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अधिकारियों ने ही सरकारी जमीन की कर दी बंदोबस्ती

22 पर चार्जशीट, बन रहे अपार्टमेंट पर रोक पटना : सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से करबिगहिया में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर उस पर अपार्टमेंट बनाने का मामला सामने आया है. आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने इस मामले की जांच पूरी कर पटना के जिला पंचायती राज पदाधिकारी व तत्कालीन सीओ बिनोद आनंद समेत […]

22 पर चार्जशीट, बन रहे अपार्टमेंट पर रोक
पटना : सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से करबिगहिया में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर उस पर अपार्टमेंट बनाने का मामला सामने आया है. आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने इस मामले की जांच पूरी कर पटना के जिला पंचायती राज पदाधिकारी व तत्कालीन सीओ बिनोद आनंद समेत 22 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है. बिनोद आनंद पूरे मामले के किंगपिन बताये जाते हैं, जिन्होंने वर्ष 2003 में पटना जिले में अपने सीओ के कार्यकाल के दौरान करबिगहिया में सिंचाई विभाग की 10 कट्ठा जमीन की बंदोबस्ती निजी व्यक्ति जमीलउद्दीन और उसके परिवार के नाम पर करते हुए इसका अवैध तरीके से दाखिल-खारिज कर दिया था. इसमें पैसे का जम कर खेल हुआ था.
इसके बाद 2011 में इस जमीन काे एक निजी बिल्डर रवींद्र प्रसाद (गुप्ता होम्स प्राइवेट लिमिटेड) के साथ कांट्रैक्ट कर कन्वर्जन पर बेच दिया और इस पर अपार्टमेंट का निर्माण भी शुरू हो गया. बाद में जब मामले की जांच इओयू ने शुरू की, तो इसके निर्माण पर आनन-फानन में रोक लगायी गयी.
इस मामले को लेकर तत्कालीन सीओ बिनोद आनंद पर तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के कार्यकाल में आरोप लगा था, लेकिन वह फर्जी दस्तावेज देकर कार्रवाई से बच गये. लेकिन, इस बार इओयू ने उनके खिलाफ पुख्ता सबूत जमा करके चार्जशीट दायर किया है. इसमें उनके खिलाफ पद का दुरुपयोग कर गलत तरीके से जमीन की बंदोबस्ती करने के तमाम सबूत एकत्र किये गये हैं.
10 पदाधिकारी समेत 22 के खिलाफ चार्जशीट दायर
मामले की जांच के दौरान इओयू ने पाया कि इस जमीन के खेल में 10 सरकारी पदाधिकारियों की मिलीभगत है. इन पदाधिकारियों समेत कुल 22 लोगों की संलिप्तता इसमें पायी गयी. इओयू ने इन सभी के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है. इनमें सिंचाई विभाग के पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में शामिल हैं. ये सभी जमीन का दाखिल-खारिज होने के बाद से पटना में पदस्थापित रहे और इस जमीन पर अवैध कब्जा करने में सहयोग किया. कुछ पदाधिकारी वर्तमान में निलंबित हैं या अन्य कहीं पदस्थापित हैं. जो पदाधिकारी इस मामले में आरोपित हैं, उसमें बिनोद आनंद (तत्कालीन सीओ व वर्तमान में पटना जिला पंचायती राज पदाधिकारी), रूप नंदन शर्मा व अर्जुन शाह (सिंचाई विभाग में चेन-मैन), मो इर्दिश (सिंचाई में एसडीओ), शशिरंजन कुमार पांडेय (सिंचाई एसडीओ), उपेंद्र कुमार चौधरी (एसडीओ), सुरेंद्र प्रसाद सिंह (एसडीओ), मनोज कुमार (कार्यपालक अभियंता), जयशंकर सिंह (हलका कर्मचारी), कृष्ण सिंह (सीआइ), मकसूद अंसारी (सीओ), अरुंजय कुमार (सीआइ) और पटना नगर निगम के वास्तुविद राकेश कुमार रंजन शामिल हैं.
इसके अलावा जमीन रजिस्ट्री करानेवाले जिन लोगों पर चार्जशीट दायर किया गया है, उनमें मो इकबाल (रजिस्ट्री करवानेवाला मुख्य अभियुक्त), शकील खान, शाहीद अली, राशीद अली, फजल अली, सैयद किश्वर जमाल, सैयद कौसर सीमा अली, नूर आलम खान और बिल्डर रवींद्र प्रसाद शामिल हैं. मो इकबाल ने अपने नाम पर इस जमीन जमाबंदी करवा ली है. वह जमीलउद्दीन का बेटा है.
करबिगहिया का मामला
करबिगहिया में मौजूद सिंचाई विभाग की 10 कट्ठा जमीन को तीन साल के लिए लीज पर मो जमीलउद्दीन को 1947 के आसपास दिया गया था. बाद में इस जमीन से इन्हें किसी ने हटाया नहीं और लीज की अवधि लगातार बढ़ती चली गयी. मो जमीलउद्दीन के बेटों और अन्य संतानों ने इसे सरकारी पदाधिकारियों की मिलीभगत से अपने नाम पर 2003 में बंदोबस्त करवा लिया. करोड़ों की इस सरकारी जमीन का वे गलत तरीके से मालिक बन बैठे.

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