पटना: चिरैयाटांड़ स्थित श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय में तीन कर्मचारियों की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गयी. तीनों के मुंह से झाग निकल रहा था, जिसके कारण यह स्पष्ट था कि उन्होंने कुछ जहरीला पदार्थ खाया है. उनके परिजनों ने जहर देकर हत्या करने का संदेह जाहिर किया है. तीनों कर्मचारियों का शव कंपनी के स्ट्रिप डिपार्टमेंट के मशीन रूम में पाया गया. ये तीनों जमीन पर बोरा बिछा कर सोये हुए थे.
मृतकों में महेंद्र साव, सुरेश प्रसाद व रमेश पासवान शामिल हैं. महेंद्र साव व रमेश के शव एक साथ मशीन से सटे थे, जबकि सुरेश प्रसाद का शव दूसरे कोने में था. महेंद्र साव व रमेश की बगल में गोईठा की जली हुई अंगीठी व टिफिन रखी थी. घटना की जानकारी मिलने पर सदर डीएसपी मुत्तफीक अहमद, कंकड़बाग थानाध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता, जक्कनपुर प्रभारी थानाध्यक्ष डीपी सिंह दल-बल के साथ पहुंचे.
जल रही थी अंगीठी : सदर डीएसपी ने बताया कि कर्मचारियों के मुंह से झाग निकल रहा था. प्रथमदृष्टया अनुसंधान में यह बात सामने आयी है कि उन लोगों ने कुछ जहरीला पदार्थ खाया है. इसके अलावा घटनास्थल पर आग तापने के लिए गोईठा जलाया गया था, जिसमें अब भी गरमी थी. यह भी आशंका जतायी जा रही है कि कमरे की तमाम खिड़कियां व दरवाजा बंद होने के कारण ऑक्सीजन की कमी हो गयी होगी और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस में बढ़ोतरी से मौत हो सकती है. एफएसएल की टीम को जांच के लिए बुलाया गया है. कंपनी के एजीएम डीएन झा ने बताया कि उन्हें भी घटना की जानकारी सुबह में मिली.
क्या करते थे काम : महेंद्र प्रसाद, सुरेश प्रसाद व रमेश पासवान स्ट्रिप डिपार्टमेंट में दवा की गोलियों को मशीन में बनाने का काम करते थे. महेंद्र प्रसाद 30 साल, सुरेश प्रसाद 15 साल व रमेश पासवान चार महीने से कंपनी में काम कर रहे थे. कंपनी में दो शिफ्टों में काम होता है.
सुबह हुई जानकारी : रमेश पासवान का साला कमलेंद्र पासवान इसी कंपनी में रिसर्च विभाग में काम करता है. वह सुबह में 8.50 बजे रमेश के लिए खाना लेकर पहुंचा. विभाग के मुख्य दरवाजे और मशीनवाले कमरे का दरवाजा बंद था, लेकिन अंदर से छिटकनी नहीं लगी थी. उसने मशीनवाले कमरे का दरवाजा को खोला, तो अवाक रह गया. अंदर तीनों मृत पड़े थे. कमलेंद्र ने गार्ड को मामले की जानकारी दी.
डेढ़ बजे रात की घटना : शुक्रवार की रात डेढ़ बजे के बाद ही यह घटना हुई है, क्योंकि कंपनी के भट्टी घर में काम करनेवाले भोला ने रमेश पासवान को एक बजे रात में बाथरूम की ओर जाते हुए देखा था. भोला ने बताया कि उस समय रमेश ठीक हालत में था और बाथरूम से लौट कर अपने विभाग की ओर गया था. इस घटना में यह भी चर्चा थी कि उन तीनों से कल रात बाहर से लिट्टी मंगाया था और देर रात खाया था.
छह घंटे बाद उठे शव : घटना की जानकारी मिलते ही तीनों के कई परिजन पहुंचे. वे काफी गुस्से में थे और हंगामा करने लगे. करीब नौ बजे पुलिस भी पहुंच चुकी थी. पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने का प्रयास किया, तो परिजन मुआवजे व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का लिखित पत्र देने की मांग पर अड़ गये. कंपनी के अधिकारियों ने आश्वासन दिया और शव को पुलिस को सौंपने का आग्रह किया, लेकिन परिजन मानने को तैयार नहीं थे. परिजनों ने सड़क जाम करने का भी प्रयास किया. डीएसपी मुत्तफीक अहमद के हस्तक्षेप के बाद कंपनी प्रशासन ने उनकी मांगों पर कार्रवाई करते हुए 50 हजार नकद, जिला प्रशासन की ओर से मिलनेवाले 21 हजार व परिजन के एक सदस्य को स्थायी नौकरी देने का लिखित पत्र दिया, लेकिन इस पर भी परिजन तैयार नहीं हुए. काफी मान-मनौव्वल के बाद परिजन माने और शवों को उठाया गया.
हत्या, आत्महत्या या हादसा?
तीन कर्मचारियों की मौत हत्या, आत्महत्या या फिर हादसा? इन तीनों बिंदुओं पर पुलिस ने अनुसंधान शुरू कर दिया है. परिजनों की बातों से आत्महत्या की कोई बात नहीं झलकती. सवाल हत्या या हादसा का है. हत्या के बिंदु पर पुलिस कुछ बोलने को तैयार नहीं है. हादसे मामले पर वह जांच के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में है. आमतौर पर वहां कर्मचारी नौ बजे रात में लंच में खाना खा लेते थे. अगर इन लोगों ने बाहर से कुछ खाने को मंगाया तो नौ बजे क्यों नहीं खाया? अगर नौ बजे रात में ही खाते, तो एक बजे रात में रमेश पासवान को बाथरूम जाते हुए भोला नहीं देख पाता. तो क्या रमेश और उन तीनों ने बाहर से खाना मंगा कर खाया था. कुछ इन्हीं सवालों का जवाब पुलिस खोजने में पुलिस लगी है. कंपनी कार्यालय में आठ सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. लेकिन ये सभी कैमरे विभाग की गैलरी में लगे है. लेकिन इन कैमरों से यह जानकारी आसानी से मिल जायेगी कि उन तीनों में से कोई अगर बाथरूम या अन्य काम के लिए अपने विभाग से बाहर गया होगा तो वह कैमरे की जद में जरूर ही आया होगा.