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राज्य की 3962 पैक्स चल रही हैं घाटे में

पटना : राज्य में प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) की स्थिति बेहतर नहीं है. बिहार में पैक्सों की संख्या 8463 है. इसमें से 3962 पैक्स जमा और ऋण ग्रहण के मामले में अन्य राज्यों से बहुत ही पीछे चल रहे हैं. राज्य के घाटे में चल रहे पैक्सों का कुल घाटा बढ़ कर एक करोड़ […]

पटना : राज्य में प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) की स्थिति बेहतर नहीं है. बिहार में पैक्सों की संख्या 8463 है. इसमें से 3962 पैक्स जमा और ऋण ग्रहण के मामले में अन्य राज्यों से बहुत ही पीछे चल रहे हैं. राज्य के घाटे में चल रहे पैक्सों का कुल घाटा बढ़ कर एक करोड़ तक पहुंच गया है. इधर 1180 पैक्स द्वारा बेहतर प्रदर्शन किया गया है. बेहतर काम करनेवाले पैक्सों द्वारा छह करोड़ का लाभ अर्जित किया है. राज्य के सभी पैक्सों का कुल जमा 175 करोड़ था और उन पर कुल कर्ज 501 करोड़ हो गया था.
सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण में इसका खुलासा किया गया है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि कमजोर संसाधन, उनका अकुशल प्रबंधन और उनके सदस्यों की कम भागीदारी के कारण कर्ज के लेन देन में बाधा हो रही है. नाबार्ड ने संकेत दिया है कि पैक्स की सीमित क्षमता के कारण उनके सदस्यों की कर्ज की जरूरतों की आंशिक पूर्ति ही कर रही हैं.
वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक है कि वह अपने सदस्यों को सेवाएं उपलब्ध कराये और विभिन्न तरह की गतिविधियां कराने के लिए मल्टी सर्विस सेंटर के रूप में विकसित करे. मालूम हो कि राज्य में जनवितरण प्रणाली दुकानों सहित किसानों को मदद करने के लिए खाद-बीज का वितरण का माध्यम पैक्सों को बनाया गया है. पैक्सों के माध्यम से सरकार धान व गेहूं की खरीद भी करती है.

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