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दुर्लभ संयोग : इस बार की कार्तिक पूर्णिमा महाकार्तिकी

पटना : सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा दुर्लभ संयोगों के साथ मनायी जायेगी. सोमवार को कृत्तिका और भरणी नक्षत्र का मिलन संयोग है और यह दुर्लभ क्षण बहुत मुश्किल से आता है. जब कृतिका नक्षत्र हो तो यह ‘महा कार्तिकी’ होती है, भरणी नक्षत्र होने पर विशेष रूप से फलदायी हो जाती है. इस तिथि को […]

पटना : सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा दुर्लभ संयोगों के साथ मनायी जायेगी. सोमवार को कृत्तिका और भरणी नक्षत्र का मिलन संयोग है और यह दुर्लभ क्षण बहुत मुश्किल से आता है. जब कृतिका नक्षत्र हो तो यह ‘महा कार्तिकी’ होती है, भरणी नक्षत्र होने पर विशेष रूप से फलदायी हो जाती है. इस तिथि को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि का दिन भी माना जाता है.

इस दिन यदि विष्णु भक्तों के लिए यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन संध्याकाल में भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्यावतार हुआ था. भगवान को यह अवतार वेदों, प्रलय के अंत तक सप्त ऋषियों, अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था. आज के दिन किए जाने वाले स्नान, दान, हवन, यज्ञ व उपासना का अनंत फल प्राप्त होता है.

देवालयों में दीये जलाने का विशेष फल: सायंकाल देवालयों, मंदिरों, चौराहों और पीपल व तुलसी वृक्ष के सम्मुख दीये जलाने का प्रावधान है. कार्तिक पूर्णिमा पर चूंकि जलाशय में स्नान का विशेष महत्व है तो इस दिन नदियों किनारे बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होकर स्नान करते हैं और श्री हरि का स्मरण करते हैं. गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरुक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसा भी कहा जाता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर भगवान विष्णु चार मास के लिए योगनिद्रा में लीन होते हैं तो फिर वे कार्तिक शुक्ल एकादशी को उठते हैं और पूर्णिमा से वे कार्यरत हो जाते हैं. यही वजह है कि दीपावली को लक्ष्मीजी का पूजन बिना विष्णुजी के श्रीगणेश के साथ किया जाता है.
दान का है विशेष महत्व: पंडित अमित माधव कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन जो भी दान किया जाता है उसका कई गुना पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन अन्ना, धन व वस्त्र दान का विशेष महत्व है. मान्यता तो यह भी है कि इस दिन व्यक्ति जो भी दान करता है वह मृत्युपरांत स्वर्ग में उसे पुन: प्राप्त होता है. सभी सुखों व ऐश्वर्य को प्रदान करने वाली कार्तिक पूर्णिमा को की गई पूजा और व्रत के प्रताप से हम ईश्वर के और करीब पहुंचते हैं. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा से प्रतिष्ठा प्राप्ति होती है, शिवजी के अभिषेक से स्वास्थ्य और आयु में बढ़ोतरी, दीपदान से भय से मुक्ति और सूर्य आराधना से लोकप्रियता और मान सम्मान की प्राप्ति होती है.
शिवशंकर का दर्शन करने से ज्ञान और धन
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का अंत किया था और भगवान विष्णु ने उन्हें त्रिपुरारी कहा. इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है. इस दिन चंद्रमा उदय के समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का पूजन करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं.
गुरुनानक देव का मनाया जायेगा जन्मोत्सव
सिख संप्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सिख संप्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. नानकदेव सिखों के पहले गुरु हैं. इस दिन सिख संप्रदाय के अनुयायी सुबह गुरुद्वारे जाकर गुरुवाणी सुनते हैं. इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है. इस दिन सिख धर्म को मानने वाले सभी लोग नानकदेव जी के तीन सिद्धांतों के पालन का महत्व समझते हैं.

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