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Bihar News: पीएमसीएच में मरीजों को मिल रही पतली दाल व मोटे चावल, थाली से रोटी गायब

पीएमसीएच में दोपहर को मिलने वाले खाने का कोई टाइम नहीं है. कभी 11 बजे मिलता है, तो कभी एक बजे तक खाना नसीब नहीं होता है. यहां तक कि मरीजों को बेड पर पहुंचाने के बदले परिसर में परिजनों को बुलाकर खाना बांटा जाता है.

पटना. पीएमसीएच में मरीजों की सेहत से इन दिनों खिलवाड़ किया जा रहा है. मरीजों को प्रतिदिन के मानक के अनुसार नाश्ता व भोजन की जगह पानी समान दूध, पतली दाल व सब्जी देकर काम चलाया जा रहा है. प्रभात खबर टीम ने शुक्रवार को मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता की पड़ताल की, तो पता चला कि सिर्फ कागज पर ही विधिवत डायट वाले नियम का पालन हो रहा है. वास्तविक स्थिति इससे अलग है, जबकि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को नि:शुल्क नाश्ता और भोजन दिये जाने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग ने दिया है. अस्पताल के शिशु रोग विभाग में बांटे जाने वाले खाने व मरीजों से बातचीत के बाद मामले का खुलासा हुआ.

लंबी लाइन के बाद एक घंटे तक इंतजार करते रहे मरीज

पीएमसीएच में दोपहर को मिलने वाले खाने का कोई टाइम नहीं है. कभी 11 बजे मिलता है, तो कभी एक बजे तक खाना नसीब नहीं होता है. यहां तक कि मरीजों को बेड पर पहुंचाने के बदले परिसर में परिजनों को बुलाकर खाना बांटा जाता है. इसमें आधे से अधिक मरीज के परिजनों को खाना तक नहीं मिल पाता है. शुक्रवार को 11:25 बजे तक टेबुल पर खाने का आइटम लाकर रख दिया गया. लेकिन उस समय मरीजों को खाना नहीं मिला.

वहीं दोपहर 1:10 बजे एक बुजुर्ग महिला आयी फिर खाना बांटने का सिलसिला शुरू हुआ. परिजनों की मानें, तो भोजन की गुणवत्ता इतनी खराब है कि मरीज अस्पताल का खाना लेना पसंद नहीं करते हैं. परिजनों की मानें, तो दोपहर व रात का खाना भी एक जैसा ही मिलता है. पीएमसीएच में तो बस मरीजों को दाल, मोटा चावल और एक सब्जी ही परोसी जा रही है. सुबह के नाश्ते में कभी अंडा गायब रहता है, तो कभी फल भी नहीं दिया जाता है.

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क्या कहते हैं परिजन

मेरी 12 साल की बेटी बबिता शिशु वार्ड के बेड नंबर 17 पर भर्ती है. मैं छपरा जिले से यहां आया हूं. सुबह के नाश्ते में कभी अंडा मिलता है, तो कभी ब्रेड व सेब देकर ही कर्मचारी चले जाते हैं. इतना ही नहीं दोपहर का खाना लेने सेकेंड फ्लोर से नीचे परिसर में जाना पड़ता है. जब तक नीचे जाते हैं तो खाना बंट जाता है. किसी मरीज को मिलता है, तो किसी को खाली बर्तन के साथ ही वापस लौटना पड़ता है.

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