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शहादत स्थली पर चाकी को अब तक सम्मान नहीं

मोकामा : आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारी खुदीराम बोस के साथ अंगरेजों के खिलाफ जंग छेड़नेवाले क्रांतिकारी प्रफुल्ल चंद्र चाकी की शहादत स्थली पर आज भी उनकी उपेक्षा हो रही है. क्रांतिकारियों की याद में कार्यक्रम, तो बहुत होते हैं. लेकिन, बंगाल के जिस सपूत ने अंगरेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए मोकामा में अपने […]

मोकामा : आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारी खुदीराम बोस के साथ अंगरेजों के खिलाफ जंग छेड़नेवाले क्रांतिकारी प्रफुल्ल चंद्र चाकी की शहादत स्थली पर आज भी उनकी उपेक्षा हो रही है. क्रांतिकारियों की याद में कार्यक्रम, तो बहुत होते हैं. लेकिन, बंगाल के जिस सपूत ने अंगरेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए मोकामा में अपने प्राणों का बलिदान दिया, उसकी याद में मोकामा में कभी कोई सरकारी कार्यक्रम तक नहीं होता है.
चाकी स्मारक समिति के सचिव उदय प्रकाश कहते हैं कि मुजफ्फरपुर में क्रूर मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की बग्घी पर बम फेंकने के बाद भागने के दौरान खुदीराम बोस समस्तीपुर में गिरफ्तार हुए और चाकी पूर्व की योजना के मुताबिक भाग कर मोकामा आ गये. किंग्सफोर्ड की बग्घी पर बम फेंकने के बाद सबों को मोकामा से ट्रेन पकड़ कर कोलकाता जाना था. चाकी को अंगरेजों ने मोकामा में घेर लिया और उन्होंने जीते जी पकड़ में नहीं आने की कसम को लेकर खुद को गोली मार ली.
अफसोस की बात है कि मोकामा में शहीद चाकी की आज तक प्रतिमा स्थापित नहीं हो पायी है. अगस्त क्रांति दिवस या चाकी की जन्म या पुण्यतिथि पर कभी कोई सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं होने से स्थानीय लोगों में नाराजगी हैं.

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