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अगले माह ही मिले पायेगा नियोजित शिक्षकों को वेतन
परेशानी. शिक्षा मंत्री ने वित्त मंत्री से की बातचीत, लेकिन नहीं खुला डीपीओ के खाते से लॉक प्रारंभिक स्कूलों के 3.23 लाख शिक्षकों का जहां तीन महीने (अगस्त छोड़ कर) की राशि बकाया है, वहीं, हाइ व प्लस टू स्कूलों के 35 हजार शिक्षकों को मार्च से वेतन ही नहीं मिला है. पटना : राज्य […]
परेशानी. शिक्षा मंत्री ने वित्त मंत्री से की बातचीत, लेकिन नहीं खुला डीपीओ के खाते से लॉक
प्रारंभिक स्कूलों के 3.23 लाख शिक्षकों का जहां तीन महीने (अगस्त छोड़ कर) की राशि बकाया है, वहीं, हाइ व प्लस टू स्कूलों के 35 हजार शिक्षकों को मार्च से वेतन ही नहीं मिला है.
पटना : राज्य के प्रारंभिक, माध्यमिक व हाइ स्कूलों के नियोजित शिक्षकों के खाते में इस महीने वेतन की राशि मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर है. शिक्षकों को सितंबर महीने के पहले सप्ताह में वेतन की राशि मिल सकेगी. शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी और वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी की बातचीत के बाद भी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों के बैंक एकाउंट में लगा लॉक नहीं हट सका है, जिससे सितंबर से पहले वेतन मिलना संभव नहीं है.
प्रारंभिक स्कूलों के 3.23 लाख शिक्षकों का जहां तीन महीने (अगस्त छोड़ कर) का राशि बकाया है, वहीं, हाइ व प्लस टू स्कूलों के 35 हजार शिक्षकों को मार्च से वेतन ही नहीं मिला है. हाइ व प्लस टू स्कूलों के शिक्षकों को होली के बाद वेतन की राशि दी गयी थी, लेकिन उसके बाद अब अगस्त खत्म होने को है, पांच महीने से शिक्षकों के खाते में राशि नहीं जा सकी है. सरकार ने कैबिनेट कर राशि जिलों के जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों के खाते में दे दिया है, लेकिन उनका बैंक एकाउंट लॉक होने के कारण राशि नहीं निकल पा रही है. जिलों से कई वित्तीय वर्ष का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं आने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है.
विभाग ने जिलों से हाइ व प्लस टू स्कूलों के वेतन मद में जारी की गयी राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा था. इसके लिए कई बार डेडलाइन भी दिये गये, बैठकों में देने को कहा गया, दो बार कैंप लगा, लेकिन समय पर यह नहीं आया. 22-23 अगस्त को सभी जिलों को अंतिम मौका दिया गया था. अधिकांश जिलों से उपयोगिता प्रमाण पत्र आ गया है. उधर, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने भी वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी से बातचीत कर डीपीओ के खाते में लगा लॉक खत्म कराने का आग्रह किया था. इस पर दो-तीन दिनों में लॉक हटाने का भी आश्वासन भी दिया गया था, लेकिन गुरुवार तक यह लॉक नहीं हट सका है.
उपयोगिता प्रमाण के कारण वेतन रोकना एक समस्या है. जब शिक्षकों को वेतन बैंक से दिया जा रहा है तो बैंक का स्लिप ही उनका उपयोगिता प्रमाण पत्र हो सकता है. इसको लेकर बिहार विधान परिषद् के सभापति की अध्यक्षता में महालेखाकार, वित्त मंत्री, शिक्षा मंत्री, वित्त विभाग के प्रधान सचिव, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव की एक बैठक हो और इसे अंतिम रूप दिया जाये. इससे उपयोगिता प्रमाण पत्र की समस्या खत्म होगी व हर महीने समय पर शिक्षकों को वेतन मिल सकेगा.
गठित होगा शिक्षा आयोग, तैयार किये जायेंगे एकेडमिक रोड मैप
बिहार सरकार राज्य में शिक्षा आयोग गठित (एजुकेशन कमेटी) करने जा रही है. यह आयोग प्रदेश के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा को लेकर नीति का निर्धारण करेगा और रोड मैप तैयार करेगा. इसी रोड मैप के आधार पर शिक्षा विभाग काम करेगा. इससे शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए काम किया जायेगा. इसको लेकर शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक प्रस्ताव दिया है.
इस आयोग में सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी समेत शिक्षाविद को रखा जायेगा, जो प्रदेश की प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा कैसे सुधरे उसके लिए शिक्षा विभाग को गाइड करेंगे. शिक्षा विभाग की मंशा है कि विभाग से प्रधान सचिव, निदेशालयों के निदेशक से लेकर अधिकारियों का तबादला होता रहता है, इससे जो काम चल रहा होता है वह प्रभावित होता है. नये अधिकारी जब आते हैं तो उन्हें काम समझने में समय लगता है और जो काम पहले से चल रहा होता है, उसमें देरी होती है. शिक्षा आयोग के गठन होने से आयोग के गाइडेंस में जो काम चलेगा वह चलता रहेगा, तबादले के बाद आने वाले दूसरे अधिकारी भी उसी काम को आगे बढ़ायेंगे. फिलहाल विभाग को भी योजनाएं बनाने और उसे लागू करने का काम करना होता है. शिक्षा आयोग का गठन होने से योजनाओं का निर्धारण का काम उनका होगा और उसे इंप्लीमेंट शिक्षा विभाग करायेगा. सरकार शिक्षा आयोग गठित करती है तो उसके सामने कड़ी चुनौती होगी.
प्राथमिक शिक्षा में गुणवत्ता पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होगा. स्कूलों में बच्चे पहुंच गये हैं, लेकिन उनके शिक्षा का स्तर वह नहीं आ पाया जो होना चाहिए.
कई स्वयंसेवी संस्थाओं की रिपोर्ट के अनुसार क्लास पांचवीं-छठी के बच्चे का स्तर दूसरी-तीसरी के बच्चों जितना भी नहीं है. वहीं, माध्यमिक शिक्षा जाते-जाते बच्चों की ड्रॉप आउट को रोकने के लिए भी कारगर योजना बनानी होगी. पोशाक, साइकिल योजना से बच्चों की संख्या में तो बढ़ोतरी हुई है, लेकिन ड्राप आउट रूक नहीं है. उच्च शिक्षा में सबसे बड़ी चुनौती है. बिहार में प्लस टू पास करने वाले 13 प्रतिशत छात्र ही उच्च शिक्षा में जाते हैं. इसे बढ़ाना होगा. शिक्षा विभाग ने वर्तमान में इसे 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है.
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