9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हाइकोर्ट के आदेश से पैथोलॉजी संचालकों की उड़ी नींद

पूर्णिया : उच्चतम न्यायालय द्वारा पैथोलॉजी संचालन के लिए जो न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गयी है, उसके बाद से पैथोलॉजी संचालकों में बेचैनी बढ़ी हुई है. वजह साफ है कि अगर न्यायालय के आदेश का पालन होता है तो पैथोलॉजी का संचालन आसान नहीं होगा. क्योंकि पैथोलॉजी चलाने के लिए सेंटर में एमडी पैथोलॉजी डिग्री […]

पूर्णिया : उच्चतम न्यायालय द्वारा पैथोलॉजी संचालन के लिए जो न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गयी है, उसके बाद से पैथोलॉजी संचालकों में बेचैनी बढ़ी हुई है. वजह साफ है कि अगर न्यायालय के आदेश का पालन होता है तो पैथोलॉजी का संचालन आसान नहीं होगा. क्योंकि पैथोलॉजी चलाने के लिए सेंटर में एमडी पैथोलॉजी डिग्री धारी चिकित्सक का उपस्थित रहना आवश्यक है. वहीं जमीनी हकीकत यह है कि जिला मुख्यालय में सैकड़ों ऐसे पैथोलॉजी हैं, जिसे झोला छाप लोग चला रहे हैं. वहीं इस धंधे से कुछ डाॅक्टर भी जुड़े हैं. इनके काम करने पर रोक कोर्ट के आदेश के बाद स्वत: लग जायेगा.

ऐसे में संचालकों को तो परेशानी होगी ही, आम लोग भी इस वजह से परेशानी का सामना करेंगे. हालांकि इसका दूरगामी परिणाम यह होगा कि फर्जी पैथोलॉजी और फर्जी जांच रिपोर्ट से लोगों को छुटकारा मिल जायेगा. वहीं कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासनिक स्तर पर भी आदेश को अमलीजामा पहनाने की कवायद आरंभ हो गयी है. ऐसे में संचालकों में खलबली मची है और सभी अपने-अपने तरीके से समस्या का समाधान तलाशने की कोशिश में जुट गये हैं. हालांकि इस बार यह राह आसान नहीं रह गयी है.

पैथोलॉजी एसोसिएशन ने दायर की थी याचिका

दरअसल मामला यह है कि इंडियन पैथोलॉजी एसोसिएशन ने एमबीबीएस, बीएचएमएस एवं बीएएमएस डिग्री धारक पैथोलॉजी संचालकों पर सवाल खड़ा करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर किया था. याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पैथोलॉजी संचालन के लिए संचालक की न्यूनतम योग्यता एमडी निर्धारित की. कोर्ट का फैसला यदि लागू होता है तो एमबीबीएस पैथोलॉजी संचालकों की भी मुश्किलें बढ़ जायेगी. यहां तक की सेंटर को बंद करने की भी नौबत आ सकती है.

कोर्ट के फैसला बाद शहर के पैथोलॉजी संचालकों में काफी गहमा-गहमी का माहौल है. सेंटर संचालक अब एमडी डिग्री धारक डाॅक्टरों की खोज में जुटे हुए हैं. जो सेंटर स्वास्थ्य विभाग में निबंधित है, उनकी भी नींद उड़ गयी है. इतनी जल्दी एमडी डिग्री हासिल करना भी आसान नहीं है. सेंटर संचालकों को क्या करें क्या न करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है. एमबीबीएस पैथोलॉजी संचालक समस्या निदान के लिए सिविल सर्जन कार्यालय का दौड़ लगाने में जुटे हुए हैं.

जिले में नाकाफी है एमडी पैथोलॉजी

उच्चतम न्यायालय ने पैथोलॉजी संचालन के लिए न्यूनतम एमडी योग्यता का निर्धारण किया है. वर्तमान में एमबीबीएस, बीएचएमएस एवं बीएएमएस योग्यता वाले भी पैथोलॉजी का संचालन कर रहे है. एमडी डिग्री धारकों को संख्या लगभग दो दर्जन बतायी जाती है. सबसे अधिक एमबीबीएस योग्यता वाले सेंटर संचालक हैं.

एमडी डिग्री वाले स्पेशल जांच के तहत बोनमैरो, बायोप्सी, स्पलिन, पंचर, साइकोलॉजिकल जांच कर सकते हैं. कोर्ट के फैसला बाद एमडी योग्यता वाले पैथोलॉजी संचालक रूटीन जांच भी कर पायेंगे. एमडी डिग्री धारकों की जिम्मेदारी अब बढ़ जायेगी. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि महज 2 दर्जन पैथोलॉजी संचालकों के भरोसे प्रतिदिन पूर्णिया पहुंचने वाले 05 हजार मरीजों की जांच कैसे होगी.

प्रशासनिक कवायद हुई तेज

स्वास्थ्य विभाग के कोई भी अधिकारी हाईकोर्ट के फैसला कार्यान्वयन के बारे में बताने से परहेज कर रहा है. सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग ने जिले के स्वास्थ्य समिति से जिले में संचालित सभी पैथोलॉजी सेंटर की सूची मांगी है. बताया जाता है कि स्वास्थ्य समिति ने संचालित पैथोलॉजी की सूची भेज भी दी है. इसमें मानक विहीन स्तर से संचालित पैथोलॉजी भी शामिल है.

सूत्र यह भी बताते हैं कि कोर्ट का फैसला अब तक गोपनीय रखा गया है और किसी भी समय पैथोलॉजी सेंटर पर अधिकारी पूछताछ के लिए पहुंच सकते है. इस बात की भनक पैथोलॉजी संचालकों को लग गयी है और सेंटर संचालक अपना बचाव के लिए पैरवी से लेकर हर तरह के हथकंडे अपनाने लगे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें