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हस्ताक्षर का मिलान बनी सबसे बड़ी बाधा

पूर्णिया : जीएसटी को लेकर कारोबारियों की बेचैनी कम होती नजर नहीं आ रही है. कुछ कारोबारी अभी भी जीएसटी को पूरी तरह समझ नहीं पाये हैं, तो कुछ कागजी प्रक्रिया में अब तक उलझे हुए हैं. दूसरी तरफ जीएसटी के तहत 75 लाख तक के टर्नओवर वाले कारोबारी, जिन्हें कंपाउंडिंग स्लेब में रखा गया […]

पूर्णिया : जीएसटी को लेकर कारोबारियों की बेचैनी कम होती नजर नहीं आ रही है. कुछ कारोबारी अभी भी जीएसटी को पूरी तरह समझ नहीं पाये हैं, तो कुछ कागजी प्रक्रिया में अब तक उलझे हुए हैं. दूसरी तरफ जीएसटी के तहत 75 लाख तक के टर्नओवर वाले कारोबारी, जिन्हें कंपाउंडिंग स्लेब में रखा गया है, उनकी धड़कन तेज हो रही है. दरअसल इस प्रक्रिया में डिजिटल और आधार से संबंधित हस्ताक्षर का पेंच फंस गया है.
इस संबंध में जानकार बतातें है कि हस्ताक्षर की पहचान करने वाली विभागीय मशीन खराब है. वहीं विभाग ने 21 जुलाई तक इस स्लैब में आने वाले लोगों की कंपाउंडिंग की तिथि तय कर रखा है. यह दीगर बात है कि विभाग जीएसटी को लेकर सेमिनार और सहायता केंद्र के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है, लेकिन कारोबारियों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है.
पांच हजार कारोबारी हुए रजिस्टर्ड : बीते जून महीने से अब तक पूर्णिया सर्कल में महज पांच हजार कारोबारी ही जीएसटी में रूपांतरित हो पाये हैं. जिसमें ऐसे भी कारोबारी हैं, जो कंपाउंडिंग स्लैब में हैं.
हालांकि ऐसे कारोबारियों में इस बात को लेकर भय है कि कहीं वे हस्ताक्षर मिलान नहीं होने के कारण जीएसटी स्किम में शामिल होने से वंचित न रह जायें. यह अलग बात है कि जीएसटी को लेकर विभाग ने समय सीमा बढ़ा दिया है, लेकिन जो नंबर ले चुके हैं उन्हें अपना कारोबार तत्काल छोड़ कर विभागीय चक्कर लगाना पड़ रहा है. जो हालात कागजी प्रक्रियाओं का विभागीय स्तर पर बताया जाता है, उससे बाकी पांच हजार डीलरों को जीएसटी में कन्वर्ट करना आसान नहीं है.
फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है सहायता केंद्र : जीएसटी को लेकर बाजार और व्यापारी तो पहले से ही सशंकित है, ऊपर से विभाग द्वारा बनाया गया सहायता केंद्र उनके लिये कुछ अधिक फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है.
बड़ी विडंबना तो यह है कि जिसने अपने वैट लाइसेंस को कन्वर्ट करा कर जीएसटी नंबर ले लिया है. अधिकांश ऐसे कारोबारी हैं जिनका हस्ताक्षर मिलान मशीन की खराबी के कारण नहीं हो रहा है. हैरानी इस बात की भी है कि विभाग ऑनलाइन आवेदन और हस्ताक्षर मिलान की बात तो कहता है, लेकिन यह प्रक्रिया तकनीकी मापदंड पर लोगों को निराश कर रहा है.
हेल्पलाइन नंबर से नहीं मिल रहा हेल्प : विभागीय व्यवस्था का हाल यह है कि हस्ताक्षर मिलान की प्रक्रिया काफी धीमी है और पटना स्थित हेल्पलाइन नंबर 01244688999 पर बात करना मतलब अपने समय को जायाकरने के बराबर है. व्यवसायियों ने बताया कि हेल्प लाइन नंबर पर नंबर लगाते-लगाते आप थक जायेंगे, लेकिन कुछ हासिल नहीं होगा.
इन हालातों में कारोबारी हलकान होकर विभाग और संबंधित अधिकारियों के अलावा एकाउंटेंट और चार्टेड एकाउंटेंट तथा वकील का चक्कर लगा रहे हैं. ऐसे में कारोबार ठप पड़ा हुआ है.
कारोबारियों को है 21 जुलाई का इंतजार : वैसे मंझोले कारोबारी, जो 75 लाख की सीमा के अंदर आते हैं और उन्हें कंपाउंडिंग का लाभ लेना है, उनके पसीने छूट रहे हैं. विभाग ने कंपाउंडिंग स्लैब में आने वालों के लिये 21 जुलाई की तिथि मुकर्रर कर रखी है. ऐसे में अगर सब कुछ तय समय में नहीं हो पाता है तो कारोबारियों की मुश्किलें बढ़नी तय है.
विभाग की गलती की सजा कारोबारियों को भुगतना पड़ सकता है. कई ऐसे कारोबारी भी हैं, जिनको विभाग ने पहले वैट का नंबर दिया था और अब जब उसे जीएसटी में कन्वर्ट करने की बात आ रही है तो यह खुलासा हो रहा है कि कइयों के पैन नंबर का मिलान नहीं हो पा रहा है, तो कुछ लोगों के हस्ताक्षर नहीं मिल रहे हैं.

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