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एनएमसीएच में तोड़फोड़

चैलीटांड़ निवासी विकास कुमार की आठ माह की पुत्री को रविवार की सुबह परिजनों ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया था. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. पटना सिटी : नालंदा मेडिकल काॅलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में रविवार की शाम बच्ची की मौत पर परिजनों ने हंगामा किया. […]

चैलीटांड़ निवासी विकास कुमार की आठ माह की पुत्री को रविवार की सुबह परिजनों ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया था. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.
पटना सिटी : नालंदा मेडिकल काॅलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में रविवार की शाम बच्ची की मौत पर परिजनों ने हंगामा किया. हंगामे पर उतरे परिजनों का आरोप था कि उपचार में कोताही बरतने की स्थिति में बच्ची की मौत हुई है. परिजनों की डॉक्टरों व नर्सों के साथ कहासुनी हुई़ इसके बाद परिजन तोड़फोड़ पर उतर आये़ उन्होंने दरवाजा का शीशा तोड़ दिया .
हंगामे की सूचना पर आलमगंज थाना की पुलिस पहुुंची और आक्रोशित परिजनों को समझा कर शांत कराया.चैलीटांड़ निवासी विकास कुमार की आठ माह की पुत्री को रविवार की सुबह परिजनों ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया था. चिकित्सकों के अनुसार बच्ची इंसेफ्लाइटिस बीमारी की चपेट में आने से तेज बुखार से पीड़ित थी. बच्ची को डॉ अलका सिंह की यूनिट में भरती किया गया था. उपचार के क्रम में रविवार की देर शाम बच्ची की मौत हो गयी. बेटी की मौत से नाराज परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया.
हंगामा पर उतरे परिजनों का कहना था कि अस्पताल में भरती कराने के बाद इलाज के लिए डॉक्टरों के पास चक्कर लगाते रहे, लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं थे. इलाज में लापरवाही से बच्ची की मौत हुई. मौत की बात सामने आते ही परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा. चिकित्सकों के अनुसार बच्ची की तबीयत ज्यादा खराब थी, इसी कारण उसकी मौत हुई.
इलाज में कोताही नहीं बरती गयी है.
पटना : बेली रोड के राजाबाजार में संचालित एक निजी अस्पताल में रविवार को एक मरीज की मौत हो गयी. मौत की सूचना मिलने के बाद परिजनों में शोक की लहर उठ गयी और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जतायी. विवाद उस समय अधिक बढ़ गया जब अस्पताल प्रशासन ने मृतक का शव रख लिया और अधिक रुपये की डिमांड करने लगे.
जानकारी के अनुसार बक्सर जिले के रहने वाले रघुनाथ उपाध्याय (70) को ब्रेन हेमरज की बीमारी कह अस्पताल के डॉक्टरों ने शनिवार को भरती किया, लेकिन मरीज की हालत खराब होते गयी और अगले दिन ही मौत हो गयी. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल शव नहीं दे रहा था और इसके बदले 2 लाख 70 हजार रुपये की डिमांड करने लगे. परिजनों ने विरोध किया बावजूद कुछ नहीं हुआ और अंत में रुपये दे कर शव छुड़ाया गया.

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