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अब छात्राएं स्कूलों में सुलझायेंगी माहवारी की पहेली
पटना: महीने में एक बार आऊं, पहेली बन कर सब को उलझाऊं. जो मुझे समझ जाये, पहेली की सहेली कहलाये. चेहरे से गायब हो जाये लाली, थकान रहे और सुस्ती छाये. पढ़ने में मन न लग पाये. क्या है यह जो बताये, पहेली की सहेली कहलाये. जी हां, अब इसी तरह की पहेली का ज्ञान […]
पटना: महीने में एक बार आऊं, पहेली बन कर सब को उलझाऊं. जो मुझे समझ जाये, पहेली की सहेली कहलाये. चेहरे से गायब हो जाये लाली, थकान रहे और सुस्ती छाये. पढ़ने में मन न लग पाये. क्या है यह जो बताये, पहेली की सहेली कहलाये. जी हां, अब इसी तरह की पहेली का ज्ञान अब पूरे बिहार भर के मध्य विद्यालयों की छात्राओं को दिया जायेगा. छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा की छात्राओं के बीच किशोरावस्था में होनेवाले बदलावों की पहेली सुलझाने के लिए उन्हें स्कूली शिक्षिकाएं अलग से पाठ पढ़ायेंगी.
नये कार्यक्रम की शुरुआत : बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से किशोरियों के शारीरिक बदलाव को लेकर माहवारी स्वच्छता अभियान नामक कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. इसके लिए खिलती कलियां नामक माॅड्यूल बनाया गया है, जिसमें लड़कियों में किशोरावस्था के दौरान होनेवाले शारीरिक बदलावों की जानकारी दी जायेगी, ताकि वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें. इसमें किशोरियों को माहवारी से संबंधित जानकारी दी जानी है. स्वयंसेवी संस्था प्रथम की ओर पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में मुंगेर और भागलपुर जिले के मध्य विद्यालयों में लागू भी किया गया है. इसका बेहतर रिस्पांस भी मिल रहा है. जल्द ही अब पूरे राज्य भर के मध्य विद्यालयों में इसकी शुरुआत की जा रही है.
तैयार किये जायेंगे राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर : प्रथम संस्था अब राज्यस्तरीय मास्टर ट्रेनर तैयार कर रही है. प्रत्येक स्कूल से दो-दो महिला शिक्षिकाओं को इसकी ट्रेनिंग दी जानी है. उसमें खिलती कलियां मॉड्यूल के अनुरूप लड़कियों के अंगों के बारे में बताया जाना है. इसमें गर्भाशय संबंधी जानकारी दी जायेगी. सप्ताह में दो दिन शिक्षिकाएं दो घंटे का क्लास लेंगी.
कमजोरी के कारण नहीं आ पाती हैं स्कूल : आज भी 59 फीसदी लड़कियां शारीरिक अस्वस्थता के कारण स्कूल नहीं आ पाती हैं. इसका असर उनकी शिक्षा पर भी पड़ रहा है. यूनिसेफ द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार मासिक धर्म के दौरान लड़कियां खुद को अस्वस्थ समझती हैं और स्कूल नहीं आती हैं.
बनाया गया नोडल पदाधिकारी : स्कूलों में पढ़नेवाली लड़कियों को योजना का समुचित लाभ मिल सके, इसके लिए अलग से किशोरी स्वास्थ्य योजना के लिए नोडल पदाधिकारी भी बनाये गये हैं. इसके लिए बीते वर्ष मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य
योजना के अंतर्गत किशाेरियों को सेनिटरी नैपकीन के लिए 150 रुपये की भी राशि दी जाती है.
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