शुक्रवार को मामला सामने आने के बाद शनिवार को औषधि नियंत्रक विभाग की टीम ने ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद प्रसाद के नेतृत्व में जब बंगाली अखाड़ा कदमकुआं, आलमगंज बिस्कोमान कॉलोनी, पत्रकार नगर में सीआइटी कॉलोनी, बहादुरपुर संदलपुर में कबाड़ी की दुकान से बरामद की गयी दवाओं की जांच शुरू की, तो फिर इस बात का खुलासा हुआ कि ये लोग सरकारी एक्सपायरी दवाओं काे भी खरीद रहे थे और उसे नया लुक देकर बाजार में भेज कर लाखों कमा रहे थे. बरामद सरकारी दवाओं में एमोक्सीसीलिन की 500 बॉक्स है. यह एंटीबायोटिक दवा है. अभी रमेश पाठक के दूसरे गोदाम की जांच बाकी है. ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि यह जांच का विषय है कि दवा कहां से इन लोगों के पास पहुंची है. जांच के दायरे में बीएमएसआइसीएल के कर्मी व अस्पताल के कर्मी भी है.
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मरीजों को नहीं मिलती दवा, एक्सपायर होने के बाद बेच दे रहे हैं माफियाओं को
पटना : बिस्कोमान गोलंबर के पास रमेश पाठक के अतरी निकुंज घर के गोदाम से बरामद दवा में सरकारी अस्पतालों में सप्लाइ होनेवाली दवा भी है. साथ ही फिजिशयन सैंपल भी लाखों की है. करीब तीन लाख की बीएमएसआइसीएल की मुहर लगी व नॉट फॉर सेल अंकित एक्सपायरी दवाएं भी बरामद की गयी है. सरकारी […]
पटना : बिस्कोमान गोलंबर के पास रमेश पाठक के अतरी निकुंज घर के गोदाम से बरामद दवा में सरकारी अस्पतालों में सप्लाइ होनेवाली दवा भी है. साथ ही फिजिशयन सैंपल भी लाखों की है. करीब तीन लाख की बीएमएसआइसीएल की मुहर लगी व नॉट फॉर सेल अंकित एक्सपायरी दवाएं भी बरामद की गयी है. सरकारी अस्पतालों में सप्लाइ करनेवाली दवाओं के बरामद होने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि मरीजों को दी जानेवाली दवा उन्हें नहीं मिल पा रही है और एक्सपायरी होने के बाद कम कीमत पर बीएमएसआइसीएल या फिर किसी सरकारी अस्पताल के भंडार घर से या फिर मरीजों के नाम पर लेकर कर्मचारी बाहर दवा माफियाओं के हाथों बेच रहे हैं.
दवा माफिया सरकारी अस्पतालों में सप्लाइ करनेवाली दवाओं की स्ट्रिप पर अंकित नॉट फॉर सेल को केमिकल की मदद से हटा देते हैं और फिर उस पर अपनी मुहर लगा कर बाजार में भेज देते हैं.
शुक्रवार को मामला सामने आने के बाद शनिवार को औषधि नियंत्रक विभाग की टीम ने ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद प्रसाद के नेतृत्व में जब बंगाली अखाड़ा कदमकुआं, आलमगंज बिस्कोमान कॉलोनी, पत्रकार नगर में सीआइटी कॉलोनी, बहादुरपुर संदलपुर में कबाड़ी की दुकान से बरामद की गयी दवाओं की जांच शुरू की, तो फिर इस बात का खुलासा हुआ कि ये लोग सरकारी एक्सपायरी दवाओं काे भी खरीद रहे थे और उसे नया लुक देकर बाजार में भेज कर लाखों कमा रहे थे. बरामद सरकारी दवाओं में एमोक्सीसीलिन की 500 बॉक्स है. यह एंटीबायोटिक दवा है. अभी रमेश पाठक के दूसरे गोदाम की जांच बाकी है. ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि यह जांच का विषय है कि दवा कहां से इन लोगों के पास पहुंची है. जांच के दायरे में बीएमएसआइसीएल के कर्मी व अस्पताल के कर्मी भी है.
माफियाओं के पास दवा कैसे पहुंची, जांच का विषय
बीएमएसआइसीएल द्वारा मरीजों को दी जानेवाली यह दवा एक्सपायरी होने के बाद कहां से गायब होकर दवा माफियाओं तक पहुंची, अगर इस बिंदु पर जांच आगे बढ़ी, तो एक बड़ा घोटाला प्रकाश में आ सकता है. इससे जुड़े कई अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं. फिलहाल अभी यह स्पष्ट नहीं है कि दवा माफियाओं तक सरकारी दवा कैसे पहुंची? औषधि नियंत्रक विभाग अब इस बात की जांच करेगी कि बरामद सरकारी दवा बीएमएसआइसीएल से निकल कर किस अस्पताल तक पहुंची थी और फिर वहां से कौन ले गया? क्योंकि, इस बात का रिकॉर्ड बीएमएसआइसीएल के पास अवश्य होगा कि कौन-कौन सी दवा किन-किन अस्पतालों को कब-कब भेजी गयी. इससे आसानी से इस बात की जानकारी हो जायेगी कि किस सरकारी अस्पताल से उक्त दवाएं माफियाओं तक पहुंची.
कई कंपनियों के फिजिशियन सैंपल भी बरामद
कई कंपनियों के फिजिशियन सैंपल भी बरामद किये गये हैं. अब इन सैंपल को औषधि नियंत्रक विभाग द्वारा जांच के लिए लेबोरेटरी को भेजा जायेगा. संभावना है कि एक्सपायरी दवाओं को फिजिशियन सैंपल में बदला जा रहा था. आमतौर पर फिजिशियन सैंपल को शुद्धता की गारंटी मानी जाती है और वह बाजार में हाथों-हाथ बिक जाती है. इसके कारण यह शक है कि एक्सपायरी दवाओं के स्ट्रिप व डिब्बे पर लगे दाम के मुहर को हटा कर उस पर नॉट पर सेल अंकित कर फिजिशियन सेल बनाया गया है.
प बंगाल से भी एक्सपायरी दवा की बरामदगी : पश्चिम बंगाल के हुगली और हावड़ा में भी वहां की पुलिस ने छापेमारी कर करीब 20 लाख की एक्सपायरी दवा पकड़ी है. इसमें दो लोगों को हिरासत में लिया गया हैं, जिसमें से एक पटना का है. जिसके कारण अब यह संभावना जतायी जा रही है कि एक्सपायरी दवा की खेप को पश्चिम बंगाल तो नहीं भेजा गया या फिर पश्चिम बंगाल से एक्सपायरी दवा की खेप पटना तो नहीं लायी गयी है. साथ ही यह भी संभावना जतायी जा रही है कि एक्सपायरी दवा का खेल बिहार के साथ ही कई राज्यों में हो रहा है.
कानपुर का रैपर, पटना में पैकिंग, फिर कई राज्यों में नकली दवाओं की सप्लाइ
नकली और एक्सपायरी दवाओं के खेल के उजागर होने के बाद एसआइटी को नयी जानकारियां हासिल हुई हैं. इस काले कारोबार में जुटे लोगों का बड़ा नेटवर्क है. यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से इनके तार जुड़े हुए हैं. अब तक की जांच में पता चला है कि यह गैंग पटना के सरकारी अस्पतालों व रेलवे अस्पतालों की एक्सपायरी दवाओं को लेते थे. इसके बाद दवाओं की पैकिंग के लिए यूपी के कानपुर से रैपर खरीदते थे. रैपर पटना लाये जाते थे और यहां पर कबाड़ दुकान की आड़ में पैकिंग की जाती थी. पटना में भी कुछ दवाओं के रैपर तैयार किये जाते हैं. एसआइटी जांच कर रही है. इस रैकेट के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने में जुटी हुई है.
मास्टरमाइंड को पकड़ने को छापेमारी, दो पकड़ाये
एक्सपायरी दवाओं के गोरखधंधे के मास्टरमाइंड रमेश पाठक को पकड़ने के लिए पटना पुलिस ने छापेमारी शुरू कर दी है. पुलिस उसके पीआइटी कॉलोनी कंकड़बाग स्थित आवास पर भी पहुंची, लेकिन वह फरार था. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है. साथ ही कबाड़ी दुकानदार व संदलपुर निवासी बिट्टू की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.
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