पटना : राज्य सरकार ने नगर निकायों के लिए नयी विज्ञापन नीति को स्वीकृति दी. लेकिन, राजधानी में इसे लागू नहीं किया गया. स्थिति यह है कि राजधानी की सड़कों पर बेतरतीब तरीके से अवैध होर्डिंगें लगायी गयी हैं.
पिछले दिनों नगर आवास विकास मंत्री ने निगम प्रशासन को आदेश दिया कि राजधानी की सड़कों पर अवैध होर्डिंग लगाने वाली विज्ञापन एजेंसियों पर प्राथमिकी दर्ज करना सुनिश्चित करें. हालांकि, अब तक एक भी ऐसी एजेंसी पर कार्रवाई नहीं की गयी है. कार्रवाई के नाम पर सिर्फ बैनर-पोस्टर हटाये जा रहे हैं.
इओ भी नहीं मान रहे निर्देश : विभागीय बैठक में अवैध होर्डिंग हटाने को लेकर निर्णय लिया गया. पूर्व के नगर आयुक्त के आदेश पर अपर नगर आयुक्त (राजस्व) ने चारों अंचल के कार्यपालक पदाधिकारियों (इओ) को निर्देश दिया कि में वैध-अवैध होर्डिंग की रिपोर्ट उपलब्ध करायें. इस रिपोर्ट में इओ को होर्डिंग की साइज, स्थल और किस विज्ञापन एजेंसी की होर्डिंग है आदि का पूरा ब्योरा देना था. इस रिपोर्ट के आधार पर ही अवैध होर्डिंग लगानेवालों पर कार्रवाई की कार्ययोजना तैयार करनी है. हालांकि, एक सप्ताह से अधिक समय हो गया, लेकिन किसी अंचल से रिपोर्ट नहीं उपलब्ध करायी गयी है.
71 विज्ञापन एजेंसियां ही निबंधित : नगर निगम से 71 विज्ञापन एजेंसियां निबंधित हैं. इन एजेंसियों ने 15 सौ विज्ञापन होर्डिंग की सूचना निगम मुख्यालय को दी है. हालांकि, निगम क्षेत्र में 5000 से अधिक विज्ञापन होर्डिंग लगे है.
स्थिति यह है कि राजधानी के डाकबंगला चौराहा पर ही सौ से अधिक होर्डिंग लगी हैं. हाइकोर्ट मोड़ से पाटलिपुत्र पानी टंकी मोड़ तक 150 से अधिक छोटी-बड़ी होर्डिंग व बैनर लगे हुए हैं. इसके बावजूद निगम प्रशसन को अवैध होर्डिंग चिह्नित करने में परेशानी हो रही है.
अवैध होर्डिंग को लेकर चारों अंचल के इओ से दो दिनों में रिपोर्ट की मांग की गयी थी. समय सीमा में किसी अंचल से रिपोर्ट नहीं दी है. इओ को रिमाइंडर भेज रहे हैं, इसके बाद स्पष्टीकरण मांगेंगे.
अखिलेश्वर प्रसाद, अपर नगर आयुक्त (राजस्व), नगर निगम