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ग्रामीण समाज की सूरत बदली
आद्री के सिल्वर जुबली समारोह में वक्ताओं ने रखे अपने-अपने विचार पटना : सोमवार को आद्री के सिल्वर जुबली समारोह के अवसर पर आयोजित अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का चौथा दिन था. इस अवसर पर छह व्याख्यान आयोजित किये गये, जिसमें सिंगापुर, यूरोप और अमेरिका के नामी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर समेत कई बड़े बुद्धिजीवियों ने भाग लिया. […]
आद्री के सिल्वर जुबली समारोह में वक्ताओं ने रखे अपने-अपने विचार
पटना : सोमवार को आद्री के सिल्वर जुबली समारोह के अवसर पर आयोजित अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का चौथा दिन था. इस अवसर पर छह व्याख्यान आयोजित किये गये, जिसमें सिंगापुर, यूरोप और अमेरिका के नामी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर समेत कई बड़े बुद्धिजीवियों ने भाग लिया. समारोह में छह तकनीकी सत्र भी आयोजित किये गये, जिसमें 26 शोध पत्र पढ़े गये. इस अवसर पर बड़ी संख्या में देश-विदेश के बुद्धिजीवी भी मौजूद थे.
मंगलवार को कॉन्फ्रेंस का समापन दिवस है. इनइक्वालिटिज, सोशल जस्टिस एंड प्राेटेस्ट पर आयोजित तकनीकी सत्र में यूनियन कॉलेज न्यूयार्क के एसोसिएट प्रोफेसर जेफरी वीट्सो ने लेसन्स फ्रॉम राइट टू वर्क एक्टिविज्म इन रुरल बिहार पर अपना शोध पत्र पढ़ते हुए कहा कि भोजपुर जिले के गांवों में अपने 15 वर्षों के शोध कार्य में उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण समाज में बदलाव आया है और उसकी सूरत कुछ हद तक बदली है.
महिलाओं में जागृति आयी है, हालांकि कई जगह उनके अधिकारों का इस्तेमाल उनके पति या पुरुष संबंधी ही कर रहे हैं. मजदूरी मांगने पर भी सभी गरीबों को समान अवसर नहीं देने की शिकायत अक्सर सुनने को मिलती थी, लेकिन सेल्फ सेलेक्टिंग इनरॉलमेंट से यह समस्या बहुत हद तक दूर हुई है.
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