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पहले भी कब्रिस्तान से शवों की होती रही हैं चोरियां, कार्रवाई रही सिफर

पूर्णिया / रानीपतरा : रजीगंज कब्रिस्तान से शव और उसकी हड्डियों को चुराने की कोशिश भले ही नाकाम हो गयी हो, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इस इलाके में शवों के सौदागर सक्रिय हैं और यहां से मृत मानव शरीर को बाहर ले जाकर उंचे दामों में बेचने का काम किया जा रहा […]

पूर्णिया / रानीपतरा : रजीगंज कब्रिस्तान से शव और उसकी हड्डियों को चुराने की कोशिश भले ही नाकाम हो गयी हो, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इस इलाके में शवों के सौदागर सक्रिय हैं और यहां से मृत मानव शरीर को बाहर ले जाकर उंचे दामों में बेचने का काम किया जा रहा है. स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर आक्रोश भी व्याप्त है.

उनका कहना है कि जब शव सुरक्षित नहीं है तो आमलोगों का क्या कहा जा सकता है. दरअसल गुस्सा जायज भी है, क्योंकि बीते दो वर्षों से इस श्मशान से लाशों की चोरियां होती रही है. जब भी चोरियां हुई है, तो आवाजें भी उठी है, लेकिन जब जिंदों की फिक्र लोगों को नहीं है तो मुर्दों के लिए कोई हंगामा नहीं करना चाहता है. इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका महज तमाशबीन की रही है. दरअसल लोगों द्वारा जब भी शव के चोरी होने की शिकायत की गयी, मामले को हल्के तौर पर लिया गया. लिहाजा शव के सौदागरों का यह खेल आज भी जारी है.

पूर्व में भी हो चुकी है शव की चोरी
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब रजीगंज कब्रिस्तान से शव की चोरी हुई है. चूंकि इस बार चोर चोरी करते हुए देखे गये और साक्ष्य के तौर पर मानव शरीर व हड्डियां भी बरामद हुई, लिहाजा अब लीपापोती का कोई कारण शेष नहीं रह गया है. स्थानीय लोगों की मानें तो मटिया के मुकेश ठाकुर की मौत दो वर्ष पूर्व हुई थी. उसकी भी लाश कब्र से गायब हुई थी. मृतक मुकेश के भाई उदय ठाकुर कहते हैं ‘ भाई की लाश गायब हुई थी. लेकिन किसी से शिकायत नहीं किये. शिकायत करने से कुछ होता भी नहीं. गरीब आदमी हैं,
अपना धंधा करें कि मुर्दा के पीछे समय बिताएं ‘ . ताजा घटना 17 जून की है. जहां से कब्र खोद कर मृतक विलास चौधरी की लाश को गायब कर दिया गया था. उस वक्त एसडीपीओ राजकुमार साह ने मामले की जांच की थी. लेकिन नतीजा क्या रहा, यह आज तक किसी को पता नहीं है.
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शवों का सौदागर हुआ फरार पुलिस कर रही अनुसंधान : रजीगंज कब्रिस्तान शव चुराने पहुंचा तीनों शख्स रात के अंधेरे का फायदा उठा कर फरार होने में सफल रहा. पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर उक्त लोगों को खोजने की कोशिश की, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. दरअसल कब्रिस्तान में घना जंगल है, जहां रात के अंधेरे में खोजना आसान नहीं है. प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि मानव शरीर की हड्डियों की तस्करी के उद्देश्य से शव की चोरी की जा रही थी. इन हड्डियों की आवश्यकता मेडिकल कॉलेजों में एनाटोमी विभाग को होती है. इसके अलावा मेडिकल के छात्र भी व्यक्तिगत तौर पर पढ़ाई के उद्देश्य से इसका उपयोग करते हैं.
वहीं एक बात और भी चर्चा में है कि दुर्गापूजा के पहले इस तरह की वारदातें बढ़ जाती है, क्योंकि तांत्रिकों द्वारा पूजा-पाठ में मानव शरीर की हड्डियों और खोपड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. थानाध्यक्ष प्रशांत भारद्वाज ने कहा कि मामले की जांच-पड़ताल की जा रही है.
शव दफनाने के लिए खरीदी जाती है िमट्टी, विक्रेता होते हैं ग्रामीण ही
पांच रुपये में आग भी करायी जाती है उपलब्ध
दफनाने से पहले आग को शव के चारों तरफ घुमाया कर बुझा दिया जाता है
लोगों में व्याप्त है चिंता
शव के कब्रिस्तान से गायब होने की घटना के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा व्याप्त है. उन्हें इस बात की भी चिंता सताने लगी है कि कब्रिस्तान में मृतक भी सुरक्षित नहीं है. पहले भी पुलिस को शिकायत की गयी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. शव को दफन करने वाले लगभग सभी लोग आर्थिक रूप से विपन्न हैं. ऐसे लोग थाना और पुलिस के चक्कर से दूर ही रहने में अपनी भलाई समझते हैं. सुंदर ततमा कहते हैं ‘ दो साल से इस तरह की घटनाएं हो रही है, जो चिंता का विषय है ‘.

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