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बिहार में घटे कालाजार के मरीज
स्वास्थ्य विभाग का दावा, दवा िछड़काव का असर डॉ एमपी शर्मा ने कहा, इस साल कालाजार से किसी भी मरीज की नहीं हुई है मौत पटना : बिहार में अब कालाजार मरीजों की संख्या काफी कम हो चुकी है. पोलियो के बाद प्रदेश कालाजार से मुक्ति की दिशा में बढ़ रहा है. पिछले छह सालों […]
स्वास्थ्य विभाग का दावा, दवा िछड़काव का असर
डॉ एमपी शर्मा ने कहा, इस साल कालाजार से किसी भी मरीज की नहीं हुई है मौत
पटना : बिहार में अब कालाजार मरीजों की संख्या काफी कम हो चुकी है. पोलियो के बाद प्रदेश कालाजार से मुक्ति की दिशा में बढ़ रहा है. पिछले छह सालों में राज्य में कालाजार के मरीजों की संख्या में कमी आयी है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार लोगों में बीमारी के प्रति जागरूकता और बालू मक्खी के प्रभाव को कम करने के लिए सिंथेटिक पिरिथ्राइड के छिड़काव से कालाजार के मरीजों में कमी आयी है .
मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित बिहार प्रोग्रेस ऑन कालाजार इलीमिनेशन कार्यक्रम में ये
बातें नेशनल बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के संयुक्त निदेशक डॉ आरके दास गुप्ता नेकहीं. उन्होंने कहा कि देश में बिहार ऐसा राज्य है, जहां कालाजार के 75 प्रतिशत मरीज हैं. बिहार में इस बीमारी के प्रति सरकार और कुछ सामाजिक संगठनों ने अच्छा काम किया है, जिससे मरीजों की संख्या लगातार घट रही है. वेक्टर बॉर्न डिजीज के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ एमपी शर्मा ने कहा कि इस साल कालाजार से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है.
2010 में 95 और 2015 में पांच मरीजों की मौत हुई थी. नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार 2010 में बिहार में 23084 मरीज थे, जबकि 2016 में घटकर 3,563 हो गयी है. इस दौरान कालाजार से होनेवाली मौतें 95 से घटकर शून्य हो गयी हैं. अधिकारियों का दावा है कि यह बीमारी 2017 तक समाप्त हो जायेगी.
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