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बाढ़ पर विशेष : …यहां आप मेहमान बनने नहीं आये हैं
राहत शिविर : कहीं रसोइया, तो कहीं लोग खुद बना रहे हैं खाना, कहीं राहत सामग्री पहुंचने में हो रहा विलंब पटना : घाटों पर रह रहे बाढ़ पीड़ित अब धीरे-धीरे स्कूलों में शरण ले रहे हैं. स्कूलों में बनाये गये राहत शिविर में उन्हें प्रशासन की तरफ से सुविधाएं मुहैया करायी जा रही है. […]
राहत शिविर : कहीं रसोइया, तो कहीं लोग खुद बना रहे हैं खाना, कहीं राहत सामग्री पहुंचने में हो रहा विलंब
पटना : घाटों पर रह रहे बाढ़ पीड़ित अब धीरे-धीरे स्कूलों में शरण ले रहे हैं. स्कूलों में बनाये गये राहत शिविर में उन्हें प्रशासन की तरफ से सुविधाएं मुहैया करायी जा रही है. कहीं, रसोइया तो कहीं लोग खुद खाना बना रहे हैं. दीघा पोस्ट ऑफिस के बाद दो स्कूलों में सोमवार दोपहर खिचड़ी और चावल-दाल परोसा गया. वहीं, बीएन कॉलेजिएट में रसोइया खाना बनाते नजर आये. स्कूलों में हेडमास्टर भी तैनात रहे. शिक्षक भी लोगों को व्यवस्थित करने में लगे रहें.
स्कूलों के कमरों से बेंच-डेस्क निकाल दिये गये हैं. वहां लोग अपने समानों के आश्रय ले चुके हैं. बच्चे कई दिनों की थकावट के बाद दोपहर में सोते नजर आयें. उनके साथ उनकी मां भी सोती नजर आयीं. राहत शिविरों में कोई अपने बक्सा तो कोई बरतन के साथ पहुंचा.
आइटीआइ रिलीफ कैंप में रविवार से बाढ़ पीड़ितों को खाना नहीं मिल रहा है. मजबूरन वे शिविर से पलायन करने लगे हैं. बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के बाद बिंद टोली के 19 परिवार के 150 लोगों ने यहां शरण ली थी. इनमें से सोमवार को मुश्किल से 15 भी नहीं बचे हैं. शिविर का निरीक्षण करने आये एसडीओ से जब वहां उपस्थित लोगों ने खाना मांगा, तो उन्हें दीघा पोस्ट ऑफिस के पास लगे शिविर में जाने को कहा गया. शिविर में रह रही रिंकी देवी ने बताया कि उनका परिवार दो दिनों से भूखा है. खाने की व्यवस्था बंद कर दी गयी है. एसडीओ से जब खाना मांगा गया, तो उन्होंने बदतमीजी से बात की और कहा कि आप लोग यहां मेहमान बनने नहीं आये हैं. कई लोग शिविर छोड़ अपने परिवार के यहां जा चुके हैं.
सोमवार को पीड़ितों को दोपहर दो बजे तक अन्न का एक दाना तक नहीं मिला था. कृष्णा साव का कहना है कि वहां तैनात अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं, खाना नहीं. कैंप से लोगों ने अपने बच्चों को रिश्तेदारों और दोस्तों के यहां पहुंचा दिया है. मंजू देवी का कहना है कि शिविर में शौच की भी व्यवस्था नहीं है. महिलाएं खुले में शौच को मजबूर हैं.
स्कूलों में शरण ले रहे लोग : दीघा पोस्ट ऑफिस घाट के पास दो सरकारी विद्यालयों में रिलीफ कैंप बनाये गये हैं. नकटा दियारा पंचायत के मुखिया भागीरथ प्रसाद की देखरेख में खाने का वितरण किया जा रहा था. दियारे पर भी खाने की व्यवस्था की गयी थी. साथ ही मवेशियों के लिए भी कैंप लगाये गये हैं. पाटीपुल दियारे से रिलीफ कैंप हटा दिये गये हैं. लोगों ने दीघा पोस्ट ऑफिस स्थित स्कूलों में शरण ले ली है.
पानी का मंजर देख कर परेशान हो गये मंत्री
मनेर. आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो चंद्रशेखर मनेर पहुंच कर बाढ़ ग्रस्त गांवों में नाव से घूम कर जायजा लिया. राज्य मंत्री ने दियारा में बाढ़ के पानी का भयावह मंजर देखकर परेशान हो गये. उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मिल कर हर संभव मदद देने का भरोसा दिया. साथ ही रिलीफ कैंप में जाकर बाढ़ पीड़ितों से मिले. मौके पर पूर्व विधायक सूर्यदेव त्यागी, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष विद्याधर विनोद, पार्षद अमोल बजाज, राजद नगर अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत एसडीओ, बीडीओ व सीओ शामिल थे. इधर केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव बाढ़ पीड़ितों से मिलने मनेर पहुंचे. इस दौरान रामपुर दियारा के पास केंद्रीय मंत्री का नाव फंसने के कारण वो नदी में डूबने से बाल-बाल बच गये.
पर्याप्त संख्या मेें नावों का प्रबंध हो: लालू
पटना. सोमवार को पुनः राजद प्रमुख लालू प्रसाद और स्वास्थ मंत्री तेज प्रताप यादव के साथ पटना के गांधी घाट से बख्तियारपुर तक बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया. वे बाढ पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याओं को जाना और कहा कि आप सभी धैर्य रखें. सरकार इस विपदा कि घड़ी में आपके साथ है. प्रसाद ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि बाढ़ मे घिरे लोगों के जान माल कि सुरक्षा का व्यापक प्रबंध करे. लोगों को राशन, दवा, पशुचारा और पका हुआ खाना मिले. वे कृषि बजार, सब्बल्पुर, कच्ची दरगाह, फतुहा और बख्तियारपुर तक के बाढ़ राहत शिविरों का दौरा भी किया.
सुशील मोदी ने लिया बाढ़ राहत शिविर का जायजा
दानापुर. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी व विधायक आशा सिन्हा ने सोमवार को शाम में बलदेव स्कूल में बाढ़ राहत शिविर का जायजा लिया. श्री मोदी ने शिविर में बाढ़-पीड़ितों से भोजन व रहने की व्यवस्था के बारे में पूछा तो लोगों ने कहा कि कोई व्यवस्था नहीं है. न ही पेयजल, बिजली व शौचालय का है. दोेपहर व रात में पका हुआ भोजन दिया जाता है. साथ ही स्कूल के कमरा नहीं खोला गया है. इससे बाहर पूरे परिवार के साथ जीवन -व्यतीत करने को विवश हैं. इस पर श्री मोदी ने डीएम से फोन पर बात कर स्कूल के कमरे खुलवाने को कहा.
पानी से एनटीपीसी थर्मल प्रोजेक्ट घिरा
बाढ़. अनुमंडल में सोमवार को भी गंगा नदी अपने रौद्र रूप में थी. गंगा नदी का पानी एनएच पार कर बाढ़ सुपर थर्मल प्रोजेक्ट परिसर में सोमवार को प्रवेश कर गया. प्लांट का गंगा बिहार और सीआइएसएफ सेंटर पानी में डूब गया. कई निजी कंपनियों में कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया है. इस बीच एनटीपीसी प्रबंधन ने सहनौरा गांव के पास घुस रहे गंगा के पानी के बहाव का रुख मोड़ने को लेकर योजना बनायी गयी है. एनटीपीसी के जनसंपर्क पदाधिकारी विश्वनाथ चंदन के अनुसार एनटीपीसी को कोई खतरा नहीं है. प्लांट की दोनों यूनिट चालू है और 900 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है.
अब भी जारी है लोगों का पलायन
मनेर. सोमवार को मनेर में गंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि व उफान के बाद बाढ़ ग्रस्त इलाकों के लोगों के बीच भय का माहौल है. नदियों के उफान पर रहने से अन्य गांवों के भी बाढ़ पीड़ित पलायन करना शुरू कर दिया है. लोग अपने सामान को लेकर मनेर की ओर सुरक्षित स्थानों के तलाश व रिलीफ कैंप की ओर निकल पड़े. बाढ़ के पानी में वृद्धि की सूचना मनेर अंचलाधिकारी अंजू सिंह के द्वारा दिये जाने पर लोग पूरे दिन परेशान रहे. बताते चलें कि बाढ़ से दियारा का छह पंचायत व नगर पंचायत के तीन मुहल्ले प्रभावित हैं.
राहत व बचाव का इंतजार करते रह गये
दानापुर. दानापुर सोन के बाद गंगा में उफान से दियारे के सात पंचायत बाढ़ से जलमग्न हो गये हैं. पिछले 12 दिनों से दियारे के गंगहारा, हेतनपुर, पतलापुर, कासीमचक, पुरानी पानापुर, मानस व अकिलपुर समेत दर्जनों पंचायत बाढ़ के पानी से घिरे हैं और दर्जनों गांवों के घरों व झोपड़ियों में तीन से चार फीट तक बाढ़ का पानी घुस आया है. सोमवार को तेज पुरवइया हवा बहने से दियारे में बचाव व राहत कार्य नहीं शुरू किया जा सका हैं. वहीं, सुबह में बूंद-बूंद बारिश होने से बाढ़ ग्रस्त लोगों को थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
स्थिति जस-की-तस, पर राहत नहीं
बख्तियारपुर. पूरे प्रखंड में बाढ़ की स्थिति जस की तस बनी हुई है. एनएच-30 व 31 पर बरियारपुर गांव से लेकर महमदपुर तक दर्जन भर स्थानों पर अभी भी गंगा का पानी डेंजर जोन से एक से डेढ़ फुट की ऊंचाई पर बह रहा है नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड नंबर- एक से चार तक जहां चारों ओर पानी ही पानी फैला है वहीं 18,19 एवं 20 के प्रत्येक घरों में पानी घुस जाने से लोग मुश्किल में हैं. कमोवेश यही स्थिति करनौती पंचायत की रानीसराय, महमदपुर व मिरदाहाचक गांव की भी है. इन क्षेत्रों में पहली बार बाढ़ का पानी घुसने से लोगों की स्थिति काफी असहज है. इन सब के बावजूद प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का राहत कार्य शुरू नहीं किये जाने से लोगो में आक्रोश व्याप्त है.
एनएच पर कम हुआ गंगा का पानी
पटना सिटी. गंगा व पुनपुन की उफान से दीदारगंज सबलपुर के पास एनएच की सड़क पर आया पानी कम गया है. हालांकि टेढ़ी पुल के पास अब भी जाम जमा है. स्थिति है कि पुराने एनएच पर परिचालित होने वाले वाहनों को धीरे-धीरे वाहन चलाने की इजाजत मिली है.
इधर गंगा तट पर बसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कराने का प्रशासन व सामाजिक संगठनों की ओर से किया जा रहा है. कंगन घाट, गुरु गोविंद सिंह कॉलेज घाट, किला घाट, झाउगंज घाट, दमराही घाट, हीरानंद शाह घाट व मिरचाई घाट समेत अन्य जगहों पर रह रहे लोगों ने मवेशियों के साथ सुरक्षित जगहों पर शरण ले लिया है. सड़क पर ही आशियाना गिरा रखा है. वहीं, जल्ला के गांव भी जलमग्न हो गये हैं.
फतुहा में बाढ़ की स्थिति काफी भयावह
फतुहा. प्रखंड के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति काफी भयावह होती जा रही है. गंगा, पुनपुन, धोवा, महतमाईन नदियों का जल स्तर बढ़ने के कारण जहां किसानों के खेतों में पानी घुस जाने के कारण फसल बरबाद हो गयी है. वहीं उनके घरों तक पानी घुस जाने के कारण सुरक्षित जगहों की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं.
शहरवासियों का गंगा घाटों की तरफ रुख, लगा जाम
पटना : गंगा में आये उफान को देखने पहुंचे शहरवासियों की भीड़ के कारण अशोक राजपथ सोमवार को पूरे दिन जाम रहा. इस रूट पर गाड़ियां रेंगती नजर आयीं. घाटों की गलियों के समीप सड़कों पर पार्क की गयी गाड़ियों से भीषण जाम की स्थिति बनी रही. जाम से निबटने के लिए विशेष बल तैनात किये गये थे, फिर भी स्थिति नहीं संभल पायी. पुलिस लोगों को गंगा घाट पर जाने से मना करते रहे, लेकिन लोगों ने नहीं सुना. इसका प्रभाव गांधी मैदान इलाकों में भी देखने को मिला.
सुबह दस बजे, दोपहर दो बजे और शाम पांच बजे के बाद यहां गाड़ियां रेंगती नजर आयीं. ट्रैफिक लाइट फेल रही. खासकर उद्योग भवन के पास पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी. वहीं, कारगिल चौक से दीघा घाट की तरफ भी जाम की स्थिति बनी रही. बांस घाट पर गंगा देखने आये लोगों द्वारा सड़क पर की गयी पार्किंग भी जाम की वजह बनी. इस रूट में भी गाड़ियां धीरे-धीरे गुजर रही थीं. गाड़ियों को राजापुर पुल से बोरिंग रोड की तरफ मोड़ दिया जा रहा था.
राजापुर पुल से दीघा रूट भी बाधित: वहीं, गंगा अपार्टमेंट और बिहार विद्यापीठ में घुसे गंगा के पानी को निकालने के लिए लगे पाइप के कारण भी इस रूट पर यातायात बाधित रहा. गाड़ियों को इस रूट से गुजरने नहीं दिया जा रहा था. कुर्जी मोड़ से गाड़ियों को पाटलिपुत्रा की तरफ मोड़ दिया जा रहा था.
जिससे पाटलिपुत्रा से लेकर बोरिंग रोड और बोरिंग केनाल रोड पर दिनभर जाम की स्थिति बनी रही.जाम का असर बुद्ध मार्ग और हाइकोर्ट चौराहा पर भी दिखा. यहां घंटों जाम की स्थिति बनी रही. दोपहर में कई स्कूलों की छुट्टियों की वजह से यह इलाका प्रभावित रहा. इनकम टैक्स गोलंबर पर गाड़ियों की कतारें देखने को मिलीं. तारामंडल से बोरिंग रोड पहुंचने में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
बंद रहे स्कूल : पाटलिपुत्र के सभी स्कूलों को जाम से बचने के लिए जिला प्रशासन की ओर से बंद करा दिया गया था. अशोक राजपथ स्थिति संत जोसेफ कॉन्वेंट भी बंद रहा. ट्रैफिक जाम से निबटने के लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ पुलिस बल भी तैनात किये गये थे.
गंगा तट पर जुटा हुजूम
लोग तट पर उफनती गंगा की स्थिति को देखने जुटे हैं. अनुमंडल के प्रमुख गंगा घाटों में भद्र घाट, गायघाट, महावीर घाट, खाजेकलां घाट, मीतन घाट, कंगन घाट समेत अन्य गंगा घाटों पर भीड़ थी.
गंगा ही नहीं, कोसी-बागमती-गंडक का भी अविरल बहना जरूरी है
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फरक्का बराज की वजह से गंगा नदी और बिहार को होने वाले नुकसान का मसला उठा कर एक नयी बहस छेड़ दी है. उन्होंने कहा कि मैं पिछले आठ-नौ साल से यह सवाल उठा रहा हूं, मगर केंद्र सरकार हमारी बातों को सुन नहीं रही. सोमवार को एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस बराज से लोगों को क्या-क्या नुकसान हो रहा है और नदियों को अविरल बहने देने के सिद्धांत को यह कैसे प्रभावित कर रहा है, इसे ठीक से समझे जाने की जरूरत है. इसमें हमसे नहीं बल्कि नदियों के एक्सपर्ट से राय ली जानी चाहिये, उन्होंने इसके लिए उत्तर बिहार की नदियों के एक्सपर्ट और नमामि गंगा परियोजना के थिंक टैंक टीम में
शामिल दिनेश मिश्र का भी नाम
सुझाया. ऐसे में हमने दिनेश मिश्र समेत बिहार के कुछ एक्सपर्ट से बातचीत की है, ताकि हम फरक्का और नदियों के अविरल रहने के मसले को ठीक से समझ सकें.
क्या है फरक्का बराज का मसला 1975 में कमीशंड हुए इस बराज का मुख्य उद्देश्य हुगली को गाद से मुक्ति दिलाना था, ताकि जहाज बंदरगाह से कोलकाता तक आ जा सकें. मगर इसके निर्माण के बाद से गंगा में गाद का भरना शुरू हो गया और नदी उथली होने लगी. साथ ही प्रजनन के लिए जो 67 किस्म की मछलियां बनारस तक जाती थीं, उनका आना भी बंद हो गया.
बड़ी बहस : फरक्का के सवाल पर विशेषज्ञों की राय, बराज से खतरे में है गंगा का अस्तित्व
तटबंध भी रोकते हैं नदियाें का रास्ता : दिनेश मिश्र
कोसी और बागमती नदियों की समस्या पर शोध पुस्तक लिखने वाले दिनेश मिश्र जो अभी नमामि गंगा थिंक टैंक टीम के सदस्य हैं, कहते हैं, यह सच है कि फरक्का बराज के बनने से गंगा नदी की स्वभाविक धारा प्रभावित हुई है. मगर गंगा में सिल्ट के बढ़ने की इकलौती वजह फरक्का बराज नहीं है, जैसा कि बताया जाता है. गंगा नदी के किनारे-किनारे सुरक्षा तटबंध भी बने हैं. जो गाद को बाहरी इलाकों में फैलने से रोकते हैं. इसके अलावा रास्ते, रेल लाइन और नदियों के बीच में बस गयी बस्तियां भी नदियों के अविरल धारा को बाधित करती हैं. यह सिर्फ गंगा की समस्या नहीं है. उत्तर बिहार की ज्यादातर नदियां गाद से भरी हैं.
और उनकी वजह बराज नहीं बल्कि उनके किनारे में बने तटबंध हैं. इनसे राज्य के 8.36 लाख हेक्टेयर भूमि पर स्थायी जलजमाव है. यह बाढ़ से बड़ी समस्या है. इनका मसला तो हमारे हाथ में है, राज्य के हाथ में है. और जहां तक फरक्का का सवाल है. क्या आज की तारीख में उस बराज को हटा देने से समस्या सुलझ जायेगी इस बारे में भी गंभीर विचार की जरूरत है.
कम-से-कम दूसरे बराज तो न बनें : डॉ. योगेंद्र
गंगा मुक्ति आंदोलन में भागीदारी कर चुके भागलपुर के रहने वाले डॉ. योगेंद्र ने काफी पहले किताब लिखी थी \"गंगा को अविरल बहने दो.\" वे कहते हैं कि सबसे पहले भागलपुर के मछुआरों ने ही मांग की थी, फरक्का बराज को तोड़ दो. यह 1984-85 की बात है.
तब से अब तक बिहार से अलग-अलग स्तर पर यह मांग की जाती रही है. यह शुभ संकेत है कि अब इस मांग को मुख्यमंत्री महोदय का भी समर्थन है. दरअसल अभी गंगा को फरक्का से अधिक उन नये बराजों से खतरा है जो लगातार बन रहे हैं. टिहरी और फरक्का के बीच दो बराज बन चुके हैं और कुल 27 बराज बनने वाले हैं. अगर एक बराज ने बिहार की हालत बुरी कर दी है तो इन 27 बराजों से तो जीना मुश्किल हो जायेगा. इसलिए इस तरह की आवाज उठाना जरूरी है. अभी तो हालत यह है कि बुलंदशहर के नरोड़ा बांध के पास ही गंगा का पानी समाप्त हो जाता है. यमुना और दूसरी नदियों का पानी ही हम तक पहुंचता है.
एक्सपर्ट की कमेटी बने, फिर तय हो : अनिल प्रकाश
गंगा मुक्ति आंदोलन से लेकर बागमती के सवालों तक पर सक्रिय रहने वाले अनिल प्रकाश ने फरक्का पर काफी अध्ययन किया है और लिखा है. वे कहते हैं कि महज हुगली का सिल्टेशन रोकने के लिए यह बराज बनाया गया है.
एक बंगाली अभियंता कपिल भट्टाचार्य ने पहले ही कह दिया था कि यह बराज असफल होगा. उन्हें उस वक्त विदेशी एजेंट करार दिया गया था. मगर उन्होंने तब जो-जो कहा था वह सच साबित हुआ. आज फरक्का के पास 75 फीट तक गाद जमा हो गया है और इसका असर बनारस तक है. इनकी वजह से 67 किस्म की मछलियां विलुप्त हो गयी हैं. गंगा की सहायक नदियों पर भी इसका भीषण असर पड़ रहा है.
तटबंधों के टूटने की भी यह एक बड़ी वजह है. फरक्का का अशुभ असर तो इसके बनने वाले साल 1975 में ही बिहार पर पड़ गया था, जब पटना में बाढ़ आ गयी थी. इसलिए इसका समाधान जरूरी है. एक एक्सपर्ट कमिटी बने, जो इसका निराकरण निकाले, ताकि बिहार के लोगों को राहत मिले.
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