पटना: अगर आप अपने मरीज को ये सोच कर आइजीआइएमएस ले जा रहे हैं कि वहां इसका सिटी स्कैन हो जायेगा तो आप अपनी सोच बदल लें. जी हां, गंभीर चोट या दुर्घटना में आपके मरीज को यहां सिर्फ अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे की सुविधा ही मिल पायेगी. आइजीआइएमएस परिसर में एमआरआइ के नाम पर भी कुछ नहीं है. जो जांच की व्यवस्था परिसर में मौजूद है उसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि उसे पूरा करने में परिजनों को कभी-कभी एक से दो दिन भी लग जाता है.
अल्ट्रसाउंड मशीनें भी जजर्र
एक्स-रे व अल्ट्रसाउंड मशीन भी ठीक से काम नहीं कर रही है. इलाज के लिए अस्पताल में आनेवाले मरीजों को एक्स-रे व अल्ट्रासांउड के लिए परिसर से बाहर जाना पड़ रहा है. जब इसकी पड़ताल की गयी, तो पता चला कि भीड़ के कारण मरीजों का नंबर दो दिन बाद आता है. वहीं एक्स-रे के लिए प्रक्रिया पूरी करने में परिजनों के पसीने छूट जाते हैं.
इसका सीधा फायदा दलालों को मिलता है. जहां तक मशीन की बात करें, तो उसकी भी हालत बेहद नाजुक है. वहीं, जानकारों के अनुसार दस साल तक ही किसी सीटी स्कैन मशीन की लाइफ होती है. संस्थान में खराब पड़ी सीटी स्कैन मशीन दस साल का लाइफ टाइम पूरा कर चुकी है.