पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी को यह बताना चाहिए कि केंद्र सरकार ने वादे किये थे उनका क्या हुआ. उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं से नरेंद्र मोदी ने दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, आज एक भी बिहारी युवा को रोजगार नहीं मिला. उन्होंने कहा कि सुशील मोदी काला धन की वापसी की बात कह रहे तो क्या केंद्र सरकार हर भारतीय के खाते में 15 लाख डलवायेंगी.
ढाई साल हो गये एक पैसा भी किसी के खाते में नही आया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से जो वादा किया था उसे पूरा कर रहे हैं. सिंह ने कहा कि नोटबंदी को लेकर सुशील मोदी को कई सवालों के जबाब देने होंगे, जो देश की गरीब जनता पूछ रही है. इस नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर हमारे किसानों पर पड़ा है. बिहार के किसान इस नोटबंदी को लेकर त्राहिमाम कर रहे हैं. केंद्र की सरकार और भारतीय रिजर्व
बैंक अतिशीघ्र ग्रामीण इलाकों पर ध्यान नहीं देगी तो स्थिति काफी बिगड़
सकती है. किसानों को बीज , खाद-उर्वरक और अन्य कृषि के सामान खरीदने काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. सरकार के आदेश के बाद कई पेट्रोल पंप, डीजल के लिए पांच सौ और हजार के नोट नही ले रहे हैं. एटीएम के चक्कर लगाने का बावजुद किसानों को कृषिमद के लिए उपयुक्त पैसे नही मिल पा रहे है.
नोटबंदी से अफरा-तफरी : राजीव रंजन प्रसाद
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि बिना तैयारी के, पांच सौ व हजार रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के केंद्र सरकार के फैसले से पूरे देश में अफरा-तफरी हो गयी है. लोग भयानक अर्थ संकट में आ गये हैं. 86 फीसदी नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया है.
न तो पर्याप्त संख्या में नये नोट छापे गये और न ही बैंक या एटीएम को नये अथवा छोटे नोटों से लैस किया गया. लाखों लोगों को भोजन के लाले पड़ गये हैं . नये नोट मांगने वाले मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. किसान बीज, खाद, उर्वरक के लिए परेशान है. शादियों के लिए जुटाकर रखे बरसों की कमाई के पांच-दस लाख रुपये काम नहीं आ रहे.
बाजार सुनसान पड़ गया है. बैंकों, पोस्ट ऑफिसों में नये नोटों के लिए मारामारी हो रही है. श्री सिंह सुशील मोदी बतायें कि किसान खेतों में काम करें कि एटीएम और बैंक के कतार में पूरे-पूरे दिन खड़े रहें. मात्र चार हजार रुपए निकालने में आठ से 12 घंटे लग रहे हैं तो क्या ग्रामीण जनता और किसानों को अलग से कुछ सहुलियत नही मिलनी चाहिए थी. नोटबंदी के कारण कृषि और अनाज का कम पैदावार हुआ तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. नोटबंदी की वजह से बिहार और पूरे देश में खाद्यानों के भंडार और उपज में कमी की भरपाई कैसे होगी.