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अब एके 47 लेकर नहीं चल सकेंगे ‘साहबों’ के गार्ड

पटना : राज्य में माननीयों, जनप्रतिनिधियों या ऐसे अन्य लोगों की तरह ही अधिकारियों के लिए एके-47, कारबाइन जैसे अन्य ‘असॉल्ट’ हथियार वाले बॉडीगार्ड साथ लेकर चलना स्टेटस की बात है. तभी तो गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश के बाद भी अधिकारी साहब के साथ एके-47 जैसे असॉल्ट (घातक) हथियार लेकर साथ चलते […]

पटना : राज्य में माननीयों, जनप्रतिनिधियों या ऐसे अन्य लोगों की तरह ही अधिकारियों के लिए एके-47, कारबाइन जैसे अन्य ‘असॉल्ट’ हथियार वाले बॉडीगार्ड साथ लेकर चलना स्टेटस की बात है. तभी तो गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश के बाद भी अधिकारी साहब के साथ एके-47 जैसे असॉल्ट (घातक) हथियार लेकर साथ चलते बॉडीगार्ड बड़ी आसानी से दिखते हैं.
अब साहबों की इस मनमानी पर नकेल कसने के लिए पुलिस मुख्यालय ने सख्त निर्देश जारी किया है. हालांकि अभी इससे संबंधित अधिसूचना जारी होने जा रही है. मुख्यालय ने सभी अधिकारियों को कहा है कि वे अपने निजी बॉडीगार्ड से एके-47 जैसे अन्य असॉल्ट हथियारों को तुरंत जमा करवाकर नौ एमएम वाली पिस्टल जैसे हथियारों का ही उपयोग करें. इस आदेश का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों से शो-कॉज किया जायेगा. असॉल्ट हथियार लेकर चलने वाले बॉडीगार्ड के साहबों को इसका लिखित में जवाब देना पड़ेगा.
मुख्यालय यह भी निर्देश जारी करने जा रहा है कि अगर कोई अधिकारी विशेष परिस्थिति या किसी हंगामा या ऐसे किसी वारदात वाली स्थिति में लॉ एंड ऑर्डर का कार्य करने के लिए जाते हैं और वे अपने साथ बॉडीगार्ड के अतिरिक्त अन्य पुलिस जवान को लेकर जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में वह एके-47, कारबाइन, एसएलआर जैसे असॉल्ट हथियारों से लैस जवानों को लेकर जा सकते हैं. हमेशा साथ चलने वाले बॉडीगार्ड के अतिरिक्त किसी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए या स्कॉट या पेट्रोलिंग के दौरान घातक हथियार से लैस जवानों को साथ लेकर चल सकते हैं. लेकिन रोजाना ऑफिस आने-जाने के दौरान किसी असॉल्ट हथियार वाले बॉडीगार्ड को साथ लेकर चलने की अनुमति अधिकारियों को नहीं होगी.
पुलिस महकमा से लेकर अन्य सभी प्रशासनिक अधिकारी पर यह आदेश सामान रूप से लागू होगा. कभी-कभी इन बॉडीगार्डों की वजह से लॉ एंड ऑर्डर की बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है. इसलिए यह आदेश दिये गये हैं. किसी हंगामा, विवाद या विषम परिस्थिति में भीड़ पर फायरिंग करने के कारण लोगों की जान जाने की घटनाएं हो चुकी हैं. हाल में इसका सबसे ताजा उदाहरण है, दरभंगा जिला के बहेड़ी एसडीओ के बॉडीगार्ड महताब आलम का. इन्होंने अपनी कारबाइन से अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी, जिससे एक दलित व्यक्ति की मौत हो गयी और दो महिला समेत अन्य घायल हो गये थे. इसके बाद पूरे इलाके में उपद्रव हो गया और प्रशासन को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं.
जिन माननीयों या अन्य वीवीआइपी की सुरक्षा में तैनात बॉडीगार्ड या जिन्हें जेड प्लस, जेड, वाय जैसे अन्य श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है. उनके साथ यह आदेश लागू नहीं होगा. विशेष श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त लोगों के साथ चलने वाले बॉडीगार्ड के साथ इस तरह की कोई बंदिश नहीं है. इसके अलावा नक्सल प्रभावित इलाकों में ड्यूटी पर तैनात जिन अधिकारियों को विशेष सुरक्षा प्राप्त है या किसी ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों के साथ भी इस तरह की कोई बंदिश नहीं रहेगी.
इस मसले पर पुलिस मुख्यालय समेत अन्य अधिकारियों में तकरीबन सहमति बन गयी है. एसएसजी व कैटोगराइज्ड सुरक्षा समेत अन्य मुद्दों पर फिलहाल मंत्रणा चल रही है. जल्द ही इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी जायेगी.
एसके सिंघल, एडीजी, मुख्यालय

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