जीएसटी. व्यवसायियों में असमंजस बरकरार, ग्राहकों का होने लगा शोषण
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एमआरपी से ज्यादा वसूली अवैध
जीएसटी. व्यवसायियों में असमंजस बरकरार, ग्राहकों का होने लगा शोषण पूर्णिया : एक देश एक कर के उद्देश्य से अब जीएसटी लागू हो चुका है. लेकिन जीएसटी को लेकर कारोबारियों से लेकर ग्राहकों तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. अभी भी कारोबारी जीएसटी को समझने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं तो आम ग्राहक […]
पूर्णिया : एक देश एक कर के उद्देश्य से अब जीएसटी लागू हो चुका है. लेकिन जीएसटी को लेकर कारोबारियों से लेकर ग्राहकों तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. अभी भी कारोबारी जीएसटी को समझने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं तो आम ग्राहक बढ़ने वाली कीमतों को लेकर चिंतित है. जीएसटी के बाद कुछ सामानों की कीमतों में कमी भी आना तय है, लेकिन इससे आम ग्राहक अनजान हैं. लिहाजा आम लोगों को लगता है कि जीएसटी की आड़ में उनके उपर महंगाई की बोझ बढ़ने वाली है. स्याह सच यह है कि अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे कारोबारी हैं, जिनके पास जीएसटी नंबर नहीं है. जबकि जीएसटी नंबर लेना कोई मुश्किल काम नहीं है. वहीं दूसरी ओर जीएसटी की आड़ में ग्राहकों का शोषण भी आरंभ हो चुका है. जिस बात की जानकारी संभवत: प्रशासनिक महकमे को नहीं है.
गुटखा कारोबारी हो रहे हैं मालामाल : स्टॉकिस्ट ने जीएसटी लागू होने से पहले ही भारी मात्रा में रजनीगंधा, तुलसी, राजनिवास और मधु का स्टॉक कर रखा है. जीएसटी लागू होने से पहले रजनीगंधा एवं तुलसी का होलसेल में 840 रूपया पैकेट था, जो अब 920 रुपये में मिलने लगा है. वहीं राजनिवास और मधु का होलसेल में प्रति पैकेट 120 रूपया कीमत था, लेकिन अब 150 रुपये बिक रहा है. वहीं खुदरा दुकान में रजनीगंधा-तुलसी प्रति पीस 22 से 25 रुपये में बिक रहा है, जबकि यही रजनीगंधा-तुलसी पहले प्रति पीस 20 रुपये में बिकता था. वहीं राजनिवास और मधु पहले पांच रुपये पीस मिलता था, लेकिन अब प्रति पीस 06 रुपये में बिकने लगा है.
वाणिज्य कर उपायुक्त अशोक कुमार यादव के अनुसार जिस वस्तु पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अंकित होता है, उसमें जीएसटी निहित है. ऐसे ब्रांडेड सामान जिन पर एमआरपी अंकित है, उस पर जीएसटी की वसूली ग्राहक से नहीं की जा सकती है. इसके देनदार कारोबारी होंगे. उन्होंने माना कि कपड़ा के मामले में पेचीदगी आ सकती है, क्योंकि कई मामले में कंपनी द्वारा एमआरपी अंकित नहीं किया जाता है.
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