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बार-बार समीक्षा के बाद भी अधूरी रह गयी सुविधाएं

पटना : जिला प्रशासन की ओर से 2016 में कई बेहतर सुविधाएं लोगों के हित में शुरू की गयी, तो कई ऐसी बातें भी रही. जोकि, बार-बार समीक्षा के बाद भी अधूरी रह गयी. सरकारी स्तर पर कार्यों के निष्पादन और कर्मचारी समय पर आये, उनके लिए एप बनाया गया, जिसके माध्यम से जिलाधिकारी खुद […]

पटना : जिला प्रशासन की ओर से 2016 में कई बेहतर सुविधाएं लोगों के हित में शुरू की गयी, तो कई ऐसी बातें भी रही. जोकि, बार-बार समीक्षा के बाद भी अधूरी रह गयी. सरकारी स्तर पर कार्यों के निष्पादन और कर्मचारी समय पर आये, उनके लिए एप बनाया गया, जिसके माध्यम से जिलाधिकारी खुद मॉनीटरिंग करते हैं और उसका फायदा लोगों को मिल रहा है.
लेकिन, अभी तक बीडीओ और सीओ को बैठने के लिए बेहतर भवन नहीं मिल पाया है. वहीं कार्यालयों का हाल काफी जर्जर है. बाढ़, छठपूजा खत्म होने के बाद प्रकाश पर्व भी जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसमें सभी अधिकारी काम में लगे हैं.
जिला प्रशासन के लिए 2016 में सबसे बड़ी चुनौती बाढ़ की आयी. जब, ऐसा लगा कि अब रात में गंगा का पानी पटना में घुस जायेगा. उस वक्त अधिकारियों ने संयुक्त रूप से मेहनत कर गंगा के किनारे कैंप किया, पुनपुन के बढ़े जल स्तर को रोकने के लिए डीएम खुद रात में गांव में कैंप करते रहे. एक माह तक बाढ़ क्षेत्र के दौरे में अधिकारी लगे रहे और बाढ़ में फंसे लोगों को बचा कर पटना लाये. बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच राशि और राशन का वितरण कर उनके खाने व रहने की पूर्ण व्यवस्था स्कूलों में करायी गयी.
बाढ़ में फंसे लोगों को उनके घर से सरकारी नाव से पटना लाया गया, जो लोग घर नहीं छोड़ना चाहते थे उनके लिए उनके घर तक राहत पैकेट पहुंचाया गया. एक माह तक बाढ़ में अधिकारी काम करते रहे . इसके तुरंत बाद जब अधिकारियों को थोड़ी राहत की सांस लेने का मौका मिला, तो सामने छठपूजा आ गया और गंगा का पानी कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. बावजूद इसके जिला प्रशासन ने दिन-रात छठपूजा को सफल करने के लिए कमर कस ली और सभी जगह घाटों पर बैरिकेडिंग कराया. छठ में तालाब बनाये और हर चीज को बारीकी से देखा.
लोक शिकायत केंद्र में 50% जमीन विवाद के मामले पहुंच रहे हैं. लोक शिकायत निवारण केंद्र में अब तक 1009 से अधिक आवेदन आये हैं. जिसमें से 800 मामलों का निबटारा हो चुका हैं. इसमें 50% मामला जमीन विवाद से जुड़ा हैं, जिसे अंतिम फैसले के लिए काेर्ट जाने की सलाह दी जाती हैं.
क्योंकि, निजी जमीन के विवाद मामले में शिकायत निवारण केंद्र को फैसला लेने का अधिकार नहीं है. ऐसे में जब जमीन का मामला आता हैं, तो उसे तारीख देकर बुलाया जाता हैं. दोनों पक्षों में आपसी विवाद को सुलझाने की बात भी होती हैं. लेकिन, जब सुलह नहीं होती है, तो उनको कोर्ट जाने की सलाह दी जाती हैं. मारपीट व अन्य विभागों से संबंधित मामले के निबटारे के लिए दोनों पक्षों को समय दिया जाता हैं और मामले का निबटारा किया जाता हैं. कई मारपीट के मामले में कोई एक पक्ष काफी परेशान होता हैं और उसकी बातों को नहीं सुना जाता हैं. ऐसे मामले में पुलिस के माध्यम से जल्द निबटाने के लिए कोर्ट में सभी कागजात को जमा कराने को कहा जाता हैं.
उपस्थिति एप को लांच किया गया
सभी जिला कार्यालयों में सोलर सिस्टम के माध्यम से नेट की शुरुआत की गयी
शौचालय निर्माण के कार्यों में अब कुछ वार्डों में काम अधूरा है.
ऑपरेशन दृष्टि के तहत गरीबों का मोतियाबिंद का मुफ्त इलाज
महानगर योजना समिति का चुनाव जिसमें 29 सदस्य हुए निर्वाचित
मॉल में लगे खुफिया कैमरे की जांच व उसके लिए एक टीम का गठन
निबंधन सह परामर्श केंद्र का नया भवन बनाया गया
महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए वन स्टॉप सेंटर का उद्घाटन
रजिस्ट्री कार्यालय का ऑफिस छज्जूबाग में बनाया गया और परिवहन कार्यालय के लिए जगह चिह्नित किया जा रहा है.
जिलों में शिकायत निवारण केंद्र खोला गया

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