की बेरुखी से परेशान थे किसान. पूर्णिया के किसान पिछले साल के मॉनसून के नखड़े को लेकर चिन्तित थे क्योंकि गत वर्ष बारिश ने उन्हें खूब सताया. यही वजह है कि पिछले दो दिनों से हो रही बारिश ने उनकी चिन्ता और मुश्किलें हल कर दी है. सोमवार और मंगलवार को हुई बारिश किसानों में उम्मीदें भर दी क्योंकि सूखते खेतों में नमी लाकर बारिश ने जान फूंक दी है. किसान मानने लगे हैं कि मौसम ने साथ दिया तो आशा के अनुरुप धान का उत्पादन संभव हो जाएगा. इस बारिश का फायदा उठाते हुए किसानों ने कहीं खेतों में हल चला कर कादो किया तो कहीं बिचड़े भी गिराए.
सब्जी खेती को है नुकसान. दूसरी ओर सब्जी की खेती के लिए यह बारिश परेशानी बन कर आयी है. सब्जी के खेतों में जल जमाव हो गया है जिससे सब्जी के पौधों के गलने की संभावना बन गयी है. इस नजरिये से सब्जी उगाने वाले किसानों ने मंगलवार को बारिश रुकते ही खेतों से पानी निकालने की जुगत भिड़ानी शुरू कर दी. किसानों का कहना है कि सब्जी के खेतों से पानी निकल गया तो स्थिति संभाली जा सकती है. अलबत्ता धान किसानों की बल्ले-बल्ले है.
बिचड़ा का समय
बिचड़ा- 01 जून से 15 जून
शंकर धान- 10 जून से 15 जून
रोपनी- 01 जुलाई से 31 जुलाई
अधिकारी बोले
इस बारिश का किसानों को इंतजार था. इससे जहां खरीफ की खेती को लाभ होगा वहीं दलहन की फसलें भी लाभान्वित होंगी. खास तौर पर धान का बिचड़ा गिराने के लिए उपयुक्त पानी हो गया है.
सुरेंद्र प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी, पूर्णिया
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