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Pavapuri Temple: जल सरोवर में निर्मित है यहां का जल मंदिर, देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु

पावापुरी में कुल पांच प्रमुख मंदिर स्थित है उसमें जल मंदिर भी प्रसिद्ध है. पावापुरी के इस मंदिर में भगवान महावीर की चरण पादुका को स्थान दिया गया है

Pavapuri Temple: बिहार की भूमि ऐसी है जहां सिर्फ सनातन संस्कृति की ही जड़ें नहीं पनपीं, बल्कि इस पावन मिट्टी ने हर उस धर्म और मत को पनपने का अवसर दिया जो कि मानवता का उपहार बन गए. बता दें कि जैन धर्म में 24 तीर्थंकर रहे हैं. महावीर स्वामी इस धर्म के 24वें तीर्थंकर थें, जिनका जन्म वैशाली के पास कुंडग्राम (मुजफ्फरपुर) जिले में हुआ था. उस समय कुंडग्राम नामक क्षत्रियों का गणराज्य था. भगवान महावीर के पिता का नाम सिद्धार्थ था, और वे इस गणराज्य के प्रमुख रहे थे. वहीं माता का नाम विशला देवी था जो वैशाली गणराज्य के अधीन छोटे से लिच्छवी नामक राज्य के राजा चेतक की बहन थी.

जल सरोवर में निर्मित है मंदिर

बता दें कि वैशाली महावीर स्वामी की जन्मभूमि है तो बिहार का स्थल पावापुरी उनकी समाधि स्थल के तौर पर प्रसिद्ध है. पावापुरी जिसे बिहार में पावा भी कहा जाता है, बिहार के नालंदा जिले में राजगीर और बोधगया के समीप स्थित एक स्थान है पावापुरी, जहां जलमंदिर स्थित है. यहीं पर 528 ईसापूर्व में भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. इस मंदिर को जल सरोवर में बनाया गया है. इसमें जब कमल के फूल खिलते हैं तो यहां का नजारा देखने लायक होता है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे ज्ञान का सारे कपाट एक साथ खुल गए हों.

मंदिर को कहते हैं अपापुरी

ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई नन्दिवर्धन द्वारा कराया गया था. पावापुरी में कुल पांच प्रमुख मंदिर स्थित है उसमें जल मंदिर भी प्रसिद्ध है. पावापुरी के इस मंदिर में भगवान महावीर की चरण पादुका को स्थान दिया गया है और इन्ही चरणों को भगवान मानकर श्रद्धालुओं द्वारा पूजा की जाती है. बिहार में स्थित इस जल मंदिर को अपापुरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. किवदंती है की भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्ति के बाद इसी पावापुरी में समाधि ली थी. जिस जगह भगवान महावीर ने समाधि ली थी उसी जगह से लोग उनकी पवित्र अस्थियों की मिट्टी लेकर जाते थे जिससे वहां काफी गहरा गड्ढा हो गया. बाद में इसी गड्ढे में प्राकृतिक रूप से पानी भर गया और कुछ समय बाद उसे जलमंदिर के रूप में लोग जानने लगें।

मंदिर तक कैसे पहुंचे ?

बिहार के नालंदा जिले में गंगा नदी के किनारे यह मंदिर स्थित है. पानी के अंदर इस मंदिर को बनाने के लिए सफ़ेद संगमरमर के पत्थरों का उपयोग किया गया है, जो रात में आकर्षक दिखता है. यह मंदिर किसी विमान और रथ की तरह दिखता है. नदी के ऊपर से मंदिर तक पहुंचने के लिए 600 फीट लम्बा पुल बनाया गया है. बिहार की राजधानी पटना से यह मंदिर 108 किमी की दुरी पर स्थित है. बिहार शरीफ से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन राजगीर है जो यहां से केवल 38 किमी की दूरी पर है.

Abhinandan Pandey
Abhinandan Pandey
भोपाल से शुरू हुई पत्रकारिता की यात्रा ने बंसल न्यूज (MP/CG) और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अनुभव लेते हुए अब प्रभात खबर डिजिटल तक का मुकाम तय किया है. वर्तमान में पटना में कार्यरत हूं और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को करीब से समझने का प्रयास कर रहा हूं. गौतम बुद्ध, चाणक्य और आर्यभट की धरती से होने का गर्व है. देश-विदेश की घटनाओं, बिहार की राजनीति, और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि रखता हूं. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स के साथ प्रयोग करना पसंद है.

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