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एनजीओ की संख्या 43 हजार, 80 फीसदी कागजी का रद्द होगा निबंधन

पटना : राज्य में समाजसेवा, पर्यावरण, महिला, बाल विकास, दहेज उन्मूलन, एड्स समेत अन्य कई सामाजिक मुद्दों पर काम करने के लिए हजारों एनजीओ ने निबंधन ले रखा है. निबंधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में पूरे राज्य में निबंधित एनजीओ की संख्या 43 हजार से ज्यादा है. ये एनजीओ क्या कार्य करते हैं, […]

पटना : राज्य में समाजसेवा, पर्यावरण, महिला, बाल विकास, दहेज उन्मूलन, एड्स समेत अन्य कई सामाजिक मुद्दों पर काम करने के लिए हजारों एनजीओ ने निबंधन ले रखा है. निबंधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में पूरे राज्य में निबंधित एनजीओ की संख्या 43 हजार से ज्यादा है. ये एनजीओ क्या कार्य करते हैं, इनके जरिये अब तक निजी या सरकारी तौर पर कितना फंड लिया गया, इन फंडों और कार्यों का पूरा विस्तृत लेखा-जोखा जमा करने के लिए निबंधन विभाग ने इन्हें 24 अगस्त तक अंतिम समय दिया था.
परंतु विभाग के बाद-बार कहने के बाद भी सिर्फ आठ हजार एनजीओ ने ही अपनी-अपनी ऑडिट रिपोर्ट विभाग में जमा की है. इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य में 80 फीसदी एनजीओ कागज पर ही चलते या पूरी तरह से फर्जी हैं. इन्होंने बिना कामकाज का ही निबंधन ले रखा है. जिन एनजीओ ने ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं की है, उनका निबंधन जल्द ही रद्द करने की कार्रवाई की शुरू की जायेगी. विभागीय स्तर से जल्द ही इसे लेकर कवायद शुरू होने जा रही है.
छह महीने कहने पर भी जमा नहीं की ऑडिट रिपोर्ट
नियमानुसार भी राज्य सरकार से रजिस्टर्ड सभी एनजीओ को अपना हिसाब-किताब विभाग में जमा करना होता है.
कई एनजीओ ने सालों, तो कईयों ने आज तक कोई लेखा-जोखा या ऑडिट रिपोर्ट ही जमा नहीं की है. इस वजह से इनका कोई हिसाब ही विभाग के पास नहीं है. इसके मद्देनजर विभाग ने सभी एनजीओ को अपनी-अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया था. यह आदेश छह महीने पहले ही विभाग ने दिया था. पहले इसकी अंतिम तारीख 16 अगस्त दी गयी थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 24 अगस्त कर दिया गया. फिर भी महज आठ हजार यानी करीब 20 फीसदी एनजीओ ने ही ऑडिट रिपोर्ट जमा किया है.
इस वजह से एनजीओ नहीं देते ऑडिट रिपोर्ट
– कई एनजीओ सिर्फ इसलिए रजिस्ट्रेशन करा लेते कि तीन साल तक इंतजार करने के बाद वे सरकारी फंड लेने के लिए योग्य हो जायेंगे
– कुछ सिर्फ नाम के लिए या इसकी आड़ में अन्य तरह के कार्य करने के लिए रजिस्ट्रेशन ले लेते हैं.
– कुछ मामलों में एनजीओ ब्लैक मनी को भी व्हाइट करने का इसे जरिया बना लेते हैं
– कुछ लापरवाही के कारण ऑडिट की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं देते हैं
– किसी नाम से रजिस्ट्रेशन लेकर इसे बिना काम का ही ऐसे रखे रहते हैं.
– रजिस्ट्रेशन में जो बॉयलाज प्रस्तुत करते हैं, उसके हिसाब से काम नहीं करते
कोट में……
निर्धारित समय सीमा में जिन एनजीओ ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं की है, उनका निबंधन हर हाल में रद्द कर दिया जायेगा. छह महीने से विभाग सभी को बार-बार ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की सूचना दे रहा है. फिर भी इन पर कोई असर नहीं पड़ा. कई बार अखबारों में भी इससे संबंधित विज्ञापन भी निकाला गया है. फिर भी हजारों एनजीओ एेसे हैं, जिन पर कोई असर नहीं पड़ा.
केके पाठक (प्रधान सचिव, उत्पाद एवं मद्य निषेध तथा निबंधन विभाग)

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