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उत्तर बिहार में लगाये जायेंगे असम के बांस

पूर्णिया, मोतहारी, मधुबनी और सीतामढ़ी के 604 एकड़ में लगेंगे 84 हजार पौधे पटना : उत्तर बिहार की खेतों में अब असम के बांस लगाये जायेंगे. लोकल बांस के तैयार होने में खेतों में ड़ेढ़-से-दो साल लग जाते हैं, जबकि असम के बांस आठ से 10 माह में ही तैयार हो जाते हैं. यही नहीं, […]

पूर्णिया, मोतहारी, मधुबनी और सीतामढ़ी के 604 एकड़ में लगेंगे 84 हजार पौधे
पटना : उत्तर बिहार की खेतों में अब असम के बांस लगाये जायेंगे. लोकल बांस के तैयार होने में खेतों में ड़ेढ़-से-दो साल लग जाते हैं, जबकि असम के बांस आठ से 10 माह में ही तैयार हो जाते हैं.
यही नहीं, असम के बांस लंबाई और मजबूती के मामले में भी लोकल बांस से कई गुना अधिक कारगर साबित होते हैं. इन सबके अलावा लेकल बांस की तुलना में असम के बांस से कागज निर्माण उद्योग का भी विस्तार होगा. उद्योग विभाग ने सूबे में कागज उद्योग को बढ़ावा देने के लिए निवेश प्रोत्साहन योजना बनायी है. असम के बांस की सघन खेती होने से सूबे में कागज उद्योगों को बाहर के बांसों पर निर्भरता खत्म होगी.
वन विभाग ने असम से बांस के टिशू कल्चर पौधे मंगवाना शुरू कर दिया है. उत्तर बिहार के चार जिलों में पहले चरण में लक्ष्य तो असम के टिशू कल्चर के 84 हजार पौधें लगाने का तय किया गया है, परंतु विभाग ने 90 हजार पौधे मंगवाने की योजना बनायी है. असम के वन और कृषि विभाग से वन विभाग ने इस योजना को शुरू करने के लिए कांट्रैक्ट किया है. 90 हजार बांस के टिशू कल्चर पौधों की खरीद पर वन विभाग 3.82 लाख रुपये खर्च करेगा.
वन विभाग ने पूर्णिया, मोतहारी, मधुबनी और सीतामढ़ी में किसानों को 604 हजार एकड़ में असम के बांस के टिशू कल्चर पौधे अपने स्तर पर मुफ्त में तो मुहैया करायेगा ही.
साथ-साथ ही उनकी खेतों में चार माह तक खुद रख-रखाव भी करेगा. वन विभाग ने नहर फर्म फर्म योजना के तहत पूर्णिया में 10 किसानों के साथ असम के बांस के पौधे लगाने का चार माह तक प्रयोग किया था. वन पदाधिकारियों और किसानों की मेहनत रंग लायी. वन विभाग का यह प्रयोग सफल रहा. पूर्णिया में सफल प्रयोग के बाद वन विभाग ने उत्तर बिहार के तीन और जिलों में असम के बांस के टिशू कल्चर का पौधा लगाने की योजना को मंजूरी दी है. वन पदाधिकारियोंके अनुसार इस अभियान में कम से कम पांच हजार किसानों को आर्थिक लाभ होगा.

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