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70 करोड़ रुपये उठाकर हजम कर गये लाभुक, विभाग की नींद हराम

पूर्णिया : चालू वित्तीय वर्ष में 70 करोड़ की प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि का उठाव कर लाभुक घर बैठ गये. इन लाभुकों के घर ही नहीं बने हैं. अब जब छानबीन की गयी तो विभाग की नींद हराम हो गयी है. जिला स्तर से सभी प्रखंडों को कड़े निर्देश जारी किये गये हैं. निर्देश […]

पूर्णिया : चालू वित्तीय वर्ष में 70 करोड़ की प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि का उठाव कर लाभुक घर बैठ गये. इन लाभुकों के घर ही नहीं बने हैं. अब जब छानबीन की गयी तो विभाग की नींद हराम हो गयी है. जिला स्तर से सभी प्रखंडों को कड़े निर्देश जारी किये गये हैं. निर्देश जारी होने के बाद प्रखंड एवं पंचायतों में खलबली मची हुई है.

यह मामला वित्तीय वर्ष (2016-17) का है. उस साल जिले में 14 हजार से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चयनित किया गया. उन्हें प्रथम किस्त की राशि का भी भुगतान कर दिया गया. राशि मिलने के बाद भी लाभुकों ने घर नहीं तैयार किया. इनमें से कुछ लोगों ने घर बनाये भी तो उसकी रिपोर्ट आवास सहायक ने विभाग को नहीं दी है.
इससे आवास सहायकों की भी अब खिंचाई होने वाली है. अब तक की जो रिपोर्ट विभिन्न प्रखंडों से जिले में आयी है उसमें महज 10 फीसदी लाभुकों के ही घर बनने की जानकारी दी गयी है. हालांकि प्रथम किस्त की राशि से सिर्फ प्लिंथ और कुर्सी तक ही बनाया जाना है. दूसरी किस्त की राशि से लिंटर लेवल तक और अंतिम किस्त से गृह निर्माण को अंतिम रूप देना है.
बालू भी बनी है समस्या
हाल के महीनों से बिहार में हुई बालू की किल्लत भी गृह निर्माण में बाधक बना हुआ है. बालू नहीं मिल रही है. अगर कहीं मिल भी रही है तो दुगुनी कीमत पर. इससे आवास बनाने वालों की भी परेशानी बढ़ी हुई है. सरकार से जो आवास का बजट मिला है उसमें काफी परेशानी हो रही है. लोगो के सामने संकट इस बात की है कि आखिर किस बालू से घर बनाये. अगर लोकल बालू प्रयोग कर घर बना लेते हैं और सरकार को निर्माण कार्य पूरा दिखा देते हैंतो सरकार का काम हो जायेगा, लेकिन उनका घर कमजोर ही रह जायेगा.
मिलते हैं 1.20 लाख रुपये
प्रधानमंत्री आवास योजना में तीन किस्तों में एक लाख 20 हजार रुपये मिलते हैं. इस योजना के तहत दो पक्का घर भी बनाया जाना है. इतनी कम राशि में दो पक्की घर बनना भी काफी मुश्किल हो रहा है. लाभुकों को लगता है वे इस योजना से जुड़ कर फंस गये हैं. लाभुकों का कहना है कि सरकार ने उन्हें राशि उपलब्ध तो करा दी मगर सामान खरीदने के लिए न तो कोई अधिकृत दुकान की व्यवस्था की गयी है और न ही ईंट-बालू की कोई निश्चित दर ही तय की गयी है.
एक माह का एग्रीमेंट
राशि उपलब्ध करा देने के बाद प्रत्येक बीडीओ को एक माह के अंदर निर्माण कार्य पूरा करवाना है. ऐसा एग्रीमेंट भी किया गया है. इसमें किसी तरह का बहाना नहीं चलेगा. इसी लिहाज से जिला से शिकंजा कस दिया गया है.
मार्च में बंद हो जायेंगे इंदिरा आवास
चालू वित्तीय वर्ष के मार्च तक ही इंदिरा आवास की बची किस्त की राशि का भुगतान किया जा सकेगा. इसके बाद भुगतान नहीं होगा. अंतिम भुगतान नहीं लेने वाले लाभुक के बारे में माना जायेगा कि उनका घर अधूरा है अथवा उन्होंने घर बनाया ही नहीं और राशि हजम कर ली. वैसे लोगों से रिकवरी भी होगी जिन्होंने राशि का दुरुपयोग किया है.
1931 लाभुकों का इस साल हुआ पंजीयन
चालू वित्तीय वर्ष में आवास योजना के लिए जिले में 18 हजार एक सौ छह घर बनाने की स्वीकृति मिली है. इसके एवज में 1931 का पंजीयन हुआ है. इसमें से एक सौ 71 लोगों को अब तक प्रथम किस्त की राशि मिल भी गयी है. इससे पूर्व गत वित्तीय वर्ष में 15 हजार चार सौ 55 आवास स्वीकृत किये गये थे. इनमें 14 हजार 85 ने प्रथम किस्त का उठाव भी कर लिया था.
किन प्रखंडों में कितने लाभुक
अमौर 1325
बैसा 1268
बायसी 460
बनमनखी 1100
बीकोठी 1516
भवानीपुर 403
डगरूआ 1045
धमदाहा 1883
जलालगढ़ 923
कसबा 953
केनगर 1169
पूर्णिया पूर्व 515
रूपौली 1290
श्रीनगर 1105
राशि हजम करने वालों पर होगी कार्रवाई
किसी भी सूरत में लाभुकों को घर बनाना ही होगा. इसमें थोड़ी भी कोताही लाभुक एवं आवास सहायक दोनों को दोषी माना जायेगा. जो लोग घर नहीं बनायेंगे और राशि लेकर हजम कर जायेंगे तो वैसे लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जायेगी. इसमें कड़ाई बरतने के लिए सभी बीडीओ को निर्देश जारी कर दिया गया है.

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