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पीएमसीएच: खतरे में है जान, हीमोफीलिया का इंजेक्शन खत्म

पटना: पटना मेडिकल कॉलेज में हीमोफीलिया के इंजेक्शन खत्म होने से मरीजों की जान खतरे में पड़ गयी है. अस्पताल में इंतजाम नहीं होने से मरीजों की मुश्किलें ज्यादा बढ़ गयी हैं. कॉलेज प्रशासन ने इसके लिए 15 दिन पहले ही पत्र लिखा था. लेकिन, इंजेक्शन अभी तक नहीं मिला है. इंजेक्शन नहीं मिलने से […]

पटना: पटना मेडिकल कॉलेज में हीमोफीलिया के इंजेक्शन खत्म होने से मरीजों की जान खतरे में पड़ गयी है. अस्पताल में इंतजाम नहीं होने से मरीजों की मुश्किलें ज्यादा बढ़ गयी हैं. कॉलेज प्रशासन ने इसके लिए 15 दिन पहले ही पत्र लिखा था. लेकिन, इंजेक्शन अभी तक नहीं मिला है. इंजेक्शन नहीं मिलने से आये दिन मरीज हंगामा कर रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य महकमा चुपी साधे हुए हैं. इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.
248 मरीज रजिस्टर्ड : बीमारी की गंभीरता के आधार पर रोगियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है, जिसे फैक्टर-7, फैक्टर-8 और फैक्टर-9 के नाम से जाना जाता है. मेडिकल कॉलेज में इस बीमारी के कुल 248 मरीज रजिस्टर्ड हैं, जिसमें फैक्टर-7 के 20, फैक्टर-8 के 171 और फैक्टर-9 के 32 मरीज हैं. तीनों श्रेणियों के इंजेक्शन कम होने पर ही कॉलेज प्रशासन ने पत्र लिखा था.

अब महज फैक्टर-9 के ही 13 वायल बचे हैं. बाकी दोनों श्रेणियों के इंजेक्शन तीन हफ्ते पहले ही खत्म हो गये है. डॉक्टर बताते हैं कि इस बीमारी में रक्तस्राव होने की दशा में दिक्कत बढ़ जाती है और अधिक रक्तस्राव होने पर जान भी जा सकती हैं. प्राइवेट अस्पतालों में भी सुविधा कम है. कुछ बड़े प्राइवेट अस्पताल इसका इलाज करते हैं, मगर इसके लिए वहां लाखों खर्च करने पड़ते है.

क्या है हीमोफीलिया : यह एक आनुवंशिक बीमारी है. इसमें खून का थक्का नहीं जमता. रोगी को चोट लगने पर शुरू हुआ रक्तस्राव बंद ही नहीं हो पाता. सबसे ज्यादा खतरा अंदरूनी चोट लगने पर होती है. इसलिए इस बीमारी के मरीजों को रजिस्टर्ड किया जाता है और नियमित रूप से उनका फॉलोअप किया जाता हैं. क्योंकि, अधिक रक्तस्राव होने से मरीज की जान भी जा सकती है. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ लखींद्र प्रसाद ने बताया कि मरीजों की सुविधाओं के लिए हमने शासन को सूचना भेज दी है.

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