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बाढ़ : शहर को थोड़ी राहत, दियारे में अब भी आफत

पटना : गंगा के जल स्तर में सोमवार को 35 सेंटीमीटर की गिरावट होने के कारण शहर ने थोड़ी राहत की सांस ली है. हालांकि अब भी गंगा का जल स्तर डेंजर लेवल से ऊपर है. लेकिन मंगलवार को इसके 20 सेंटीमीटर और नीचे आने की संभावना है. इन सबके बीच आपदा प्रबंधन द्वारा जारी […]

पटना : गंगा के जल स्तर में सोमवार को 35 सेंटीमीटर की गिरावट होने के कारण शहर ने थोड़ी राहत की सांस ली है. हालांकि अब भी गंगा का जल स्तर डेंजर लेवल से ऊपर है. लेकिन मंगलवार को इसके 20 सेंटीमीटर और नीचे आने की संभावना है. इन सबके बीच आपदा प्रबंधन द्वारा जारी सूचना के अनुसार पटना, वैशाली समेत राज्य के एक दर्जन जिलों के दियारे में अब भी बाढ़ की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
इधर विभाग ने दावा किया है कि बाढ़ से प्रभावित सभी जिलों में राहत और बचाव का काम जारी है. पीड़ितों को दियारा क्षेत्र से सुरक्षित निकालकर राहत कैंपों में लाया जा रहा है
जहां उन्हें पका हुआ भोजन, पीने का पानी, महिला और पुरुषों के लिए अलग–अलग शौचालय, स्वास्थ्य जांच, जरूरी दवाएं, साफ–सफाई और रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है. आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि अब तक लगभग 139330 लोगों को बाढ़ वाले इलाकों से बाहर निकालकर सुरक्षित जगहों तक पहुंचाया जा चुका है. इनके लिए कुल 162 शिविरों को संचालन हो रहा है. इसमें लगभग 105000 लोगों को रखा गया है. बाढ़ पीड़ितों को राहत और बचाव के लिए 1537 नावें चलाये जा रहे हैं.
निचले हिस्सों में गंगा के पानी का रिसाव जारी
गंगा का जल स्तर बढ़ने से डॉ राजेंद्र प्रसाद का घर, पाटलिपुत्रा मैदान, पटना मार्केट के पास पानी का रिसाव लगातार जारी है. ऐसे में कुर्जी हॉस्पिटल के पीछे से लेकर श्री ब्रजकिशोर स्मारक प्रतिष्ठान के भीतर, डॉ राजेंद्र प्रसाद के घर और उसके पीछे बने बाकी घरों में पानी घुस गया है.
यहां के मेन हॉल से पंप सेट के माध्यम से पानी को वापस गंगा में फेंका जा रहा है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है. पानी कुर्जी हॉस्पिटल के किनारे तक सड़क पर फैल गया है. वहीं, कुर्जी के पहले दूसरी जगह से भी पानी का रिसाव शुरू हुआ है, जहां उसे रोकने के लिए कार्य चल रहा है, लेकिन पानी वहां से लगातार निकल रहा है. डीएम संजय कुमार अग्रवाल के मुताबिक जिले से होकर गुजरने वाली गंगा, सोन व पुनपुन नदियों के जल स्तर में हल्की गिरावट दर्ज की गयी है. हालांकि जल स्तर बढ़ने की आशंका को देखते हुए सेना को अब भी अलर्ट पर रखा गया है.
जू में झील के रास्ते आ सकता है बाढ़ का पानी
पटना. संजय गांधी जैविक उद्यान के पशु व पक्षियों को बाढ़ के खतरे से बचाने के लिए प्रबंधन तैयार कर रहा है. इसके लिए जू के मुख्य गेट पर बालू की बोरियां रखी जा रही हैं. साथ ही जू के बाउंडरी बॉल को बंद किया जा रहा है. ताकि बाढ़ का पानी प्रवेश न कर सके.
जू प्रबंधक की मानें, तो चिड़ियाखाना में कई ऐसे रास्ते हैं, जहां से पानी आसानी से आ सकता है. जिससे पूरा परिसर डूब सकता है. ऐसे में जानवरों के बचाव के लिए उन्हें ऊंचे स्थानों पर शिफ्ट करने की तैयारी कर ली गयी है. जू प्रबंधन द्वारा रविवार को बैठक बुलायी गयी. जिसमें निर्णय लिया गया कि जू में बाढ़ का पानी प्रवेश करने वाले सभी रास्ते बंद कर दिये जायें. बाढ़ से निबटने के लिए कर्मचारियों को तैयार रहने को कहा गया है.
शाम को खाली, रात को गंगा अपार्टमेंट में पानी
पटना. तीन दिन की कड़ी मेहनत के बाद सोमवार की शाम गंगा अपार्टमेंट से पानी निकाल लिया गया, लेकिन घंटे भर बाद ही पानी दोबारा वापस लौट आया. तीसरे दिन भी नगर निगम और एनडीआरएफ की टीम पूरे दिन गंगा अपार्टमेंट से पानी निकालने में जुटी रही. अपार्टमेंट के चेंबर मेें हुये लिकेज को बालू की बाेरी से बंद कर दिया. इसके बाद शाम छह बजे अपार्टमेंट से पानी निकलना कम हो गया. रात आठ बजे तक पानी निकाल लिया गया था. लेकिन घंटे भर बाद ही उसी रास्ते पानी फिर वापस अपार्टमेंट परिसर में लौट आया, जिससे रात दस बजे तक घुटने तक पानी भर गया था.
दनियावां-बिहारशरीफ एनएच पर परिचालन बंद
दनियावां. दनियावां- बिहारशरीफ एनएच 30ए पर बाढ़ का पानी चढ़ने के कारण होरिलबिगहा गांव के पास एनएच 30ए पर वाहनों का परिचालन स्थानीय प्रशासन औरसिंचाई विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया. बिहारशरीफ से पटना जाने वाली बसों को 15 किमी घूम कर नगरनौसा से खुसरूपुर के पूर्व फोरलेन से होकर पटना जाना पड़ रहा है. वहीं छोटे वाहन नगरनौसा से आगे नबीचक और शाहजहांपुर होकर दनियावां होते हुए पटना जा रही है. इस कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
24 घंटे काम करेगा कंट्रोल रूम, छुट्टी रद्द
पटना : पीएचइडी विभाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बने राहत शिविरों में 150 पानी टैंकर और अस्थायी शौचालय बनाया है. पानी को शुद्ध करने के लिए मोबाइल जलदूत की तैनात की गयी है.
अधिकारियों व कर्मियों की छुट्टी रद्द कर दी गयी है. विभागीय मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से लोगों की सहायता के लिए कंट्रोल रूम खोला गया है, जो 24 घंटे काम करेगा. कंट्रोल रूम का फोन नंबर- 0612- 2545739 व टॉल फ्री नंबर 18001231121 है. पानी टैंकर के लिए मोबाइल नंबर 8544428796 व मोबाइल नंबर 9430964233 पर कॉल किया जा सकता है. राज्य के सभी थानों को चौबीस घंटे वायरलेस चालू रखने का निर्देश दिया गया है. साथ ही राज्य के सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों, कार्यक्रम पदाधिकारियों सहित ग्रामीण विकास विभाग के सभी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गयी हैं.
मगध विवि की परीक्षाएं स्थगित
पटना. जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने मगध विवि के स्तर पर आयोजित होने वाली सभी परीक्षाएं 23 अगस्त से अगले आदेश तक स्थगित करने का निर्देश दिया है. वहीं, सोमवार की परीक्षा में जो परीक्षार्थी शामिल नहीं हो पाये हैं, उनके लिए दोबारा से परीक्षा होगी. डीएम ने कहा कि बाढ़ का असर कम होने पर छात्रों की परीक्षा के लिए नया टाइम टेबल प्रकाशित किया जायेगा. परीक्षार्थियों ने बाढ़ को लेकर डीएम से शिकायत की थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया.
…तो सब्जी की कीमत और बढ़ेगी
पटना. पानी बढ़ने से शहर में सब्जियों के आवक पर भी प्रभाव पड़ा है. इसके कारण सब्जियों के दाम में इजाफा हुआ है. सब्जी विक्रेताओं की मानें, तो अगर दो-चार दिन के अंदर जल स्तर कम नहीं हुआ, तो सब्जियों के दाम और बढ़ेंगे. हरी सब्जियां गंगा दियारा इलाके और पटना सिटी, फतुहा, बाढ़, खुसरुपुर, नालंदा आदि इलाके से आता है, लेकिन इस समय मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सोनपुर आदि से आ रही हैं. इस कारण सब्जियों पर लागत अधिक है.
हालांकि फिलहाल आलू-प्याज पर इसका असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इस बार आलू-प्याज की पैदावार अच्छी हुई है. इस समय बाजार में कद्दू का आवक अधिक है. इस कारण कद्दू की कीमत कम है. मंडी में अनाज का आवक थोड़ी प्रभावित हुई है. अगर जल स्तर चार-पांच दिन में कम नहीं हुआ तो आटा, मैदा और चुड़ा के दाम में इजाफा हो सकता है.
अस्पतालों में दवा रखने का निर्देश
पटना : स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी अस्पतालों यहां तक कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सांप, बिच्छू से लेकर पानी को साफ करनेवाली हैलोजन की टिकिया उपलब्ध रखने का निर्देश दिया है.
विभाग के अपर सचिव प्रदीप कुमार झा ने जिलों को निर्देश दिया है कि बाढ़ प्रभावित सभी जिलों में एएसवीएस, ब्लीचिंग पाउडर, ओआरएस, हैलोजन टैबलेट, मेट्रोनिडाजोल टैबलेट, सिप्रोफ्लोक्सासिन कैप्सूल, पारासिटामोल के अलावा उल्टी की दवाएं अनिवार्य रूप से सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुनिश्चित करें. वहीं पीएमसीएच में बाढ़ पीड़ित मरीजों के लिए 10 बेड अलग से सुरक्षित रखे गये हैं. सोमवार को सांप काटने से बचाव की दवा भी मंगा ली गयी है. 500 फाइल दवा लायी गयी है.
कई रूटों पर ट्रेनों की रफ्तार धीमी
पटना. गंगा व सोन नदी में जल स्तर बढ़ने से कई ट्रेन रूटों पर बाढ़ का पानी पहुंच गया है. इससे पूर्व मध्य रेल ने दानापुर, सोनपुर और समस्तीपुर रेल मंडल क्षेत्र के 13 रेलवे रूटों पर कॉशन लगाते हुए ट्रेनों की रफ्तार धीमा करने का निर्णय लिया है, ताकि किसी प्रकार की क्षति नहीं हो. यह आदेश सोमवार से अगले आदेश तक लागू कर दिया गया है.
समस्तीपुर रेल मंडल क्षेत्र के मांसी-सहरसा और सहरसा-पूर्णिया कोर्ट के अप व डाउन रेलवे रूट पर 20 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार निर्धारित की गयी है. दानापुर रेल मंडल क्षेत्र के पटना जंकशन-मोकामा, मुगलसराय-बक्सर, मोकामा-बरौनी आदि रूटों के कई सेक्शन पर 30 व 50 किलोमीटर प्रति घंटा ट्रेन की रफ्तार निर्धारित की गयी है. साथ ही सोनपुर रेल मंडल के सोनपुर-छपरा और बरौनी-कटिहार के अप व डाउन रूट पर ट्रेन की रफ्तार धीमी की गयी है. इस रूट पर 30 व 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलेगी. पूमरे के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी अरविंद कुमार रजक ने बताया कि पानी से रेलवे ट्रैक पर खतरा है.
गांधी घाट (गंगा)
समय जल स्तर
07:00 50.27 मीटर
08:00 50.26 मीटर
09:00 50.25 मीटर
10:00 50.24 मीटर
11:00 50.23 मीटर
12:00 50.22 मीटर
01: 50.20 मीटर
03:00 50.19 मीटर
04:00 50.18 मीटर
(डेंजर लेवल 48.60 मीटर)
सोन नद के घाट
कोइलवर
6:00 54.60 मीटर
10:00 54.44 मीटर
02:00 54.40 मीटर
(डेंजर लेवल 55.52 मीटर)
मनेर
6:00 53.40 मीटर
10:00 53.37 मीटर
02:00 53.35 मीटर
(डेंजर लेवल 52.00 मीटर)
इन घाटों पर कमी
राजेंद्र घाट शिव मंदिर में एक सीढ़ी पानी घटा
स्वास्थ्य उपकेंद्र दीघा घाट से पानी 10 फुट दूर गया
देवी स्थान कुर्जी में पानी दो सीढ़ी नीचे गया
राजेंद्र घाट दुजरा में भी पानी घटा
राधा कृष्ण मंदिर बांस घाट में चबूतरे से हल्का नीचे गया पानी
नासरिगंज में भी पानी घटा
एनआइटी में पानी हल्का घटा
काली घाट दरभंगा हाउस में पानी कम हुआ
कलेक्ट्रेट घाट में भी पानी का लेवल कम हुआ
अगले पांच दिनों तक बारिश की उम्मीद नहीं
पटना. बंगाल की खाड़ी में बने लो प्रेशर से सोमवार को दक्षिण बिहार के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई है, लेकिन पटना में बादल रहने के बावजूद भी पानी नहीं पड़ा. दिन भर में कई बार काले बादल इतने आये कि अंधेरा हो गया और लगा कि अब बारिश होगी, लेकिन बारिश नहीं हुई. बदले मौसम में हवा की रफ्तार भी 40 से 50 किलो मीटर प्रति घंटे से कभी-कभी चलतीरही. इस कारण से सड़कों परलोगों का चलना बेहद मुश्किल हो गया. वहीं मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक मंगलवार से अगले पांच दिनों तक बिहार में कहीं भी बारिश होने की संभावना नहीं है. मौसम के बदले मिजाज ने पटना को काफी राहत दी.
आ रहा है ! अब आ गया !! घुस गया. डूब गया. डूब गया. बह गया !
1975 की बाढ़
जलप्लावित पटना में ‘नजरबंद’ फणीश्वरनाथ रेणु की बाढ़ पर रिपोर्ट
‘मेरा गांव ऐसे इलाके में है, जहां हर साल पश्चिम -पूरब और दक्षिण की-कोशी, पनार ,महानंदा और गंगा की-बाढ़ से पीड़ित प्राणियों के समूह आकर पनाह लेते हैं. सावन-भादो में ट्रेन की खिड़कियों से विशाल और सपाट परती पर गाय, बैल, भैंस, भेड़, बकरों के हजारों झुंडमुंड देख कर ही लोग बाढ़ की विभीषिका का अंदाज लगाते हैं.
परती क्षेत्र में जन्म लेने के कारण अपने गांव के अधिकांश लोगों की तरह मैं भी तैरना नहीं जानता. किंतु दस वर्ष की उम्र से पिछले साल तक ब्वाय स्काउट, स्वयं सेवक ,राजनीतिक कार्यकर्ता अथवा रिलीफ वर्कर की हैसियत से बाढ़पीड़ित क्षेत्रों में काम करता रहा हूं.
और लिखने की बात? हाइस्कूल में बाढ़ की पुरानी कहानी को नया पाठ के साथ प्रस्तुत कर चुका हूं. जय गंगा / 1947/, डायन कोशी /48/,हड्डियों का पुल/48/आदि छिटपुट रिपोर्ताज के अलावा मेरे कई उपन्यासों में बाढ़ की विनाश लीलाओं के अनेक चित्र अंकित हुए हैं. किंतु , गांव में रहते हुए बाढ़ से घिरने ,बहने भंसने और भोगने का अनुभव कभी नहीं हुआ.
वह तो पटना शहर में 1967 में ही हुआ, जब 18 घंटे की अविराम वृष्टि के कारण पुनपुन का पानी राजेंद्र नगर, कंकड़बाग तथा अन्य निचले हिस्सों में घुस आया था. अर्थात बाढ़ को मैंने भोगा है, शहरी आदमी की हैसियत से. इसलिए इस बार जब बाढ़ का पानी प्रवेश करने लगा, पटना का पश्चिमी इलाका छाती भर पानी में डूब गया तो हम घर में इंधन, आलू, मोमबतती, दियासलाई, सिगरेट, पीने का पानी और कांपोज की गोलियां जमा कर बैठ गये और प्रतीक्षा करने लगे.
सुबह सुना राजभवन और मुख्यमंत्री निवास प्लावित हो गया है. दोपहर को सूचना मिली गोलघर जल से घिर गया है !
यों, सूचना बंगला में इस वाक्य में मिली थी थी–‘ जानो ! गोलघर डूबे गेछे !/ और पांच बजे जब कॉफी हाउस जाने के लिए /तथा शहर का हाल मालूम करने /निकला तो रिक्शा वाले ने हंस कर कहा-‘ अब कहां जाइएगा ? कॉफी हाउस में तो अब ले पानी आ गया होगा.
‘चलो, पानी कैसे घुस गया है, वही देखना है,’ कह कर हम रिक्शा पर बैठ गये. साथ में नयी कविता के विशेषज्ञ -व्याख्याता -आचार्य – कवि मित्र थे, जो मेरी अनवरत, अनर्गल, अनगढ, गद्यमय स्वगतोक्ति से कभी बोर नहीं होते /धन्य हैं !
मोटर, स्कूटर, टैक्टर, मोटर साइकिल, ट्रक, टमटम ,साइकिल, रिक्शा पर और पैदल लोग पानीदेखने जा रहे हैं. लोग पानी देखकरलौट रहे हैं. देखने वालों की आंखों में, जुबान पर एक ही जिज्ञासा– ‘ पानी कहां तक आ गया है ?’ देख करलौटते हुए लोगों की बातचीत- ‘फ्रेजर रोड पर आ गया !
आ गया क्या, पार कर गया. श्रीकृष्ण पुरी, पाटलिपुत्र कॉलानी, बोरिंग रोड, इंडस्ट्रीयल एरिया का कहीं पता नहीं. छाती भर पानी है. विमेंस कॉलेज के पास डुबाव पानी है. आ रहा है ! अब आ गया !! घुस गया. डूब गया़. डूब गया़. बह गया !’
हम जब कॉफी हाउस के पास पहुंचे तो काफी हाउस बंद कर दिया गया था. सड़क के एक किनारे एक मोटी डोरी की शक्ल में गेरुआ -झाग -फेन में उलझा पानी तेजी से सरकता आ रहा था. मैंने कहा–‘ आचार्य जी, आगे जाने की जरूरत नहीं. वह देखिए आ रहा मृत्यु का तरल दूत !’
आतंक के मारे मेरे दोनों हाथ बरबस जुड़ गये और सभय प्रणाम निवेदन में मेरे मुंह से अस्फुट शब्द निकले /हां, मैं बहुत कायर और डरपोक हूंं. रिक्शा वाला बहादुर है. कहता है–‘ चलिए न –थोड़ा और आगे. ‘ भीड़ का एक आदमी बोला – ‘ए रिक्शा ! करेंट बहुत तेज है. आगे मत जाओ.’ मैंने रिक्शावाले से अनुनय भरे स्वर में कहा–‘लौटा ले भैया. आगे बढ़ने की जरूरत नहीं.
रिक्शा मोड़ कर हम अप्सरा सिनेमा हॉल /सिनेमा शो बंद ! /के बगल से गांधी मैदान की ओर चले.
पैलेस होटल और इंडियन एयरलाइंस के दफ्तर के सामने पानी भर रहा था. पानी की तेज धारा पर लाल हरे नियन विज्ञापनों की परछाइयां सैकड़ों रंगीन सांपों की सृष्टि कररही थी. गांधी मैदान की रेलिंग केसहारे हजारों लोग खड़े देख रहे थे. दशहरा के दिन राम लीला के राम के रथ की प्रतीक्षा में जितने लोग रहते हैं उससे कम नहीं थे. गांधी मैदान
के आनंद उत्सव, सभा सम्मेलन
और खेलकूद की सारी स्मृतियाें पर धीरे -धीरे एक गैरिक आवरण आच्छादित हो रहा था. हरियाली पर शनै: शनै: पानी फिरते देखने का अनुभव सर्वथा नया था!
कि इसी बीच एक अधेड़, मुस्टंड और गंवार जोर- जोर से बोल उठा –‘ ईह ! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनिया बाबू लोग उलट कर देखने भी नहीं गये अब बूझो !’
मैंने अपने आचार्य कवि मित्र से कहा –‘पहचान लीजिए. यही है वह ‘आम आदमी’ जिसकी खोज हर साहित्यिक गोष्ठियों में होती रहती है. उसके वक्तव्य में दानापुर के बदले उत्तर बिहार अथवा कोई भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र जोड़ दीजिए.
जारी…

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