शशि भूषण कुंवर
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में हर वर्ष आने वाली बाढ़ का कारण खोज लिया है. उन्होंने आज लोक संवाद कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार में हर साल आनेवाली बाढ़ का कारण फरक्का में निर्मित बैराज है. इसको डी-कमीशन किया जाना चाहिए. अगर इसको लेकर कोई रास्ता निकलता हो तो उसका समाधान निकालना चाहिए. फरक्का बैराज को लेकर बिहार द्वारा केंद्र के सामने कई बार बातें रखी गयी है. भारत की मुख्य नदी गंगा है. इसकी हालत इसी तरह बनी रही तो आनेवाले समय में और नुकसान होगा. यह पूछे जाने पर कि क्या उसे ध्वस्त किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री का जवाब था कि ध्वस्त करने की बात नहीं है. उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि डी कमीशन में क्या किया जाये.
बाढ़ का मुख्य कारण बराज-सीएम
उन्होंने बताया कि बिहार में बाढ़ की समस्या का मुख्य कारण फरक्का बैराज है. गंगा में बढ़ रहे शिल्ट और कम हो रही नदी की गहराई चिंता का विषय है. इस वर्ष जब बिहार में बाढ़ आयी तो इसे संजीदगी से महसूस किया गया. इस संबंध में प्रधानमंत्री से बात हुई और अगले दिन इसकी जानकारी उनको दे दी गयी. गंगा को लेकर एक कमेटी बनी है. उसमें राज्य सरकार ने अपनी बात रखी है. पर्यावरण को बचाने के लिए गंगा की अविरलता को बनाये रखना आवश्यक है. केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय जल मार्ग बनाने की बात की जा रही है. इसके लिए जगह-जगह रिजर्वायर बनाकर गंगा के प्रवाह को रोकने की बात की जा रही है. बक्सर के ऊपर उत्तरप्रदेश में रिजर्वायर बनाने का प्रस्ताव है. गंगा की अविरलता को रोका गया तो पहले ही इसके जल की गुणवत्ता खराब हो चुकी है, अब और खराब हो जायेगी. इस तरह के निर्मित होनेवाले डैम को लेकर बिहार ने अपना विरोध दर्ज करा दिया है.
25 फरवरी को होगी पटना में विशेषज्ञों की बैठक
मुख्यमंत्री ने अपने 65 साल के अनुभवों का हवाला देते हुए कहा कि बख्तियारपुर में कभी पानी नहीं घुसा था. पिछले साल की बाढ़ में पूरा इलाका प्रभावित हुआ था. 25 को गंगा नदी को लेकर जल संसाधन विभाग करेगा कार्यक्रम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि गंगा कि अविरलता को लेकर 25 फरवरी को जल संसाधन विभाग द्वारा विशेषज्ञों का कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम में जल पुरुष राजेंद्र सिंह सहित अन्य विशेषज्ञ शामिल होकर इस विषय पर चर्चा करेंगे. इसमें गंगा को बचाने को लेकर चर्चा होगी.पटना में आयोजित कार्यक्रम में शामिल विशेषज्ञों द्वारा पश्चिम बंगाल के मालदा में भी सम्मेलन आयोजित किया गया है. गंगा को बचाने को लेकर वातावरण बनना चाहिए.