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दर्द से तड़पती रही सुलेखा, पर नहीं पसीजा दिल
पूर्णिया : सदर अस्पताल के महिला सर्जरी वार्ड में अथाह दर्द से कराहती रही सुलेखा, लेकिन अस्पताल के किसी भी स्वास्थ्य कर्मी की संवेदना नहीं जगी. सुलेखा को फांसी के कारण एेंठन हो रही थी. उसे संभालने के लिए दो महिला परिजन मौजूद थी. लेकिन दर्द से उपजी ताकत के सहारे वह परिजनों को झकझोर […]
पूर्णिया : सदर अस्पताल के महिला सर्जरी वार्ड में अथाह दर्द से कराहती रही सुलेखा, लेकिन अस्पताल के किसी भी स्वास्थ्य कर्मी की संवेदना नहीं जगी. सुलेखा को फांसी के कारण एेंठन हो रही थी. उसे संभालने के लिए दो महिला परिजन मौजूद थी. लेकिन दर्द से उपजी ताकत के सहारे वह परिजनों को झकझोर देती थी.
उसकी मां लगातार रोते हुए मदद की गुहार लगाती रही. लेकिन वहां मौजूद महिला अथवा पुरुष स्वास्थ्य कर्मी की संवेदना नहीं जगी. तब तक वहां मीडिया का जमावड़ा लग चुका था. मीडिया की मौजूदगी को देखते हुए कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मी वहां पहुंची और तुरंत रेफर टू हाइयर सेंटर का स्लीप थमा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली. परिजन बार बार यही कह रहे थे कि स्वास्थ्य कर्मी शुरू से ही सुलेखा का केयर करती तो शायद उसकी हालत नहीं बिगड़ती.
गौरतलब है कि श्रीनगर थाना क्षेत्र के संतनगर चनका गांव में घरेलू कलह की वजह से फांसी के फंदे पर सुलेखा झुल गयी थी. परिजनों ने तत्परता दिखाते हुए उसे फांसी से उतारा और तुरंत इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया. जहां डॉक्टरों ने उक्त छात्रा की हालत गंभीर देखते हुए हाइयर सेंटर रेफर कर दिया.परिजनों ने बताया कि मधुसूदन मरैया की पंद्रह वर्षीया पुत्री सुलेखा कुमारी ने अपनी मां से कहा सूनी होने पर फांसी के फंदे पर लटक गयी. सुलेखा की हालत अत्यंत गंभीर है. सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे कटिहार मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. सुलेखा तो महज एक बानगी है. इस अस्पताल में रोजाना कई मरीज डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों के अनदेखी का शिकार हो रहे हैं और रेफर करना अचूक हथियार बन गया है.
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